Sunday, May 29, 2016

Ganga Chitrakatha-04-Sheri Mera Naam


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गंगा चित्रकथा-०४- शेरी मेरा नाम
ये प्रकाशन उन प्रकाशनों में से एक है जिसको मैंने तब पढ़ा जब ये प्रकाशन बंद हो चुके थे वैसे  देखने में ये नूतन व नीलम चित्रकथा की बहने लगती है कहानी और चित्र इतने अच्छे तो थे कि अगर उस समय मिल जाती तो मैं इन्हे खरीद कर जरूर पढता। ९० के दशक का एक ढर्रा था की कॉमिक्स और नवल में जासूस होना चाहिए जो देश के दुश्मनो से लड़ता हुवा देश को बचाए। शेरी भी उन्ही जासूसों में से एक है, कहानी तो बिलकुल वैसे ही है जैसे कर्नल कर्ण की मनोज कॉमिक्स में होती थी। सब एक जैसी पर फिर भी बिलकुल अलग लगना बिलकुल समझ के बहार था। पर इतना जरूर है की इन्हे पढ़कर आप सन्तुष्टी प्राप्त करेंगे।
 आज मैं अपना कॉमिक्स कलेक्शन देख रहा था या कहूं की अलग कर रहा था तो ये देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुयी की मेरे पास अभी भी इतनी कॉमिक्स है जो की बहुत काम लोगो के पास होगी। उन्हें अपलोड करने में (अगर मैं हर रोज़ भी अपलोड करूँ तो भी) ३ - ४ साल में कही जा कर अपलोड हो पाएंगी जो की कही भी अपलोड नहीं होंगी। मतलब अभी बहुत काम पड़ा है।
 आज कल जिस तरह फेसबुक पर लोग कॉमिक्स को लेकर बात करते है ऐसा लगता है बस उन्ही के पास है और किसी के पास कुछ नहीं है। मुझे लगता है ऑरकुट फिर भी ठीक था काम से काम लोग कॉमिक्स अपलोड तो करते है। आज लोग सिर्फ बेचते और खरीदते है। अगर आप सच्चे कॉमिक्स प्रेमी है तो इन्हे बचाने में मदद करें। आप कुछ भी कर लें इन्हे जिंदगी भर संभाल कर नहीं रख सकते। सभी चीज़ों की एक उम्र होती है तो कागज़ की भी होगी। कितना भी सम्भाल लो कागज़ को सड़ ही जाना है। उसे डिजिटल फॉर्मेट में लाइफ टाइम करने के लिए मेरे जैसे लोगो की मदद करें।  जिससे हमारा बचपन हमेशा ले लिए जिन्दा रहे।
विचार कीजिये जो मेरे पास है उन्हें तो मैं किसी भी हालत में अपलोड करके बचा लूंगा पर जो मेरे पास नहीं है उसके लिए तो मुझे फिर लोगो की मदद तो चाहिए ही होगी। जितना संभव हो इसमें मेरी मदद करें।

Monday, May 23, 2016

Goyal Comic-32-Akal Ke Andhe




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गोयल कॉमिक्स - ३२ - अक्ल के अंधे 
गोयल कॉमिक्स को मैंने तब पढ़ा था जब राज और मनोज कॉमिक्स राज कर रहे थे इसलिए उस समय इसे ज्यादा पढ़ने का मौका तो नहीं मिला था फिर भी 
यंग मास्टर, चाचा चम्पक लाल मुझे बहुत पसंद आया करता था। वैसे तो मुझे ये बिना हीरो वाली कॉमिक्स पढ़ने में मज़ा नहीं आता था। मेरे समय में तो सुपर हीरो कॉमिक्स का बोलबाला था और मैं इन्हे बहुत पढ़ना पसद करता था। बिना सुपर हीरो की कॉमिक्स मेरे लिए बेकार हुवा करती थी वो तो बाद में पता चला की बिना सुपर हीरो वाली कॉमिक्स कही बेहतर हुवा करती थी। ये कॉमिक्स भी किसी भी सुपर हीरो की नहीं है बस एक सीधी साधी हास्य कॉमिक्स है और सच कहूं तो आप ने चाहे कितने भी बाकेलाल और हवलदार बहादुर पढ़े हो।  इस कॉमिक्स  को आप बिना हसे पूरा नहीं कर सकते। पढ़ कर देखे मज़ा आएगा। 
गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गयी है।  अब मेरे पास भी कुछ  अपलोड करने का समय है। उम्मीद  है की मैं इन छुट्टियों में ज्यादा कॉमिक्स अपलोड कर पाउँगा। 
नया स्कूल ज्वाइन किया था तो सेक्शन ब्रेक का पैसा नहीं मिलेगा (पहले साल छुट्टीओं का पैसा स्कूल नहीं देता है ) वो एक परेशानी मेरे लिए जरूर है। पर  कुछ न कुछ रास्ता तो निकल ही आएगा। अभी स्कूल को लेकर भी मैं पूरी तरह निश्चिंत नहीं हूँ।  एक तो नया स्कूल है दूसरे मेरी छटी इंद्री कुछ खतरे का अहसास दे रही है भगवान् करे सब ठीक हो। बार बार नौकरी बदलना ठीक तो नहीं है। और मेरा ऐसा कोई इरादा भी नहीं है पर देखते है की आगे क्या होता है। 
फिलहाल तो मैं अपने आप कोई विचार विहीन पा रहा हूँ। इसलिए आज इतना ही उम्मीद है अगली बार मेरे साथ ऐसा न हो।  तब तक के लिए विदा।