Tuesday, April 23, 2013

Indrajaal comics-Vol-26-01-Rahesymaye Joda


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इंद्रजाल कॉमिक्स--Vol-26-01-रहेस्यमय जोड़ा
 इंद्रजाल कॉमिक्स, हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन का पहला कॉमिक्स प्रकाशन। यही कारण है कि इस कॉमिक्स प्रकाशन का संग्रह 90% हिंदी कॉमिक्स संग्रहकर्ता करना चाहता है।(मै उन 10% में से हूँ ). इस कॉमिक्स प्रकाशन ने मुझे कभी भी ऐसा आकर्षित नहीं किया की मेरा मन इनका संग्रह करने के लिए पागल हो जाए। संग्रह करने के लिए अगर किसी प्रकाशन ने मुझे पागल बनाया था तो वो है राज कॉमिक्स जिसके नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स का संग्रह मैंने पागलों की तरह किया। यहाँ तक इन दोनों की एक कॉमिक्स के लगभग ५-५ कॉमिक्स होगी। बस नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स हो तो मुझे ये फर्क नहीं पड़ता है की वो कॉमिक्स मेरे पास है की नहीं मै उन्हें खरीद ही लेता हूँ।
उसके बाद मनोज कॉमिक्स में "टोटान","विध्वंस","जटायु","आक्रोश", और "राम-रहीम", की कॉमिक्स भी मैंने पागलों की तरह से ढूढ़- ढूंढ़ कर इकट्ठी की। बाकी का तो ऐसा है की मिल गई तो संग्रह हो गया और नहीं मिला तो कोई बात नहीं है। हाँ इतना जरुर रहा की संग्रह में आने के बाद उन कॉमिक्स से भी मुझे वही प्यार रहा जो मेरी मनपसंद से था पर पैसा देते समय मैंने उन्हें उतना प्यार कभी भी नहीं दिया होगा और ना ही आगे ऐसा करने का कोई इरादा है।
 हाँ कुछ लोगो ने मेरी इस आदत का गलत मतलब लगाया था और उन कॉमिक्स की मांग की। पर मेरे लिए ये बात कुछ ऐसी ही है जैसे की आप नहीं चाहते की आप का अभी कोई बच्चा हो पर अगर हो जाये तो आप उसे किसी भी बच्चे से कम प्यार नहीं देते और कभी कभी ज्यदा ही प्यार देने लगते है। संग्रह में आने के बाद वो कॉमिक्स मेरे लिए बाकी कॉमिक्स की तरह ही प्यारी है और मैं उन्हें किसी को देने में उसी तरह से असमर्थ महसूस करता हूँ,जैसे अपनी मनपसंद कॉमिक्स को देने में करता हूँ।
 जैसा की आप सब को पता ही होगा कि आजकल मै बुरी तरह से व्यस्त हूँ। मेरा बच्चा भी अब स्कूल जाने लगा है वो भी मेरे ही साथ,उसके ले जाना और फिर ले आना। और फिर उसके बाद कोचिंग के लिए दुबारा जाना बहुत थका देने वाला काम है। स्कूल सुबह ७:१५ से लगता है पर एक एक्स्ट्रा क्लास लेने के कारण ७:00 स्कूल पहुचना होता है और स्कूल मेरे घर से १० km है मतलब ६:३० पर घर छोड़ना,और १:०० बच्चे को लेकर वापस घर और फिर ३:०० बजे से वापस १५ km घर-घर जाकर पढ़ना जो की रात के १०:०० बजा देता है। उसके बाद कुछ भी करने की हिम्मत नहीं पड़ती , कॉमिक्स स्कैन करना तो दूर की बात है।
मै इस तरह की जिन्दगी का आदी भी नहीं था इसलिए थकान कुछ ज्यदा महसूस हो रही थी पर अब मुझे कुछ आदत सी पड़ने लगी है और स्कूल में काम करने का जो सबसे बड़ा फ़ायदा है वो ये की वहां छुट्टियाँ खूब पड़ती है। गर्मियों की छुट्टियाँ तो अभी आनी ही है और भी बहुत छुट्टियाँ होती है। उम्मीद है कि मै स्कूल की छुट्टियों का सही इस्तेमाल कर के कॉमिक्स स्कैनिंग और अपलोड में थोड़ी तेज़ी ला पाउँगा बाकी तो सब समय के हाथ में है।

Friday, April 12, 2013

Star Comics-06-Jaduyi Chirag Aur Adamkhor Ped


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स्टार कॉमिक्स-0६-जादुई चिराग और आदमखोर पेड़
 स्टार कॉमिक्स की मै ये चौथी कॉमिक्स अपने ब्लॉग पर अपलोड कर रहा हूँ। वैसे तो स्टार कॉमिक्स की मैंने कई कॉमिक्स अपलोड की है पर ब्लॉग पर सिर्फ तीन ही है। अगर मै अपनी बात करूँ तो स्टार कॉमिक्स को मै ज्यदा तो पसंद नहीं करता। पर इनकी मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों को जो कॉमिक्स के रूप में छापा है उसका कोई जबाब नहीं है। उस सिरीज़ में कुल ४ कॉमिक्स छापी गयी है जिनमे है "ईदगाह","पन्च परमेश्वर",बेटों वाली विधवा" और "पूश की रात". इनमे से तीन कॉमिक्स मैंने खुद अपलोड की है और एक जहीर भाई (पूश की रात) ने अपलोड है और ये सारी कॉमिक्स नेट पर मिल जानी चाहिए।
ये सारी कॉमिक्स मेरे पास है और मै इन्हें दुबारा अपलोड करने की सोच रहा हूँ और जब भी समय मिलेगा जरुर दुबारा स्कैन करूँगा। फिलहाल आप इस बेहतर कहानी का आनंद मै आप सब से फिर नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ।

Wednesday, April 3, 2013

IndrajaalC-Vol-25-05-Masum Gunahgar


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इंद्रजाल कॉमिक्स-Vol -25-05-मासूम गुनाहगार
 एक और बहुत ही बेहतर कॉमिक्स अनजान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य" सिरीज़ की। जैसा की आप ने इस से पहले अपलोड कॉमिक्स "सुलगता पाप" में पढ़ा होगा की कहानी बहुत ही सरल होने के साथ बहुत ही दिल को छूने वाली होती है,उस कॉमिक्स में युवा के नशे को लेकर समस्या पर बड़े प्यार से लिखी गयी कहानी थी। बहुत ही सरल और सीधे तरीके से।
 अनजान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य" की कॉमिक्स सबसे बेहतर बात जो मुझे लगता है वो ये है कि ऐसा लगता है की जैसे ये अभी कुछ देर बात कही जाते हुवे हम को मिल जायेगा। हर आदमी में उसकी परछाई नज़र आने लगती है।
 ये कहानी भी कुछ वैसे ही है इस कॉमिक्स में लेखक ने बड़े ही सरल तरीके युवाओं के अकेलेपन और उस अकेलेपन में कारण भटकने की बात को दर्शाता है। पर ये भटकाव इतना ज्यदा भी नहीं है कि वो अपनी मौलिक अच्छाई को पूरी तरह से भूल गया है। इस कहानी को पढने के बात आप कुछ ऐसा सुकून महसूस करेंगे की कहना ही क्या। आप इस बेहतर कॉमिक्स और कहानी का आनंद ले फिर जल्दी ही दुबारा मिलता हूँ।