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डायमंड कॉमिक्स-294-लम्बू-मोटू और डॉक्टर अफलातून
ये उस समय की कॉमिक्स है,जब कॉमिक्स ने भारत में अपना प्रभुत्त स्थापित करना शुरू ही किया था।कहानियों के लिहाज़ से इस दौर में जो कुछ भी छपा वो अब तक का सबसे बेहतर है। इस दौर में जो एक बात बहुत पढने को मिली वो थी वैज्ञानिक शक्तियों का दुर्प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों की कहानी। ऐसी कहानियां इतनी ज्यदा रोमांचक और डरावनी (मुझे लगती थी) होती थी की मैं पढने के लिए परेशान भी रहता था और डरता भी था। ये कहानी भी उन्ही कहानियों में से एक है,और बहुत ही बेहतर है। इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते है कि मै डायमंड कॉमिक्स बहुत की कम अपलोड करता हूँ क्योंकि मुझे उनकी कहानियां पसंद नहीं आती और अगर मै ये कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ तो इसकी कहानी अच्छी ही होगी।
पढने के बाद आप खुद इस कॉमिक्स को बार- बार पढेंगे।
पिछली बार जब मैंने कॉमिक्स अपलोड की थी तो मै बहुत थका हुआ था। स्कूल में क्लास टीचर होने के कारण आप को अपने विषय की कॉपी चेक करने के अलावा बच्चो के रिपोर्ट कार्ड बनाना और उनके पूरे साल रिकॉर्ड रखना बहुत थका देने वाला काम होता है जो की मुझे करना पड़ा था।
आज मै आप लोगो से "लोगो के एक दूसरे पर निर्भरता" के बारे में अपने विचार रखूँगा।
जैसा की हम सभी जानते है की मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के कारण हम कही न कही एक दुसरे पर निर्भर रहते ही है। हम इस निर्भरता से हम कभी भी बच सकते। शुरू में हम अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है,फिर अपने टीचर पर,फिर दोस्तों पर,फिर नौकरी पर,फिर बच्चो पर। कहने का ये अर्थ है की निर्भरता हमारी मौत के साथ ही ख़तम होती है और कैयदे से देखा जाये तो मरने के बाद भी आखरी कर्म तक निर्भरता बनी रहती है।
जहाँ तक मेरी बात है मै भी मानता हूँ की इस निर्भरता से बचा नहीं जा सकता है। पर इसे कम जरुर किया जा सकता। और किसी पर निर्भरता हमारी जरुरत हो सकती है पर उसे हमारी कमजोरी नहीं बनाना चाहिए। जैसा की मेरे साथ है। नौकरी पर निर्भर हूँ पर ये मेरी कमजोरी नहीं है।इसी तरह से मै अपने हर रिश्ते को देखता हूँ, मै अपने हर रिश्ते का पूरा सम्मान और आदर करता हूँ और मै उन पर निर्भर भी हूँ पर मेरे कोई भी रिश्ते मेरी कमजोरी नहीं है। मै आज की तारीख में किसी भी रिश्ते के बिना रह सकता हूँ चाहे वो कितने भी जरुरी और फैदेमंद क्यों न हों। मै उन्ही रिश्तों को सम्मान देता हूँ जो रिश्ते मुझे सम्मान देते है।
जहाँ तक मैंने इस जिन्दगी को जाना है की वही रिश्ते और उन्ही लोगो पर हमारी निर्भरता हमारे साथ आजीवन चलती है जिनकी स्थिति और निर्भरता हमारे साथ भी बिलकुल वैसी ही हो। जब हम दूसरे से ही सारी उम्मीद करने लगते है तो भी रिश्तों का अंत हो जाता है।हम दूसरे से पूरी ईमानदारी की उम्मीद करते है और खुद कभी भी इमानदार नहीं होते।
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डायमंड कॉमिक्स-294-लम्बू-मोटू और डॉक्टर अफलातून
ये उस समय की कॉमिक्स है,जब कॉमिक्स ने भारत में अपना प्रभुत्त स्थापित करना शुरू ही किया था।कहानियों के लिहाज़ से इस दौर में जो कुछ भी छपा वो अब तक का सबसे बेहतर है। इस दौर में जो एक बात बहुत पढने को मिली वो थी वैज्ञानिक शक्तियों का दुर्प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों की कहानी। ऐसी कहानियां इतनी ज्यदा रोमांचक और डरावनी (मुझे लगती थी) होती थी की मैं पढने के लिए परेशान भी रहता था और डरता भी था। ये कहानी भी उन्ही कहानियों में से एक है,और बहुत ही बेहतर है। इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते है कि मै डायमंड कॉमिक्स बहुत की कम अपलोड करता हूँ क्योंकि मुझे उनकी कहानियां पसंद नहीं आती और अगर मै ये कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ तो इसकी कहानी अच्छी ही होगी।
पढने के बाद आप खुद इस कॉमिक्स को बार- बार पढेंगे।
पिछली बार जब मैंने कॉमिक्स अपलोड की थी तो मै बहुत थका हुआ था। स्कूल में क्लास टीचर होने के कारण आप को अपने विषय की कॉपी चेक करने के अलावा बच्चो के रिपोर्ट कार्ड बनाना और उनके पूरे साल रिकॉर्ड रखना बहुत थका देने वाला काम होता है जो की मुझे करना पड़ा था।
आज मै आप लोगो से "लोगो के एक दूसरे पर निर्भरता" के बारे में अपने विचार रखूँगा।
जैसा की हम सभी जानते है की मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के कारण हम कही न कही एक दुसरे पर निर्भर रहते ही है। हम इस निर्भरता से हम कभी भी बच सकते। शुरू में हम अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है,फिर अपने टीचर पर,फिर दोस्तों पर,फिर नौकरी पर,फिर बच्चो पर। कहने का ये अर्थ है की निर्भरता हमारी मौत के साथ ही ख़तम होती है और कैयदे से देखा जाये तो मरने के बाद भी आखरी कर्म तक निर्भरता बनी रहती है।
जहाँ तक मेरी बात है मै भी मानता हूँ की इस निर्भरता से बचा नहीं जा सकता है। पर इसे कम जरुर किया जा सकता। और किसी पर निर्भरता हमारी जरुरत हो सकती है पर उसे हमारी कमजोरी नहीं बनाना चाहिए। जैसा की मेरे साथ है। नौकरी पर निर्भर हूँ पर ये मेरी कमजोरी नहीं है।इसी तरह से मै अपने हर रिश्ते को देखता हूँ, मै अपने हर रिश्ते का पूरा सम्मान और आदर करता हूँ और मै उन पर निर्भर भी हूँ पर मेरे कोई भी रिश्ते मेरी कमजोरी नहीं है। मै आज की तारीख में किसी भी रिश्ते के बिना रह सकता हूँ चाहे वो कितने भी जरुरी और फैदेमंद क्यों न हों। मै उन्ही रिश्तों को सम्मान देता हूँ जो रिश्ते मुझे सम्मान देते है।
जहाँ तक मैंने इस जिन्दगी को जाना है की वही रिश्ते और उन्ही लोगो पर हमारी निर्भरता हमारे साथ आजीवन चलती है जिनकी स्थिति और निर्भरता हमारे साथ भी बिलकुल वैसी ही हो। जब हम दूसरे से ही सारी उम्मीद करने लगते है तो भी रिश्तों का अंत हो जाता है।हम दूसरे से पूरी ईमानदारी की उम्मीद करते है और खुद कभी भी इमानदार नहीं होते।
Hi मनोज जी.
ReplyDeleteसबसे पहले आपका शुक्रिया, ऐसे दुर्लभ कॉमिक्स अपलोड करना एक कठिन काम है.
मैं हमारे बचपन को बचाने के आपके प्रयास को सलाम करता हूँ.
हालांकि मेरी एक ख्वाहिश है, मैने एक कॉमिक्स कई कई साल पहले पढ़ी था, नाम था "कटी गरदन का रहस्य" . आज तक दोबारा नही खोज पाया हूं. अगर आपको कभी मिल जाए तो जरुर अपलोड करना.
सर्वप्रथम आप का तहेदिल से धन्यवाद,जो आप ने मेरे इस तुच्छ कार्य को सराहा।
Deleteजहाँ तक बात आपकी पसंद की कॉमिक्स का है तो मै कोशिश कर सकता हूँ यदि आप
मुझे कॉमिक्स की पूरी जानकारी दे सके जैसे वो किस प्रकाशन की कॉमिक्स है और अगर
संभव हो तो उस कॉमिक्स का नम्बर भी बता दे तो मुझे कॉमिक्स अपलोड करने में आसानी होगी।
Thanks Manoj Bro
ReplyDeleteWelcome Brother
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