Saturday, May 29, 2021

Prabhat Chitrakatha-Hatyara Jamindaar

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प्रभात कॉमिक्स-०७-हत्यारा जमींदार 
ये प्रभात की शुरू की १० कॉमिक्स में से एक है। क्योंकि इस कॉमिक्स में नंबर नहीं  पड़ा है। ये कॉमिक्स दूसरे सेट की तीसरी कॉमिक्स है इसलिए मैंने इस ७ नंबर दिया है। कहानी के लिहाज़ से ये एक एजेंडा कॉमिक्स मान सकते है। वही बकवास कहानी। जमींदार जालिम और कोई छोटी जात का शोषित। मुझे तो कहानी बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी। आप भी पढ़ कर देंखे तो शायद कुछ अच्छा लगे। 
पिछले पोस्ट में मैंने पेड़ की आत्मकथा लिखी थी ज्यादातर लोगो को पसंद आयी अब उस कहानी को इस पोस्ट में पूरा करूँगा। कहानी का विचार मुझे रोज़ सुबह घूमने जाने पर आया। क्योंकि हमारे घूमने के रास्ते में आम के कई पेड़ है उनके पूरे समय नज़र के सामने रहने पर कहानी का विचार आया। किस किस तरह से पेड़ में परिवर्तन आये उसे देखकर और फिर उनके बारे में सोच कर जो विचार मन में आये उन्हें ही कहानी का जामा पहनने की कोशिश की है उम्मीद है आप सब को पूरी कहानी पसंद आएगी। 
इस "पेड़ की आत्मकथा"  का पूरा आनंद लेने के लिए पिछला पोस्ट जरूर पढ़े 
बड़ा पेड़- देखो जब हमारे बौर आते है तो बहुत ज्यादा मात्रा में आते है। जिससे अगर कुछ चिड़िया औरअंधी तूफ़ान भी आये तो भी हम बचे रहे।
मै- बस यही तरीका है ???
बड़ा पेड़- नहीं हम कदम पर अपनी रक्षा का इंतज़ाम करते है। जब हमारे फल थोड़े बड़े होते है तो हम उन्हें खट्टा रखते है जिससे पक्षी हमारे छोटे फल को न खाएं। फल के अंदर के बीज तो हम बिलकुल जहर जैसा कड़वा रखते है जिससे अगर उसके बाद भी कोई खाना सुरु करे तो उसके बाद भी न खाये। 
मै- वाह ! फिर तो हमारे सारे फल बच जाते होंगे। 
बड़ा पेड़- अरे नहीं , ये जो दो पैर वाले है न ये तो सब खा लेते है छोटे को कच्चे आम की चटनी बना कर और बड़े कच्चे आम को भी चटनी और अचार भी बना कर खा लेते है।  हमारे बीज को भी थोड़ा सड़ा कर खाने लायक कर लेते है। 
मै- अरे बाप रे ! ये तो सब खा लेते है और कभी भी हमें काट भी सकते है।  इनके रहते तो हमारा अस्तित्व खतरे में है। 
बड़ा पेड़- हमारे लिए तो शायद ऐसा नहीं है पर हाँ बाकी पेड़ों के लिए ये बहुत बड़ा खतरा तो है। यही कारण है की धरती की जलवायु परिवर्तन को समय पर हम नहीं करवा पा रहे है।  लेकिन इतना तो तय है की अगर हम नहीं तो ये भी नहीं और ये बात कुछ मनुष्य समझ रहे है। 
मै- मनुष्यों से तो हम जल्दी बच नहीं सकते पर बाकी के लिए और क्या करते है हम सब ???
बड़ा पेड़- पहले तो छोटे फल और फल जब तक कच्चे रहते है तब तक उनका रंग हरा रहता है जिससे पक्षी हमारे फलों को आसानी से  ढूंढ नहीं पाते है। 
मै- फिर हम फलों को लाल क्यों होने देते है ???
बड़ा पेड़- अरे मुर्ख ! हमारा काम इन फलों की मदद से अपनी जनसँख्या बढ़ाना है अगर ये फल लाल नहीं होंगे तो कोई उन्हें देख नहीं पायेगा। और उनमे अगर औरों के लिए खाना नहीं होगा तो उसे खाएंगे ही क्यों ???
मै- समझा नहीं ठीक से समझाइए 
बड़ा पेड़ -देखो संसार में कोई भी काम मुफ्त में और बिना कारण नहीं होता।  इसलिए जब तक हमारे फल कच्चे होते है और हम अपने बीज की अच्छे से रक्षा हेतु जाल न तैयार कर लें तब तक हम उन्हें छुपाते है। लेकिन जैसे ही हमारा काम ख़त्म हो जाता है हम उसे अच्छा और रसीला बना देते है और उसका रंग लाल कर देते है जिससे पक्षी और मनुष्यों को पता चल जाये की ये खाने योग्य हो गए है। इसके बाद का सारा काम हमारे अनुसार ही  होता है।  मनुष्य और पक्षी खाने के बाद हमारी आम की गुठली को इधर उधर फेक या गिरा देते है जिससे उस जगह हमारे नए साथी उग आते है। क्योंकि हम अपना फल बारिश के समय तैयार करते है और उस समय बारिश हो रही होती है तो पानी की समस्या भी हमें नहीं रहती है। फिर एक बार हम धरती से जल निकालने लग जाये फिर हमें बारिस की भी जरुरत नहीं होती। 
मै-वाह ! अब समझा सभी बात को।  फिर तो और पेड़ पौधे भी ऐसा ही कुछ करते होंगे उनके बारे में भी बताईये। 
बड़ा पेड़ - तेरे बाप का नौकर नहीं हूँ। बहुत बता दिया तुझे। अब कोई बकवास मत करना। बहुत हो गया। 
मै- मन ही मन में (मै जान कर तो सब रहूँगा। पहले तो आप ही बताएँगे नहीं और भी तो है )


20 comments:

  1. Waah👌👌👌👌 Thanks a lot Manoj bhai, 🙏🙏🙏

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  2. Nice upload👌👌many many thanks for sharing comic and story🙏🙏

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  3. Thanks Manoj Bhai
    Good Continuation of story too

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  4. Thanks bro.please upload all Tiger comics of Prabhat chitra katha

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  5. BAHUT HI ACCHI KAHANI HAI BHAI. GOD BLESS YOU

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  6. Manoj Bhai aap bhee Jaativadi pandit hee nikley , kaunsi comics hai jo ghisi peeti agenda wali kahani nahee dikhati

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