Sunday, January 25, 2015

MC-629-Karamati Sarover Aur Halahal Naag


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मनोज कॉमिक्स -६२९-करामाती सरोवर और हलाहल नाग
 ये कॉमिक्स मेरे दूसरे ब्लॉग पर अपलोडेड है पर किन्ही कारणों बस उस फाइल में १६ पन्नो तक की कॉमिक्स ही जा पायी थी और मेरे पास उसकी ओरिजिनल कॉपी भी नहीं थी, इसलिए दुबारा स्कैन करना पड़ा।
 अभी कुछ दिन पहले मैंने किसी ग्रुप में इस बात पर बहस होते देखा की लड़कियां कॉमिक्स क्यों नहीं पढ़ती। कौन कहता है की लड़कियां कॉमिक्स नहीं पढ़ती ,भाई पढ़ती है और बहुत पढ़ती है। इस कॉमिक्स को दुबारा स्कैन करवाने वाला कोई और नहीं एक महिला ही है। उन्होंने मेरे ब्लॉग से सभी कॉमिक्स को i -pot पर डाउनलोड करके पढ़ा है जैसे ही उन्हें ऑनलाइन कॉमिक्स डाउनलोड करके डाउनलोड करने के बारे में पता चला तो पहले मेरा फ़ोन नंबर (जो की ब्लॉग पर उपलब्ध है ) ले कर तब तक फ़ोन रही है जब तक मैंने उन्हें cbr फाइल रीडर i -पॉट के लिए नहीं बता दिया। उसके बाद उन्होंने इस कॉमिक्स को डाउनलोड कर लिए और फिर जब तक मैंने बाकी के १६ और पन्ने स्कैन करके अपलोड नहीं कर दिया उनका फ़ोन आता रहा। इतना कॉमिक्स से लगाव तो मुझे भी नहीं है। तो भाईओ ये बात बिलकुल दिमाग से निकल दीजिये की लड़कियां कॉमिक्स नहीं पढ़ती।
 जैसा की हम सभी जानते है की अपने घर में हम कैसे भी रह लेते है कुछ भी पहन लेते है और कैसे भी बात कर लेते है। बस ये ब्लॉग मेरे घर जैसा है इस पर मेरी जो मर्ज़ी होती लिखता हूँ। और यही वो जगह है जहाँ मै अपनी सारी भड़ास निकाल सकता हूँ। पर अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे ये घर भी परया हो गया है। कुछ भी लिखने से पहले "डर" सताने लगता है। तो आप मै इसी डर के बारे में बात करूँगा। अब मै ये बताऊँ की मुझे किस से और किस-किस बात का डर सताता है। १ - घर के बारे में कुछ लिख दूँ तो भाई के जरिये घर में पता चल जाएगा तो उन्हें बुरा लगेगा। २-स्कूल के बारे में कुछ लिखा और किसी टीचर में पढ़ कर स्कूल में बता दिया तो उन्हें बुरा लग जायेगा। ३- हिन्दुओं की तरफ से लिख दिया तो मुसलमान नाराज़ हो जायेंगे और मुसलमान की तरफ से लिखा तो हिन्दू नाराज़ हो जायेंगे।
 वैसे सच कहूँ मुझे किसी के नाराज़ होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिसको मुझे अपनाना है मेरे विचारों के साथ ही अपनाना होगा वरना वो अपना दूसरा रास्ता देख सकता है। मैंने आज तक अपने आप को कुछ इस तरह से रखा है की मुझे किसी की आदत व जरुरत नहीं पड़ती।
 वैसे डर हमेशा बुरा ही होता है ऐसा बिलकुल भी नहीं है। थोड़ा डर हमें इंसान बने रहने में मदद करता है। अगर देर हो जाने का डर न हो तो हम कभी समय से नहीं पहुंचेगे। फेल होने का डर न हो तो कौन पढ़ाई करेगा। EMI का डर न हो तो कमाई कौन करेगा। चीन का डर ना हो अमेरिका को तो वो भारत से दोस्ती क्यों करेगा और सबसे बड़ी बात अगर केजरीवाल का डर न हो तो किरण बेदी को वोट कौन करेगा। तो थोड़ा बहुत डरना भी जरुरी है।
 बाकी की बाते फिर कभी , उम्मीद है जल्दी जल्दी मुलाकात होती रहेगी .........................

Parampra Comics-147-Jahrele Ladake


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परम्परा कॉमिक्स-१४७-जहरीले लड़ाके
 परम्परा कॉमिक्स उन कॉमिक्स प्रकाशनों में से है जो कॉमिक्स की दुनिया में जरा देरी से पहुँचे। इनमे फोर्ट,परम्परा,पिटारा और दुर्गा कॉमिक्स मुख्य है। पर अगर सच्चे मायने में देखा जाये तो सिर्फ परम्परा ही ऐसा प्रकाशन था जिसने पूरी तैयारी के साथ इस दुनिया में कदम रखा था और उन्होंने हर वो कोशिश की थी जिससे उनकी कॉमिक्स बाजार में बनी रहे। उस समय के बेहतरीन लेखको और चित्रकारों ने इस प्रकाशन के लिए काम किया। इस प्रकाशन के कुछ सुपर हीरो सफल भी हुवे जिनमे से प्रमुख 'देवगण','गोरिल्ला','हिन्दीलाल और अंग्रेज़ीलाल' और शक्तिमान (मुकेश खन्ना वाला नहीं) .
 पर कंप्यूटर और वीडियो गेम के दौर में जब 'मनोज कॉमिक्स' और तुलसी कॉमिक्स अपने आप को नहीं बचा पाये तो फिर ये नया प्रकाशन कैसे बच पता। परम्परा कॉमिक्स की कहानियों और चित्रो का स्तर किसी भी और कॉमिक्स प्रकाशन से काम नहीं था और इन्होने तो ब्लैक-एंड-वाइट कॉमिक्स तक प्रिंट की थी।
इस प्रकाशन की मेरे विचार से १०० के लगभग कॉमिक्स आई थी या हो सकता है उससे भी कम। इस प्रकाशन ने कॉमिक्स का नंबर १०१ से शुरू किया था इसलिए कभी-कभी इनके नंबर के बारे में धोखा हो ही जाता है।
 अब बात इस कॉमिक्स के कहानी के बारे में कर ली जाये, कहानी पूर्णता फौजियों और उनके खतरनाक और रहस्यमय मिसन के बारे में है। इससे ज्यादा इसकी कहानी के बारे में लिखना इसका मज़ा किरकिरा कर सकती है। इसलिए इसे पढ़ कर देखे .......

Tulsi Comics-126-Champion Angara

Tulsi Comics-129-Angara Ka Bhookamp

Tulsi Comics-112-Angara Aur Kala Parvat

Tulsi Comics-92-Angara Aur Khooni Bhediya

Tulsi Comics-69-Angara Aur Kala Danav

Tulsi Comics-53- Operation Angara

Sunday, January 11, 2015

Puja Chitrakatha-Bhonku Ram Chala Hero Banne


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पूजा चित्रकथा- भोंकू राम चला हीरो बनने
 ये चित्रकथा उस समय की है जब भारत में कॉमिक्स की शुरुवात हुवी थी और कॉमिक्स बिक्री भी बहुत ज्यादा नहीं होती थी। इसलिए कॉमिक्स को कम से कम पैसे में छापना भी जरुरी था। इसलिए शुरुआती कॉमिक्स मात्र दो रंगो में छपती थी। डायमंड कॉमिक्स ने भी कुछ कॉमिक्स दो रंगो में छापी थी।
 ये कॉमिक्स भी उसी दौर की है, पढ़ने में आँखों को अच्छा तो नहीं लगता पर कहानी ठीक ठाक है। छपाई भी भी बहुत अच्छी नहीं है, परन्तु ये बहुत ही दुर्लभ कॉमिक्स है और इसे स्कैन करना ज्यादा जरुरी था।
 अब मै यही उम्मीद करता हूँ की लगातार कॉमिक्स अपलोड करता रहूँगा।
 हाँ मेरे कुछ मित्रों की इच्छा थी की मै तुलसी कॉमिक्स में "अंगारा", "जम्बू" और "तौसी " की कॉमिक्स अपलोड करूँ। पर मेरे लिए कॉमिक्स स्कैन करके अपलोड करना तो बहुत मुश्किल है पर मेरे मित्रों के कारण इन चरित्रों की ज्यादातर कॉमिक्स डिजिटल फॉर्मेट में मेरे पास है तो फिलहाल मै उन्हें ही अपलोड कर रहा हूँ। यहाँ मैं ये स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि जिन भी अपलोड के साथ मेरे विचार व कॉमिक्स के बारे कुछ न लिखा हो तो उन कॉमिक्स को मैंने स्कैन और अपलोड नहीं किया होगा। वो किसी और की मेहनत है और उन सभी को उनके काम का धन्यवाद उन्ही को जाना चाहिए अब बात इस कॉमिक्स की कहानी के बारे में बात कर ली जाए। कहानी का नायक भोंकू राम अव्वल दर्जे का आलसी और निकम्मा इंसान था और साथ में शादी शुदा भी था। आस पड़ोस वालों से इतना उधर मांग रखा था कि कोई अब उसे उधार देने को तैयार नहीं था। भूखे मरने तक की नौबत थी और इनको हीरो बनने का शौक अलग हो गया। अब इसके बाद क्या है उसे आप कॉमिक्स पढ़ कर ही जाने तो ही अच्छा होगा। आज के लिए इतना है फिर जल्द ही मिलता हूँ एक नए कॉमिक्स के साथ। ………………।

Tulsi Comics-22- Angara Hi Angara

Tulsi Comics-16- Azadi Ki Jung

Tulsi Comics-11- Angara Ka Atank

Tulsi Comics-07- Angara Ki Jang

Tusli Comics-02- Angara

Wednesday, January 7, 2015

Govershion-Comics-26-Antrikh Captan Jim Stwalwate Aur Hara Sitara


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मेरे प्रिय मित्रों
 बहुत दिनों बाद आप सब से बात करने का मौका मिल रहा है। सर्वप्रथम तो आप सब को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
 अब उम्मीद करता की दूबारा इतना इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। सच्च कहूँ तो ये इंतज़ार मेरे लिए किसी बहुत बुरे सपने से कम नहीं था। ऐसा लग रहा है जैसे मै इतने दिन होश में ही नहीं था। यहाँ तक कि मैं उस बारे में कुछ सोचना ही नहीं चाहता।
 इस कॉमिक्स के बारे में ज्यादा बात नहीं कर पाउँगा क्योंकि ये बहुत पहले पढ़ी थी तो कहानी ठीक से याद नहीं है बस इतना कह सकता हूँ कि ये उस समय की कॉमिक्स है जब लोगो को इंग्लिश कॉमिक्स को हिंदी में अनुवाद करके छापने का बहुत शौक था इंद्रजाल कॉमिक्स में ९०% से ज्यादा इंग्लिश कॉमिक्स का हिंदी में अनुवाद भर ही है। हाँ ये कॉमिक्स "फ़्लैश गॉर्डन" की कहानी जैसी ही है।