Tuesday, June 22, 2021

Bal Pocket Book-Chingariyon Ka Tamasha

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बाल पॉकेट बुक्स-चिंगारियों का तमाशा
 राजन इक़बाल सीरीज़ की एक और बेहतर कहानी। ये सब उस समय की कहानियां है जब मनोरंजन के नाम पर कुछ नहीं था। इसलिए पुस्तकें ही सबसे बड़ा मनोरंजन होता है। पूरा का पूरा वर्ग बता हुवा था किताबो में। किताबों की दुनियां बहुत विस्तारित थी की हर वर्ग के लिए किताबें छापी जाती थी। जैसे कॉमिक्स में चाचा चौधरी, बिल्लू, पिंकी, मामा जी, नाना जी , काका जी आदि। इनके पाठक होते है बहुत छोटे बच्चे जो अभी पढ़ना सुरु किया है या फिर वो पाठक जो की लम्बी कहानियों में उलझा हुवा महसूस करते थे। इसलिए इनकी कहानियां छोटी छोटी और गुड्डुदती हुयी होती थी। फिर आती थी बच्चों का वो समूह जो अब अच्छे से पढ़ और समझ लेता है उनके लिए आती थी ३२ पन्नों की लम्बी कहानियां और सुपर हीरो की कहानियाँ जैसे राम-रहीम, राजन-इक़बाल, नागराज, धुर्व, क्रूक्बोंड आदि। इनके पाठक अब बड़े होते है मतलब ९ से लेकर १५ साल तक के बच्चे। इसलिए इनके लिए कहानियां लंबी और बेहतर लिखी गयी। पर इन्हे जरुरत के हिसाब से कहानियों को बड़ा और विस्तार से लिखा गया इसलिए इनकी भी कहानियां चार चार कॉमिक्स के पूरी की गयी। 
फिर जब पाठक बड़ा होता था तो फिर उसे ३२ या फिर ६४ पन्ने में मज़ा नहीं आता है उसे अब कहानी विस्तार से और उलझी कहानियों पसंद आती थी पर क्योंकि कॉमिक्स के पाठक वो नहीं थे इसलिए उसका मन कॉमिक्स से उठने लगता था। तब वो इन बाल उपन्यास की तरफ आता था। इनकी कहानियां बड़ी होने के साथ ही थोड़ा बेहतर और सटीक होती थी। फिर जब पाठक और बड़ा होता था तो उसे और बड़ी कहानियों के जरुरत होती थी तो वो उपन्यास की तरफ चला जाता था। पर हुवा ये की जब टीवी ने हमारे जीवन में कदम रखा तो सबसे पहले वो छोटे बच्चे जो चित्रों के कारण कॉमिक्स की तरफ आते थे वो आने कम हो गए तो कॉमिक्स ने अपना स्वरुप बदला और कॉमिक्स में अब लंबी कहानियां आने लगी जैसे राम-रहीम, नागराज-ध्रुव की लंबी कहानियां और तो और डोगा, सागर-सलीम,कर्नल कर्ण, महाबली शेरा आदि जिनका टारगेट बड़े पाठक ही थे। इससे जो पाठक बाल पॉकेट बुक्स में जाने थे वो कॉमिक्स में ही रुक गए इसलिए सबसे पहले बाल पॉकेट बुक्स का प्रकाशन बंद हुवा। पर कॉमिक्स अपने पाठक व्यस्क कहानियों के कारण काफी हद तक अपने पाठकों को रोकने में सफल रहा। इसलिए इनके पाठकों में गिरावट सबसे बाद में आयी। लेकिन नए पाठक मिल तो रहे नहीं थे कॉमिक्स को तो बाद में इसका असर २००० के बाद कॉमिक्स इंडस्ट्री में दिखा। क्योंकि अब कॉमिक्स का प्रकाशन कम होने लगा था तो जो पाठक उपन्यास की तरह नहीं जा रहे थे वो उसकी तरफ भी गए इसलिए उपन्यास का प्रकाशन भी चलता रहा। लेकिन समस्या अभी भी वही है की नए पाठक जोड़े जाये। जिसका प्रयास कोई नहीं कर रहा है। और अगर ऐसा रहा तो फिर कॉमिक्स और उपन्यास का प्रकाशन आज नहीं तो कल जरूर बंद हो जायेगा। क्योंकि हम अमर तो है नहीं जो हमेशा जिन्दा रहेंगे। उपाय एक ही है की बच्चों को कॉमिक्स की तरफ जोड़ा जाये। छोटी छोटी और और चमकदार पात्रों के सस्ती कॉमिक्स छापनी होगी। जिससे बच्चों का ध्यान उस पर जाये और वो कॉमिक्स पढ़ने लगे।

इस बाल पॉकेट बुक की स्कैनिंग और एडिटिंग में कुछ एक्सपेरिमेंट किया है जैसे स्कैन करने में कलर स्कैन नहीं दिया है और फिर २०० dip में ही स्कैन किया है। जिससे साइज काफी छोटा हो गया है। पढ़ कर देखें अगर इस साइज में पढ़ने में कोई समस्या नहीं होती है तो छोटी छोटी फाइल में हम सब को बाल पॉकेट बुक पढ़ने में मिलने लगेगा। 
बाक़ी आप सब के विचारों पर निर्भर करता है  

13 comments:

  1. Good Job Manoj Bhai 💐💐💐💐

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  2. धन्यवाद मनोज भाई, इस bpb के लिए और साथ ही साथ ऐसी उम्दा जानकारी साझा करने के लिए। आपके विचार पढ़कर मन प्रफुल्लित हो जाता है :)

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  3. Thanks Manoj Bhai for BPB. Kaafi samay baad koi bpb upload hui hai online

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  4. Thanks a lot Sir for sharing BPB 🙏🙏

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  5. Thank you Manoj Sir
    🙏🙏🙏

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  6. Manoj ji...aapne to aaj kamaal kar diya... BPB was one of the greatest favorite of comic lovers...pls keep posting BPBS...there is no issue of reading at this format....May god keep you always happy & healthy to serve the humanity and keep us always young by such comics...

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