Sunday, October 27, 2013

Indrajaal Comics-26-11-rakhjhasi chidiy


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इंद्रजाल कॉमिक्स, खण्ड-२६-11-राक्षसी चिड़िया भाग २
आप सब को मेरी आदत में बारे में पता ही होगा की मुझे फेसबुक का आना बहुत ही कम पसंद है और ऐसा क्यों है मेरे लिए ये भी कहना मुश्किल है। आज तक मै खुद भी ये नहीं समझ पाया की ऐसा क्यों है पर ऐसा बराबर है। और जब आप की चीज़ में कम इस्तेमाल करेंगे तो उसके बारे में भी कम जान पाएंगे। आज तक मुझे ये नहीं पता चल पाया है की आप के फेस बुक पर आई फ्रेंड रिक्वेस्ट कहाँ पर से देखते है।जिसे कारण मेरे कई मित्रों की फ्रेंड रिक्वेस्ट कई हफ़्तों तक पड़ी रहती है और मुझे पता भी नहीं चलता। और उनको लगता है की मै उन्हें महत्त्व नहीं दे रहा हूँ जब की ऐसा कभी हो ही नहीं सकता।

हाँ अभी कुछ दिन पहले फेसबुक पर आने पर एक आर्टिकल पढ़ा राज कॉमिक्स के बढ़ते दाम और घटते कहानी के स्तर के बारे में।जहाँ तक कॉमिक्स के घटते कहानी के स्तर की बात है तो मुझे लगता है आज भी वो वैसा ही है जैसे आज से २० साल पहले था बस हमारा स्तर थोडा ज्यादा बढ़ गया है तब हम छोटे थे तो नागराज के हाथ से सांप निकलना हमें आंदोलित करता था और आज बकवास सा लगता है। सुपर कमांडो ध्रुव का जानवरों से बात करना बहुत सुकून देता था और आज लगता है ये तो संभव नहीं हो सकता। बौद्धिक स्तर बढ़ने के कारण ही ऐसा है इसलिए हमें आज की कहानी पहले से ख़राब लगती है पर अगर आप थोडा ठन्डे दिमाग से सोचे तो आज की कहानियां पहले की तुलना में ज्यदा लॉजिकल होती है।

और अगर बात कॉमिक्स के दाम की करी जाये तो यहाँ राज कॉमिक्स और हम यानि कॉमिक्स पढने वाले दोनों बराबर दोषी है। राज कॉमिक्स , कॉमिक्स के बुरे दौर में भी अपना फ़ायदा तलाश कर रहे है जबकि उन्हें अच्छे से पता है की अब हिंदी कॉमिक्स का समय ख़तम हो रहा है और अगर कुछ अलग न की किया गया तो सब कुछ ख़तम हो जायेगा। वो जानते है की कॉमिक्स को खरीद कर अगर १००० लोग पढ़ते है तो वो अपनी लगत और फ़ायदा इन्ही से निकालने की कोशिश करते है चाहे कॉमिक्स के दाम कुछ भी क्यों न पहुच जाए। और अगर हम अपनी बात करें तो हम अग्रेजी में टिनटिन या सुपरमैन की कोई कॉमिक्स खरीदने जाएँ तो उसका दाम ५०० से १००० भी कम है पर अगर हम उसी स्तर की कॉमिक्स हिंदी में १०० में खरीदने जाएँ तो वो बहुत ज्यदा हो जाता है। दोनों को अपने को अपने विचारो में परिवर्तन लाना होगा वरना कुछ बचेगा नहीं। और अगर मै अपनी बात करूँ तो मेरे लिए ये ही बहुत है की राज कॉमिक्स वाले कॉमिक्स प्रकाशित कर रहे है चाहे उसके दाम कुछ भी हो और कहानी का स्तर कुछ भी हो मेरे लिए ये कोई मुद्दा कभी नहीं है और न कभी होगा। मै अपने सुनहरे बचपन के लिए इतनी कीमत तो अदा कर ही सकता हूँ। साल का मुश्किल से १००० रु।

 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये,
 जैसा की आप इस कॉमिक्स का पहला भाग पढ़ चुके है। कहानी में कुछ अलग तो लगता नहीं है पर फिर भी आधी कॉमिक्स पढने के बाद आप इसे पूरा जरुर पढना चाहेंगे। कहानी में फैंटम अब वहाँ पहुचने वाला है जहाँ से ये चिड़िया आई थी वहां उसके साथ कैसा व्योहार होता है ये देखने की बात होगी। जैसा की मै इसके पहले भाग के अपलोड के समय लिख चूका हूँ की ये कहानी छोटी सी है तो इसमें बहुत ज्याद की उम्मीद करना बेमानी होगी। बस कहानी थोड़े बहुत चरित्रों जोड़ते हुवे कब ख़तम हो जाएगी आप को पता भी नहीं चलेगा। आज रविवार है और मुझे ये कॉमिक्स अपलोड करने का मौका मिल गया है तो इसे अपलोड करने के बाद एक कॉमिक्स और एडिट और अपलोड करने की कोशिश करूँगा और यदि संभव हो सका तो दिवाली पर ३ से ४ कॉमिक्स अपलोड करने की कोशिश करूँगा और साथ में भी कुछ एक बल पॉकेट बुक्स भी।

Monday, October 21, 2013

Indrajaal Comics-26-10-rakhjhasi chidiy



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इंद्रजाल कॉमिक्स- खण्ड-२६-भाग १०-राक्षसी चिड़िया भाग १
इंद्रजाल कॉमिक्स जैसा की मै कई बार कह चूका हूँ कि इसे तो मै इसके समय में बिलकुल भी नहीं पढता था। कारण बिलकुल सीधा सा था इसके चित्रों और कहानियों की तुलना में राज और मनोज कॉमिक्स कही ज्यदा बेहतर थे और इनके किरदारों का विदेशी लगना भी मुझे इस प्रकाशन से कभी जोड़ नहीं पाया यहाँ तक आज तक भी। मेरे एक मित्र के अनुसार फैंटम तो भारतीये पृष्ठभूमि से है और उसके काम भी भारतीय नायकों के तरह से ही है। ये सारी बात तो मुझे अभी पता चली पर मेरा बचपन इसके साथ अपने आप को उस समय बिलकुल भी नहीं जोड़ पाया था। आज तो कम से कम मै इंद्रजाल कॉमिक्स पढ़ लेता हूँ अन्यथा उस समय तो मै इसे मुफ्त में भी पढना पसंद नहीं करता था। और सच कहूँ तो आज भी नहीं, इंद्रजाल कॉमिक्स मै तभी पढता हूँ जब उसे स्कैन करता हूँ क्योंकि उसके बाद मुझे कहानी के बारे में कुछ न कुछ लिखना होता है।
 ये एक तरह से पूर्वाग्रह होता है, की आप ने एक बार जो सही मान लिए बस वही सही है बाकि सब गलत। ये हमेशा चलता अगर मै कॉमिक्स पोस्ट करना शुरु न करता। पर मेरे कुछ भी मान लेने से कुछ भी कम या ज्यदा नहीं हो जाता। फैंटम आज भी भारत ही नहीं विश्व के सबसे प्रशिद्ध चरित्र में से एक है,और हमेशा रहेगा चाहे वो मुझे पसंद हो चाहे न हो।
 यहाँ पर मै जो कुछ भी लिखता हूँ वो मेरी अपनी सोच होती है और मेरा इरादा किसी को भी दुःख पहुचने का बिलकुल ही नहीं होता। इसका सबसे बड़ा उदहारण तो यही है की ये कॉमिक्स मेरे पास है और मै इन्हें लगातार पोस्ट भी कर रहा हूँ जिससे उनको अच्छा महसूस हो जो इनके फैन है पर मेरे अपने विचार तो वही रहेंगे और सच कहूँ कम से कम इंद्रजाल कॉमिक्स के फैंटम से मै तो प्रभावित नहीं हो पाया हूँ।
 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, कहानी शुरु होती है एक काबिले से जिस पर एक विशालकाए चील हमला करती और कविले के पशुओं को उठा ले जाती और ये सिलसिला लगातार होने लगता है तो ये बात फैंटम तक पहुचती है। वो इस समस्या को कैसे हल करता है यही इस कहानी का मूल आधार है।
 कहानी जबरदस्ती दो भाग में बाटी गयी है चित्र वैसे ही है जैसे इंद्रजाल कॉमिक्स में होती है।और उस पर भी आधी कॉमिक्स में "किर्बी" की कहानी चलती है जिसको पढने का मेरा मन ही नहीं हुवा। १४ पन्ने कब सुरु होते है और कब ख़तम हो जाते है पता ही नहीं चलता, लेकिन अगर कहानी के स्तर की बात करूँ तो ये बहुत बुरी बिलकुल भी नहीं है बस आप इसे बड़ी कहानी मान कर न चले तो कहानी बहुत अच्छी है और आप इसे कॉमिक्स की नक़ल राज कॉमिक्स की कुछ कॉमिक्स में जरुर मिल जाएगी। इसका दूसरा भाग स्कैन और अपलोड कर चूका हूँ इसी हफ्ते उसे भी आप लोगो के सामने प्रस्तुत कर दूंगा। जल्द ही फिर मिलते है।।।।।।।।

Friday, October 18, 2013

Prabhat Comics-275-Pasa Palat Gaya


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प्रभात कॉमिक्स-२७५-पासा पलट गया
 'प्रभात कॉमिक्स' उन कॉमिक्स प्रकाशन में से एक है जो की अपने समय के प्रसिद्ध प्रकाशन में से थे। लेकिन जब मैंने कॉमिक्स पढना शुरु किया था तब 'डायमंड कॉमिक्स' और 'मनोज कॉमिक्स' का बोलबाला था 'राज कॉमिक्स' ने भी प्रसिद्धी पकडनी शुरु की थी।
 मेरी सुरुवात 'डायमंड कॉमिक्स' के 'चाचा चौधरी' की कॉमिक्स 'उड़ने वाली कार' से हुई। उसके बाद से मैंने 'चाचा चौधरी' की लगभग सारी कॉमिक्स पढ़ डाली। उन्ही बीच में 'राज कॉमिक्स' के 'नागराज' से भी मेरी पहचान हुई पर अगर मै अपनी पहली 'राज कॉमिक्स' की बात करूँ तो वो "विनाश्दूत" थी जिसके प्रकाशन का पता मुझे कई सालों तक नहीं था। नागराज की कॉमिक्स खूनी खोज के बाद से मैंने नागराज की कॉमिक्स को खूब पढ़ा। फिर 'मनोज कॉमिक्स' के 'राम रहीम' की कॉमिक्स मेरे हाथ लगी उसके बाद तो नागराज और राम रहीम को छोड़ कर कुछ पढता ही नहीं था।
 फिर एक बार गलती से 'सुपर कमांडो ध्रुव' की कॉमिक्स 'लहू के प्यासे' मेरे हाथ लगी जिसे मै बिलकुल भी नहीं पढना चाहता था पर उस समय गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और मैंने उस किराये वाली दूकान पर से राम रहीम और नागराज की सारी कॉमिक्स पढ़ी डाली थी और उसके पास कुछ नया नहीं था इसलिए उसे पढने का मन बनाया। पर कॉमिक्स पढने के बाद मै सरे हीरो को भूल कर पहले सुपर कमांडो ध्रुव ही पढने लगा। ये पहला चरित्र था जिसके कारण मैंने कॉमिक्स का संग्रह शुरू किया था।जो आज तक जरी है।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, ये कहानी एक मास्टर जी की है जो कि अपनी पत्नी से बहुत डरते है, जैसे ज्यातर लोग डरते है।और उनकी पिटाई बेलन से अक्सर हो ही जाती है। परन्तु एक दिन उन्हें एक टोपी मिलती है जिसे पहनने के बाद उनका मिजाज़ बदल जाता है उसके बात मास्टर जी क्या क्या करते है यही इस कहानी का मूल आधार है।
अगर मै चित्रों की बात न करूँ तो कॉमिक्स बहुत अच्छी है पढने में जरुर मज़ा आयेगा।
 इधर स्कूल की छुट्टियाँ पड़ी थी तो मैंने कुल मिलकर ५ कॉमिक्स स्कैन की थी जिसमे एक प्रस्तुत कॉमिक्स है जिसके अलावा दो इंद्रजाल कॉमिक्स है एक और प्रभात कॉमिक्स है तथा एक चुन्नू कॉमिक्स है। उम्मीद है ये सारी कॉमिक्स आप को जल्दी ही पढने को मिल जाएँगी।

Saturday, October 12, 2013

IJC-Vol.26-07-Peshewar Hatyara



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इंद्रजाल कॉमिक्स-२६-०७-पेशवर हत्यारा
 इंद्रजाल कॉमिक्स मुझे कभी भी नहीं पसंद आई,कारण सीधा सा है इनके चित्र व इनकी कहानियों का भारतीय मूल का न होना। इस कारण इंद्रजाल कॉमिक्स जब भी पढ़ा मज़बूरी में पढ़ा,जब कुछ और पढने को नहीं होता था। यही कारण है की मुझे इस प्रकाशन की ज्यदा जानकारी भी नहीं है। यदि जानकारी होती तो मुझे प्रदीप शाठे जी द्वारा बनायीं गयी कॉमिक्स के बारे में जानकारी जरुर होती तो शायद मैंने काफी इंद्रजाल कॉमिक्स पढ़ी होती।
 जब से मनोज कॉमिक्स का प्रकाशन बंद हुवा और राज कॉमिक्स का प्रकाशन न के बराबर हुवा है तब वो सारे प्रकाशन की कॉमिक्स पढने को मजबूर होना पड़ा है जिन्हें मै कभी भी नहीं पढता। उनमे से कुछ इइंद्रजाल और चित्रभारती की कॉमिक्स जरुर है।इनके अलावा नूतन कॉमिक्स, नीलम कॉमिक्स,गंगा कॉमिक्स आदि है। अब तो खैर हर प्रकाशन का कुछ न कुछ मेरे पास जरुर है पर उन सब ने मुझे कभी राज कॉमिक्स और मनोज कॉमिक्स की तरह पागल नहीं किया था।

 पेशेवर हत्यारा कहानी है एक अंतर्राष्ट्रीय अपराधी की जो की पैसे ले कर अपराध करता है। ये बहुत ही खतरनाक और दिलेर है जिसे अब्दुल करीम नाम के भारतीय अपराधी गिरोह का सरदार पैसे देकर कुछ क़त्ल और एक बहुत ही खतरनाक कार्य के लिए बुलाता है। इस खून खराबे के कारण दारा इस अंतर्राष्ट्रीय अपराधी को रोकने के लिए बाध्य हो जाता है। आगे क्या होता है वो तो इस कहानी को पूरा पढने के बाद ही आप को पता चलेगा।
 कहानी बहुत ही सरल और शांत तरीके से लिखी गयी है और चित्र तो प्रदीप शाठे जी के है जिनके बारे में कुछ कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा। एक जरुर पढने लायक कॉमिक्स।

 अब मेरी तबियत बिलकुल ठीक लग रही है और उम्मीद है ठीक ही रहेगी। आप लोगो की चिंता और प्रार्थना के लिए तहे दिल से धन्यवाद।
 जल्द ही मै एक नयी कॉमिक्स के साथ आप फिर मिलता हूँ ......................

Wednesday, October 2, 2013

IJC-Vol.26-23-Yougo Purana Rahesye


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इंद्रजाल कॉमिक्स -२ ६ -२ ३ - युगों पुराना रहस्य
 आज लगभग ३ महीने बाद कोई कॉमिक्स मै पोस्ट कर पा रहा हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे सदियाँ बीत गयी हों। एक बात तो पूरी तरह से सही है की आप कितना भी चाह लो होता वही है जो ईश्वर की इच्छा होती है। इतना लम्बा इंतज़ार तो मै कभी भी होने नहीं देना चाहता था पर एक के एक सब कुछ ऐसा होता चला गया की एक बार तो ऐसा लगने लगा की शायद मै कभी कोई कॉमिक्स पोस्ट नहीं कर पाउँगा और आज जा कर ये कॉमिक्स जो की ३ महीने पहले से नेट पर अपलोडेड थी उसे आज पोस्ट कर रहा हूँ।
सबसे पहले तो मेरा नेट ख़राब होना फिर मुझे मानसिक बीमारी का होना जिसे ठीक होने में २ महीने से ज्यदा लग गया।
 ये बात बिलकुल सही है कि कोई अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती मैंने अपने आप को मशीन बना रखा था सुबह ५ से लेकर रात २ बजे तक कुछ न कुछ करते रहना। दिमाग कब तक मेरा साथ देता। मुझे spontaneous के दौरे पड़े और फिर जा कर मुझे समझ में आया। फिर जब मै कुछ ठीक हुवा तो हार्ड डिस्क क्रैस हो गयी। अब जा कर सब कुछ ठीक हुवा है और उम्मीद करता हूँ की आगे पहले की तरह से अपलोड करता रहूँगा।