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गंगा चित्रकथा-०४- शेरी मेरा नाम
ये प्रकाशन उन प्रकाशनों में से एक है जिसको मैंने तब पढ़ा जब ये प्रकाशन बंद हो चुके थे वैसे देखने में ये नूतन व नीलम चित्रकथा की बहने लगती है कहानी और चित्र इतने अच्छे तो थे कि अगर उस समय मिल जाती तो मैं इन्हे खरीद कर जरूर पढता। ९० के दशक का एक ढर्रा था की कॉमिक्स और नवल में जासूस होना चाहिए जो देश के दुश्मनो से लड़ता हुवा देश को बचाए। शेरी भी उन्ही जासूसों में से एक है, कहानी तो बिलकुल वैसे ही है जैसे कर्नल कर्ण की मनोज कॉमिक्स में होती थी। सब एक जैसी पर फिर भी बिलकुल अलग लगना बिलकुल समझ के बहार था। पर इतना जरूर है की इन्हे पढ़कर आप सन्तुष्टी प्राप्त करेंगे।
आज मैं अपना कॉमिक्स कलेक्शन देख रहा था या कहूं की अलग कर रहा था तो ये देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुयी की मेरे पास अभी भी इतनी कॉमिक्स है जो की बहुत काम लोगो के पास होगी। उन्हें अपलोड करने में (अगर मैं हर रोज़ भी अपलोड करूँ तो भी) ३ - ४ साल में कही जा कर अपलोड हो पाएंगी जो की कही भी अपलोड नहीं होंगी। मतलब अभी बहुत काम पड़ा है।
आज कल जिस तरह फेसबुक पर लोग कॉमिक्स को लेकर बात करते है ऐसा लगता है बस उन्ही के पास है और किसी के पास कुछ नहीं है। मुझे लगता है ऑरकुट फिर भी ठीक था काम से काम लोग कॉमिक्स अपलोड तो करते है। आज लोग सिर्फ बेचते और खरीदते है। अगर आप सच्चे कॉमिक्स प्रेमी है तो इन्हे बचाने में मदद करें। आप कुछ भी कर लें इन्हे जिंदगी भर संभाल कर नहीं रख सकते। सभी चीज़ों की एक उम्र होती है तो कागज़ की भी होगी। कितना भी सम्भाल लो कागज़ को सड़ ही जाना है। उसे डिजिटल फॉर्मेट में लाइफ टाइम करने के लिए मेरे जैसे लोगो की मदद करें। जिससे हमारा बचपन हमेशा ले लिए जिन्दा रहे।
विचार कीजिये जो मेरे पास है उन्हें तो मैं किसी भी हालत में अपलोड करके बचा लूंगा पर जो मेरे पास नहीं है उसके लिए तो मुझे फिर लोगो की मदद तो चाहिए ही होगी। जितना संभव हो इसमें मेरी मदद करें।