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मनोज कॉमिक्स -६२९-करामाती सरोवर और हलाहल नाग
ये कॉमिक्स मेरे दूसरे ब्लॉग पर अपलोडेड है पर किन्ही कारणों बस उस फाइल में १६ पन्नो तक की कॉमिक्स ही जा पायी थी और मेरे पास उसकी ओरिजिनल कॉपी भी नहीं थी, इसलिए दुबारा स्कैन करना पड़ा।
अभी कुछ दिन पहले मैंने किसी ग्रुप में इस बात पर बहस होते देखा की लड़कियां कॉमिक्स क्यों नहीं पढ़ती। कौन कहता है की लड़कियां कॉमिक्स नहीं पढ़ती ,भाई पढ़ती है और बहुत पढ़ती है। इस कॉमिक्स को दुबारा स्कैन करवाने वाला कोई और नहीं एक महिला ही है। उन्होंने मेरे ब्लॉग से सभी कॉमिक्स को i -pot पर डाउनलोड करके पढ़ा है जैसे ही उन्हें ऑनलाइन कॉमिक्स डाउनलोड करके डाउनलोड करने के बारे में पता चला तो पहले मेरा फ़ोन नंबर (जो की ब्लॉग पर उपलब्ध है ) ले कर तब तक फ़ोन रही है जब तक मैंने उन्हें cbr फाइल रीडर i -पॉट के लिए नहीं बता दिया। उसके बाद उन्होंने इस कॉमिक्स को डाउनलोड कर लिए और फिर जब तक मैंने बाकी के १६ और पन्ने स्कैन करके अपलोड नहीं कर दिया उनका फ़ोन आता रहा। इतना कॉमिक्स से लगाव तो मुझे भी नहीं है। तो भाईओ ये बात बिलकुल दिमाग से निकल दीजिये की लड़कियां कॉमिक्स नहीं पढ़ती।
जैसा की हम सभी जानते है की अपने घर में हम कैसे भी रह लेते है कुछ भी पहन लेते है और कैसे भी बात कर लेते है। बस ये ब्लॉग मेरे घर जैसा है इस पर मेरी जो मर्ज़ी होती लिखता हूँ। और यही वो जगह है जहाँ मै अपनी सारी भड़ास निकाल सकता हूँ। पर अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे ये घर भी परया हो गया है। कुछ भी लिखने से पहले "डर" सताने लगता है। तो आप मै इसी डर के बारे में बात करूँगा। अब मै ये बताऊँ की मुझे किस से और किस-किस बात का डर सताता है। १ - घर के बारे में कुछ लिख दूँ तो भाई के जरिये घर में पता चल जाएगा तो उन्हें बुरा लगेगा। २-स्कूल के बारे में कुछ लिखा और किसी टीचर में पढ़ कर स्कूल में बता दिया तो उन्हें बुरा लग जायेगा। ३- हिन्दुओं की तरफ से लिख दिया तो मुसलमान नाराज़ हो जायेंगे और मुसलमान की तरफ से लिखा तो हिन्दू नाराज़ हो जायेंगे।
वैसे सच कहूँ मुझे किसी के नाराज़ होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिसको मुझे अपनाना है मेरे विचारों के साथ ही अपनाना होगा वरना वो अपना दूसरा रास्ता देख सकता है। मैंने आज तक अपने आप को कुछ इस तरह से रखा है की मुझे किसी की आदत व जरुरत नहीं पड़ती।
वैसे डर हमेशा बुरा ही होता है ऐसा बिलकुल भी नहीं है। थोड़ा डर हमें इंसान बने रहने में मदद करता है। अगर देर हो जाने का डर न हो तो हम कभी समय से नहीं पहुंचेगे। फेल होने का डर न हो तो कौन पढ़ाई करेगा। EMI का डर न हो तो कमाई कौन करेगा। चीन का डर ना हो अमेरिका को तो वो भारत से दोस्ती क्यों करेगा और सबसे बड़ी बात अगर केजरीवाल का डर न हो तो किरण बेदी को वोट कौन करेगा। तो थोड़ा बहुत डरना भी जरुरी है।
बाकी की बाते फिर कभी , उम्मीद है जल्दी जल्दी मुलाकात होती रहेगी .........................