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आनंद चित्रकथा-५४-दो मुर्ख
कहानी के लिहाज़ से कुछ भी नया नहीं लगेगा आपको क्योकि इस तरह की बहुत सी कहानियाँ पढ़ी होंगी आप ने। फिर भी ये आप को गुदगुदाने में सफल है। मूर्खों से मूर्खों वाली हरकतों की ही उम्मीद की जा सकती है यहाँ भी कुछ वैसा ही है। इस कहानी से जो सबसे बड़ी सीख मिलती है वो ये है कि अगर आप मुखों से अपना काम निकलवाने गए तो आप अपना बहुत ही बड़ा नुकशान करवा लेंगे।
Thanks a lot Manoj bhai 👌👌👌👌
ReplyDeleteThanks a lot Manoj bhai. Good to see rare missing comics back again. Plz keep up the good work.
ReplyDeleteबहोत बहोत शुक्रिया एवं धन्यवाद, इस बेहतरीन अपलोड के लिए !!!!!!!! 🙏🙏🙏👍👍👍
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Thanxs a lot bhai.
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