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नीलम चित्रकथा-४८-लालच का फल
नीलम कॉमिक्स में ये एक शिछाप्रद कहानी है। कहानी पढ़ने लायक है चित्र औसत है। नीलम चित्रकथा १०० के अंदर ही छपी होगी इसलिए इसलिए नीलम कॉमिक्स में जो भी मिल जाये वो सब बहुत ही अध्भुत है। पढ़ कर देखे उन्मीद है आप को पसंद आएगी।
आज मेरा मन कुछ अलग लिखने को कर रहा है।
वैसे तो मैंने इतना पढ़ रखा है की अगर सब में से थोड़ा थोड़ा लेकर लिख दिया जाये तो भी बहुत हो जायेगा। पर आज मै कुछ ऐसा लिखूंगा जो कि मैंने पढ़ा भी कम है और लिखा तो कभी भी नहीं है।
वो है आत्मकथा वो भी मेरी नहीं "आम के पेड़ की"
मैंने जब आँखे खोली तो अपने आसपास अपने जैसे कुछ छोटे भाई बंधू और कुछ बहुत बड़े पेड़ों को पाया। मै अभी बहुत छोटा था मेरे चारो तरफ गोल घेरा बना हुवा था। तभी एक दो पैरों पर चलने वाला प्राणी आया और मेरे गोल घेरे में पानी डाल दिया। मुझे कुछ प्यास सी लग रही थी इसलिए पानी मिलने से मुझे बहुत अच्छा लगा। अब मेरा बात करने का मन कर रहा था इसलिए मैंने अपने से बड़े पेड़ों की तरफ देखा क्योंकि मै जनता था की मेरे तरह वाले सभी मेरी तरह ही अंजान होंगे। जो मेरे बिलकुल बगल में बड़ा पेड़ था उससे मैंने बात करने की सोची।
मै - नमस्कार दादा जी आप कैसे है ????
बड़ा पेड़- नमस्कार बेटा, मै बिलकुल ठीक हूँ।
मै- मेरे मन में ढेर सारी जिज्ञासा है क्या आप दूर करेंगे ???
बड़ा पेड़- हाँ हाँ क्यों नहीं, पूछो
मै- वो दो पैरों पर चलने वाला प्राणी कौन था ??? और हम उसकी तरह क्यों नहीं चल पते ??
बड़ा पेड़- उसे मानव कहते है। क्योंकि हम अपने सारे काम एक जगह पर रह कर कर लेते है इसलिए हमें इन मानवो की तरह भटकने की जरुरत नहीं होती।
मै- हम अपने सारे काम स्वयं ही कर लेते है कैसे ???
बड़ा पेड़ - हमें खाने के लिए जो चाहिए वो जमीन से खुद निकल लेते है। और हम अपना खाना और साँस लेने के लिए हवा भी खुद ही बना लेते है और न सिर्फ
अपने लिए बल्कि इन सब के लिए भी
।
मै-फिर तो हम इनके राजा हुए ये तो हमारी पूजा करते होंगे।
बड़ा पेड़- अरे , ऐसा बिलकुल भी नहीं है ये लोग बहुत स्वार्थी होते है ये सिर्फ अपना फ़ायदा देखते है। इसलिए ये हमें जब मन करता है काट देते है।
मै- सभी मानव ऐसे ही होते है ??? पर एक मानव ने अभी कुछ देर पहले पानी पानी पिलाया था।
बड़ा पेड़- नहीं सभी बुरे नहीं होते। कुछ तो हमारी पूजा भी करते है और ध्यान भी रखते है और तुम्हे पानी पिलाने वाले का स्वार्थ था तुमको पानी देना जिससे
तुम बड़े होकर उन्हें आम कर फल दे सको।
मै-फिर तो ये मानव हमारे लिए बेकार है।
बड़ा पेड़- नहीं ऐसा नहीं है। हमें भी इनकी जरुरत होती है और इन्हे हमारी
।
मै - कैसे ???
बड़ा पेड़- देखो हम चल नहीं सकते और सुरु में हम अपने आप पानी भी नहीं निकाल सकते। जिससे अपने जैसे और पेड़ नहीं ऊगा सकते। ये हमारी जनसँख्या बढ़ाने में हमारी मदद करते है।
मै-अगर ये न हो तो हम ख़त्म हो जायेंगे ???
बड़ा पेड़- सिर्फ मानव ही नहीं चिड़िया और भी जानवर हमारी जनसँख्या फ़ैलाने में मदद करते है।
मै-ये हमें नुकशान भी पंहुचा सकते है ??
बड़ा पेड़- हाँ कर तो सकते है पर हमारे पास भी अपने बचाव के बहुत से तरीके है।
मै - पूरी बात बताइए
बड़ा पेड़- देखो जब हमारे बौर आते है तो बहुत ज्यादा मात्रा में आते है। जिससे अगर कुछ चिड़िया औरअंधी तूफ़ान भी आये तो भी हम बचे रहे।
Remaining in next post
Thanks a lot Manoj bhai. Please upload more missing comics.
ReplyDeleteWelcome brother
DeleteI will try to do that
Waah 👌👌👌👌Thanks a lot Manoj bhai 🙏🙏🙏
ReplyDeleteWelcome brother
DeleteJiyo Manoj Bhai...Upload aur uske sath ki back story content... Sab jabardast 👍👍
ReplyDeleteThanks bhai
Deleteआम के पेड़ की शानदार आत्मकथा के साथ-साथ नीलम कॉमिक्स का ये जबरदस्त अंक के किये धन्यवाद मनोज सर👌👌
ReplyDeleteWelcome brother
DeleteThanks a lot sir 🙏🙏
ReplyDeleteWelcome dear
DeleteThanks a lot Manoj Bhai.
ReplyDeleteAlways like to read your comments too.
Thanks bhai
DeleteThank you so much for this rare comics...🙏🙏🙏
ReplyDeleteThanks Manoj bhai for one more missing rare
ReplyDeleteWelcome brother
DeleteThanxs a lot manoj bhai.
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