Wednesday, January 26, 2011

MCK-232-Aayee Mushibat Bhago

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ये कहानी विमल चटर्जी की लिखी हुवी है जैसा की
उनकी कहानी में होता है की आप को वो सब मिलता है जो
की अच्छी कहानी में चाहिए होता है
ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है
कहानी का मुद्दा है की कौन सा जीवन
जायदा मुस्किल है गृहस्त जीवन
या सन्यासी जीवन , राजा का अनुसार सन्यासी जीवन और
ऋषि के अनुसार गृहस्त जीवन कोई ये मानने को तैयार
नहीं की उनका जीवन कठिन है ,
राजा की बेटी के स्वयंबर में राजकुमारी ने एक ऋषि को पसंद किया
और ऋषि अपने गले में पड़ी माला देखकर भाग खड़ा हुवा,
आगे क्या होता है ये आप पढ़ कर देखिये और किसका जीवन कठिन ये भी
इस कहानी को पढ़ कर ही जान सकेंगे

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