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सुरेंद्र मोहन पाठक- समुन्द्र में खून (सुनील सीरीज )
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक पूरा नावेल स्कैन करूँगा। पर इसे स्कैन करना मज़बूरी बन गया। हुआ ये की मै कॉमिक्स के चक्कर में होल सेल की दुकान पर गया था जहाँ राज कॉमिक्स मिलने की उम्मीद थी पर वहां जा कर निराशा हाथ लगी उन्होंने राज कॉमिक्स मंगवाना बंद कर दिया था। उनके पास नावेल जरूर पड़े थे। मेरे पास वेद प्रकाश शर्मा के दो नावेल थे " विकाश मैकबार के देश में " और "मैकबार का अंत" इसका पहला पार्ट "विकाश और मैकबार" नहीं थी जिसके कारण मै ये सीरीज नहीं पढ़ पा रहा था तो मुझे वहां ये नावेल दिख गयी। वहां से मै थोक में किताबे लता था तो डिस्काउंट के लिए और नावेल सर्च करना शुरू किया था तो चार-पांच नोवेल्स और मिले उनमे से सुरेंद्र मोहन पाठक का "आज क़त्ल हो कर रहेगा" और "समुन्द्र में क़त्ल" थी। मै इस नावेल को
"क़त्ल की रात" से कंफ्यूज हो गया और पढ़ा नहीं। फिर जब मैकबार सीरीज पढ़ी तो मुझे बिलकुल पसंद नहीं आयी मुझे उस पर खर्च किये गए पैसे भारी लगने लगे तो मैंने उन्हें बेचने का फैसला किया तो सुरेंद्र मोहन पाठक की ये नावेल जो मेरे हिसाब से मेरे पास थी वो भी साथ में लगा दी। फिर मेरे एक पुराने मित्र जिन्होंने मेरे से पहले डिजिटल कॉमिक्स खरीदी थी उन्होंने बुक कर ली। और तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दिए तो मन हुआ की पढ़कर देखूं तो जब पढ़ना शुरू किया तो पता चला की ये तो दूसरी नावेल है। फिर मज़बूर हो कर स्कैन करने का मन बनाया और स्कैन कर डाला। नावेल भी पूरा पढ़ डाला। नावेल में तीन कहानी है दो सुनील सीरीज की और एक प्रमोद सीरीज की। मुझे तो अच्छी लगी बाकि आप पढ़ का देखें।
ये बेहतरीन है , आपका शुक्रिया !!!
ReplyDeleteinhe padhna kese ha..sirf image open hoti ha..nothing else
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