Thursday, January 23, 2014

Ganga Chitrakatha-63-Pilpili Shahab Bane Madari


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गंगा चित्रकथा-६३-पिलपिली साहब बने मदारी
 गंगा चित्रकथा उन कॉमिक्स प्रकाशन में से है जिनकी २०० कॉमिक्स भी शायद नहीं छपी थी. अगर मै अपनी बात करूँ तो मुझे पता ही नहीं था कि इस नाम का कोई प्रकाशन है भी। मै तो सिर्फ राज कॉमिक्स खरीदता और पढता था,जब मै कुछ पैसे कमाने लगा तो मनोज कॉमिक्स को जमा करना शुरू किया वो भी सुपर हीरो वाली कॉमिक्स, पर राज कॉमिक्स ने कॉमिक्स कम छपनी शुरू की तो मुझे और प्रकाशन कि कॉमिक्स को इकठ्ठा करने का मौका मिल गया। पर मेरी पहली पसंद राज कॉमिक्स के बाद मनोज कॉमिक्स ही थी पर जब मनोज कॉमिक्स छपनी बंद हो गयी तो वो मेरी पहली पसंद बन गयी और इसका कारण सीधा सा था कि राज कॉमिक्स कभी भी मिल सकती थी पर मनोज कॉमिक्स नहीं।पर जब मैंने कॉमिक्स स्कैन करना शुरु किया तो मुझे और कॉमिक्स प्रकाशनों के बारे में पता चला और मैंने इन्हे भी इक्कठा करना शुरू कर दिया और आज मेरे पास ईश्वर और कुछ दोस्तों कि मदद से बहुत सारे प्रकाशन की कॉमिक्स है।
 इस कॉमिक्स कि कहानी बड़ी ही मज़ेदार है कई कहानियों कि खिचड़ी लगती है पर हास्य कॉमिक्स में कहानी ढूढ़ना बेकार कि कोशिश ही होती है। बस ऐसे ही कुछ भी होता रहता है पर सच तो ये है कि आप को मज़ा बहुत आने वाला है। जरुर पढ़े सारी थकान दूर हो जायेगी।
 आज फिर कुछ बाते करने का मन हो रहा है, जब मैंने ऑरकुट कम्युनिटी ज्वाइन किया था तो पता चला कि कॉमिक्स को स्कैन भी किया जा सकता है और यहाँ पर मुझे राम-रहीम कि सारी कॉमिक्स को पढ़ने को मिली उस समय मेरे पास राम रहीम कि सारी कॉमिक्स मेरे पास नहीं थी, वो अहसान मेरे ऊपर ऐसा चढ़ा कि मैंने स्कैनर ले लिया और अपनी कॉमिक्स स्कैन करना सुरु कर दिया जो आज तक जारी है और शायद हमेशा रहेगा, शुरू में तो लोगो ने मेरी खूब मदद कि मोहित राघव जी ने,अनुपम अग्रवाल जी ने,सब मेरी तारीफ करते नहीं थकते थे। इन सब के साथ को मै कभी नहीं भूल सकता।
सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता रहे ये तो हो ही नहीं सकता। इसी कॉमिक्स की दुनिया ने मुझे हीरो बना दिया था और इसी कॉमिक्स कि दुनिया ने मुझे दलाल, धोखेबाज़, ठग,और चोर सब कुछ भी बना दिया। मेरा मन इन सब से उबने लगा था और सच कहूं तो पिछले कुछ महीनो से जो मेरी अपलोडिंग में जो गिरावट आयी है उसका ये भी एक बहुत बड़ा कारण है।
लोगो को ऐसा लगता है जैसे मै ब्लॉग से करोड़ो कमाता हूँ,कॉमिक्स मै शौक के कारण नहीं बेचने के कारण स्कैन करता हूँ। कॉमिक्स कि कमाई से मै करोडपति बन गया हूँ। इसलिए जब किसी से कॉमिक्स के नाम पर मदद मांगता हूँ तो उन्हें लगता है कि वो मुझे कोई एक कॉमिक्स दे कर या स्कैन कॉपी देकर अपना अरबो का नुक्सान कर लेंगे।
अब इन मूर्खो को कौन समझाए कि कॉमिक्स खरीदना मेरी शौक है दुकानदारी नहीं और अगर ब्लॉग से मुझे कमाई हो रही होती है तो मुझे सुबह ७ से लेकर रात ११ बजे तक बिना रुके लगातार बच्चो को पढ़ा कर कुछ पैसे नहीं कमा रहा होता बल्कि घर पर बीबी बच्चो के साथ आराम करता। और जो ब्लॉग फ्री में सब के लिए है अगर इससे कोई कमाई होती तो सब के सब लखपति तो जरुरु बन जाते।
 मज़ेदार बात है सब मुझ से तो ये उम्मीद करते है कि मै उनकी पसंद कि कॉमिक्स जल्द से जल्द अपलोड कर दूँ पर अगर मै किसी से कोई मदद चाहूँ तो उनके पास समय ख़तम हो जाता है।
 पर सच कहूं तो तकलीफ भी होती है और क्रोध भी आता है पर फिर ये सोच कर शांत हो जाता हूँ कि जब भी मैंने कुछ चाहा है तो उस ऊपर वाले ने मेरी मदद जरुर कि है जो भी कॉमिक्स मैंने अपलोड करने कि सोची है चाहे वो मेरे पास हो चाहे न हो मुझे ईश्वर ने वो कॉमिक्स किसी न किसी तरह से मेरे पास पहुचाई है क्योंकि मेरा इरादा कभी गलत नहीं रहा है और न ही आज है चाहे कोई इस पर विश्वाश करे चाहे न करे।

Sunday, January 12, 2014

Chunnu Comics-Chandan Ke Lutere


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 आज तो मेरे पास कहने को इतना कुछ है कि समय और जगह दोनों ही कम पड़ जाने का अंदेशा है. इधर कुछ वक्त से इतनी ज्यादा व्यस्ता कुछ इस कदर थी कि किसी और बात के लिए तो समय ही नहीं था पर जैसा कि मुझे जानने वाले जानते है कि चाहे कुछ भी हो जाये कॉमिक्स कि स्कैनिंग और अपलोडिंग बंद नहीं हो सकती पर इस बार ये भी हुवा कि स्कैनिंग बंद हुवी। पर उसका इकलौता कारण व्यस्ता नहीं था बल्कि यहाँ पर बिजली कि समस्या और मेरे कंप्यूटर का बार-बार ख़राब होना था. पहले तो समय कि कम मिलता है स्कैनिंग के लिए और ऊपर से जैसे ही स्कैनिंग के लिए बैठो कि बिजली चली गयी और अगर आप ने किसी तरह से स्कैन कर भी लिया तो फिर उपलोडिंग उससे भी ज्यादा मुश्किल काम होता था क्योंकि उसमे बिजली जाने का मतलब तो कुछ भी नहीं हो सकता। पर अभी आधी परेशानी को ख़तम हो गयी है कि लैपटॉप आ गया है जिसके कारण अपलोडिंग तो बैकअप से हो जाता है पर स्कैनिंग कि समस्या अभी भी वैसे ही है पर इन्वर्टर लगवाने के बाद ये परेशानी में ख़तम हो जायेगी। फिर मै इतने कम समय में भी अपनी अपलोडिंग अच्छी गति से चालू रख सकूंगा। पिछली बार कि तरह इस पर भी मै राज कॉमिक्स के द्वारा आयोजित कॉमिक्स कॉन में गया था और इस बार ये आयोजन दो दिनों का था। जाना तो मुझे था ही,पर इस बार ये कुछ मायने में मेरे लिए बहुत खास रहा। दिल्ली जाने से दो दिन पहले मुझे डॉक्टर साहब का फ़ोन आया और मुझ से पूछा गया कि क्या मै कॉमिक्स कॉन में आ रहा हूँ। मैंने जब हाँ कहा तो उनका कहना था कि मैंने आप के दोनों ब्लॉग से बहुत कॉमिक्स डाउनलोड कि है और कभी थैंक्स तक नहीं लिखा , पर जब आप यहाँ आ रहे है तो मुझसे जरुर मिलें अगर मैं आप के कुछ काम आ सका तो मुझे बड़ी ख़ुशी होगी। मैंने हाँ कर दिया, दिल्ली पहुचने के बाद मैंने राज कॉमिक्स के कुछ लोगो के फ़ोन करके इंतज़ाम कि जगह जानने को कहा पर कुछ भी साफ़ नहीं हो पा रहा था बस इतना साफ़ था कि इंतज़ाम तो जरुर है पर कहाँ वो वहाँ आने के बाद कि पता चल पायेगा।फिर मेरे पास डॉक्टर साहब से बात करने के अलावा कोई चारा नहीं था मैंने उन्हें स्टेशन से फ़ोन किया और वो बहुत खुश हुवे और मुझे लेने ऑटो करके स्टेशन पहुचे और मुझे अपने घर ले जाना चाहते थे पर समय हो रहा था इसलिए मैंने उन्हें फ्रेश होने कि कोई जगह ले जेन को कहा तो वो मुझे अपने ऑफिस ले गए जहाँ जा कर मैंने नित्य कर्म करके तैयार हुवा। फिर डॉक्टर मेरे साथ कॉमिक्स कॉन ले कर आये हमारे बीच काफी बाते हुवी और वो कॉमिक्स कॉन पूरा दिन मेरे साथ रहे और जब तक वो मेरे साथ रहे उन्होंने मुझे एक पैसा भी खर्च नहीं करने दिया चाहे वो किराया हो चाहे वो खाने का कोई सामान हो, ऐसे लोगो से मिल कर जो ख़ुशी मिलती है उसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता। इससे ये बात तो साफ़ साबित होती है कि आप कोई भी अच्छा काम करेंगे उसकी सरहाना आप को जरुर मिलेगी। वरना एक डॉक्टर आप को इतना समय दे दे जिसका खुद का समय कितना कीमती होता है उसे तो सब को पता है।
 फिर शाम को हमारी मुलाकात पिछली बार कि तरह वीरेंदर जी, शादाब जी,अनुराग जी,सुशांत पांडा जी उनके भाई साहब वसंत पांडा,मंदार गांगले जी से हुवी। इनके साथ बिताया गया समय ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी होती है। मुझे इन सब के साथ समय बिताना बहुत ही पसंद आता है और इन सब के कारण मुझे चित्रों कि बहुत से बारीकियों में बारे में पता चला जो शायद मुझे कभी भी पता नहीं चलता। इनके साथ तो समय ऐसे बीतता है कि न थकान महसूस होती है और न नीद आती है बस बाते ही होती रहती है।
 फिर अगले दिन संजय गुप्ता जी से मुलाकात हुवी, वैसे तो मै बहुत बाते करता हूँ पर सिर्फ उसी से जिसे मै जनता हूँ नए व्यक्ति से बात करने से डरता हूँ कि कही वो कुछ ऐसा न कह दे कि मुझे बुरा लग जाये इसलिए संजय जी से भी बात करने से डर रहा था पर जैसे ही मैं उनके पास पंहुचा उन्होंने खुद मुझे पहचाना और कहा कि तुम लिखते बहुत अच्छा हो। मुझे ऐसा महसूस हुवा कि मै भी हूँ और उनके लिए मेरी बात कि कोई कीमत है जब कि जब से होश सम्भाला है किसी ने मेरी बात को ऐसे याद नहीं रखा है।
 बहुत ज्यादा हो चूका है बाकि बाते मै अगले पोस्ट में लिखूंगा।