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मनोज कॉमिक्स-९५४-मुर्दों का बाग़
मनोज कॉमिक्स की एक और बेहतर कॉमिक्स। ये कॉमिक्स भी अभी तक कही अपलोड नहीं हुयी है। आज इसे अपलोड कर रहा हूँ। कॉमिक्स कहानी के नज़र से भले ही बहुत अच्छी न हो पर कुछ नयापन जरूर है। चित्रों का सजीव होना इस कॉमिक्स की विशेषता है। कई चित्र ऐसे है की लगेगा की अभी जिन्दा हो जायेंगे। कहानी के सम्बाद के साथ जब आप चित्रों को देखेंगे तो आप वाह कह उठेंगे। ख़ास तौर पर एक चित्र जिसमे उसके सम्बाद "मैं कोई डायन नहीं हूँ" के चेहरे के भाव को देख कर दिल दहल जाता है। पढ़ कर देखे। ऐसे चित्रों की भरमार है इस कॉमिक्स में पर कहानी का मज़ा ख़राब न हो इसलिए ज्यादा लिख नहीं पाउँगा।
कहानी सुरु होती यही एक बाग़ के दिवार टूटने से। उसके बाद जो उस बाग़ में जाता है अगले दिन उसकी लाश किसी पेड़ से लटकती मिलती है। कारण किसी को समझ में नहीं आता है तो गांव वाले उस बाग़ को पूरी तरह से बंद कर देते है। इसके बाद क्या होता है ये तो आप को कॉमिक्स पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।
जैसा की आप सभी जानते है की मेरा कॉमिक्स के प्रति लगाव है। जिसके के कारण मैंने कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करना शुरू किया था। फिर ब्लॉग बनाया जिससे कॉमिक्स की अपलोडिंग को एक नया विस्तार मिले और ये हमेशा के लिए डिजिटल फॉर्मेट में सेव हो जाये।
आज की तारीख में मेरे पास मनोज कॉमिक्स लगभग पूरी है। राज कॉमिक्स भी लगभग पूरी है। पैसे की तंगी के कारण तुलसी कॉमिक्स बेचनी पड़ी नहीं तो वो भी काफी थी। राधा कॉमिक्स , पवन कॉमिक्स, नीलम , नूतन , प्रभात ,इंद्रजाल , चित्रभारती आदि। कुल मिला कर १५००० से ज्यादा कॉमिक्स। इंग्लिश कॉमिक्स और नावेल भी जोड़ दूँ तो पता नहीं और कितनी हो जाएँगी।
मेरा कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करना लाइन ऑफ़ बिजनेस नहीं है मै टीचर हूँ और अपने परिवार का पेट पालने भर की कमा लेता हूँ। मैं ये भी अच्छे से जनता हूँ की मै इन कॉमिक्स को बहुत दिन तक संभाल कर नहीं रख पाउँगा इसलिए इन्हे स्कैन और अपलोड कर रहा हूँ और आगे भी करता रहूँगा। अगर किसी को ये लगता है कि ब्लॉग मेरी कमाई का जरिया है तो उसे अपने दिमाग का इलाज़ करवाना चाहिए। मनोज कॉमिक्स पूरी तरह अपलोड करना मेरा सपना है और ये जरूर पूरा होगा।
फिर जल्द ही नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है।