Tuesday, December 6, 2016

Nutan Comics-77- Jawaharaat Ki Lashen


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नूतन कॉमिक्स-७७-जवाहरात की लाशें
 सर्वप्रथम तो इस कॉमिक्स के कुलविंदर सिंह सोना जी को तहे दिल से धन्यवाद। नूतन कॉमिक्स अपने आप में एक बड़ा प्रकाशन हुवा करता था। इनकी कॉमिक्स में मेघदूत और भूतनाथ की कॉमिक्स की बहुत मांग हुवा करती थी। जिसका एक बहुत बड़ा उदहारण प्रस्तुत कॉमिक्स है। ये कॉमिक्स वैसे तो अमर-अकबर सिरीज़ की है पर कवर पेज पर भूतनाथ का चित्र बना हुआ है। इस कॉमिक्स के कवर पर भूतनाथ का चित्र बना कर भूतनाथ की माग को भुनाने की कोशिश की गयी है।
 कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स अच्छी है। सरल कहानी और अच्छे चित्रों से सजी इस कॉमिक्स को भूतनाथ के नाम के बैशाखी की जरुरत नहीं थी।
 कहानी सुरु होती है अमर-अकबर के एक तालाब में मछली पकड़ने से। जहाँ मछली के काटे में लाश फसती है। जब दोनों उस बात की जानकारी देने के लिए इंस्पेक्टर बलबीर के पास जाते है। इंस्पेक्टर के साथ वापस पहुँचने पर लाश गायब होती है। आगे दोनों क्या करते है ये तो आप कॉमिक्स पढ़ कर ही जान पाएंगे।
 कहानी अच्छी है। पढ़ने में मज़ा आएगा।
 आज कल अगर कोई बात सबसे ज्यादा चर्चा में है तो वो है नोट बंदी। सरकार के नोट बंदी के बाद देश में पैसे को लेकर हालात अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं है। पर जो भी हो मैं इस नोट बंदी का पूरी तरह समर्थन करता हूँ। कोई कुछ भी कहे पर सरकार का इरादा १०० % सही है। एक बात मैं यहाँ पूरी तरह से कह देना चाहता हूँ। कि मैं जन्म से हिन्दू हूँ और मुझे अपने धर्म पर गर्व है। और मैं मैंने धर्म की बात मौके-बेमौके करता रहता हूँ। जिसको इस बात से परेशानी है वो मुझ से अलग हो सकता है। मेरे विचार भारतीय जनता पार्टी से भी मिलते है तो मेरे लेखों में उनके प्रति मेरा झुकाव साफ़ दिखाई दे जायेगा। मैं राजनीति नहीं करता इसलिए मुझे किसी के नाराज़ होने नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे विचारों से आप असमत होने पर सभ्य तरीके से अपना विरोध दर्ज करवा सकते है। मैं फेसबुक प्रोफाइल से कभी भी किसी को टैग नहीं करता (अनजाने में हो जाये तो नहीं कह सकता) इसलिए अगर आप के कोई विचार मेरी विचारधारा से मेल नहीं करता तो आप मुझे टैग न करें। आप अपनी प्रोफाइल में कुछ करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता पर मुझे मेरी विचारधारा के विरुद्ध टैग न करें। मैं अपने विचार सिर्फ अपने फेसबुक पेज या फिर अपने ब्लॉग पर लिखता हूँ। आप को अच्छा लगे तो कुछ कहे न लगे तो विरोध सभ्य तरीके से दर्ज करें। और अगर आप ऐसा करने में असमर्थ रहते है तो मुझ से भी किसी सभ्यता की उम्मीद नहीं रखे। नोट बंदी पर जैसा रिएक्शन कुछ लोगो का आ रहा है वो वाकई निराशाजनक है। ममता बैनर्जी समझ में नहीं आता तो वेस्ट बंगाल की CM है या बंगादेश देश की PM . इनका और केजरीवाल का रिएक्शन तो ऐसा है जैसे इनकी नकली नोटों की प्रिंटिंग प्रेसः बंद हो गयी हो। गटिया राजनीति की ये पराकाष्टा है। ये दोनों ये भूल रहे है की ये तभी तक है जब तक हमारा देश है। क्यों भारत को सोमालिया और इराक बनाने की कोशिश हो रही है। नोटबंदी से परेशानी है तो उसे दूर करने का उपाय बताएं। बुजुर्गों को परेशानी ज्यादा है उनके लिए हफ्ते के एक दिन हो जिस दिन सभी बैंक सिर्फ उनके लिए काम करें। कुछ ATM सिर्फ शादी वालों के लिए ही हों। कुछ बैंक सिर्फ मरीज़ों के घरवालों के लिए ही काम करें। ऐसे कई सुझाव जो सरकार को दिए जा सकते है। पर नेताओं को तो लगता है की जनता को और परेशान करों कि वो हमारी तरफ हो जाये। सच कहूँ तो जब से मैंने जब होश संभाला तो कांग्रेश तो पसंद करता था राजीव गाँधी के कारण। फिर वाजपई जी और अब मोदी जी को पसंद करता हूँ। मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की नेता मेरी सुनता है की नहीं मुझे सिर्फ इस बात से फर्क पड़ता है कि वो सिर्फ एक की सुनता है। जैसे मायावती के राज में होता है कि अगर कोई दलित आप की शिकायत कर दे तो चाहे आप सही हो या गलत आप को सजा मिल कर रहेगी। वही मुलायम सिंह राज में है अगर आप यादव या मुस्लिम है तो फिर आप गलत हो ही नहीं सकते। मेरे पडोसी की एक छोटे यादव नेता से जान पहचान है। जिसका फ़ायदा उठा कर उन्होंने आधी सड़क पर स्लेप बनवा लिया है। सभी जगह शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं होता। नगर पंचायत ने लिखित में स्लेप तोड़ने को दिया फिर भी कुछ नहीं हुवा क्योंकि यादव जी का हाथ है। मुझे ऐसे लोग नहीं चाहिए। मुझे ऐसे लोग चाहिए तो सही को सही और गलत को गलत कहे। फिर मिलता हूँ एक नयी कॉमिक्स के साथ तब तक के लिए विदा।

Sunday, November 6, 2016

Indrajaal Comics-106-HeronBhara Kutta



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इंद्रजाल कॉमिक्स-१०६-हीरों भरा कुत्ता
 जैसा की मैं पहले भी लिख चूका हूँ कि इंद्रजाल कॉमिक्स मुझे कभी भी लुभा नहीं पाई इसी कारण कभी इसका कलेक्शन करने का मन भी नहीं हुआ। इसलिए इसकी बहुत कॉमिक्स मेरे पास होने का तो सवाल ही नहीं उठता है। अब अगर कलेक्शन करने का मन भी करे तो संभव नहीं है। इसकी कीमत के कारण। ये कॉमिक्स मेरे एक जानने वाले दूकानदार ने बेचने के लिए मुझे दिया था तो बेचने से पहले मैंने इसे स्कैन कर लिया। वैसे तो ये कॉमिक्स पहले से कही अपलोडेड है। फिर भी मैं इसे अपलोड कर रहा हूँ।
आप ने एक बात जरूर नोट की होगी की आगस्ट से अक्टूबर तक काफी कॉमिक्स अपलोड की है। कारण सीधा सा था इन बीच मैं फिर से बेरोज़गार हो गया था। अब तो ऐसा लगता है कि जैसे की सारा जहान लुटेरों और बेईमानो से भरा हुआ है। हर किसी को अपने फायदे के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आता। लोग अपने एक रूपये के फायदे के लिए आप का हज़ार का नुकशान करने को हमेशा तैयार रहते है। एक साल में अपने साथ दो बार एक जैसे आचरण के कारण मैं अभी तक सदमे में हूँ। समझ में नहीं आ रहा है की मेरे आचरण में परेशानी है या फिर ये दुनिया रहने लायक नहीं है। जो भी हो मुझे अब इस उम्र में अपने आप को बदलना सम्भव नहीं लगता है। और दुनिया को मैं बदल नहीं सकता। देखते है जिंदगी आगे कैसे चलती है।
 जैसा की आप सब को पहले से ही पता है की पिछली साल अक्टूबर २०१५ को मेरे स्कूल सेंट अंटोनी इंटर कॉलेज से जाना पड़ा था। जिसके कारण मुझे कही तो नौकरी करनी ही थी। पर बीच सेक्शन में नौकरी मिलना असंभव ही था। पर मैंने जिस तरह से उन दिनों नौकरी ढूंढी वो भी कमाल ही था। हर रोज़ काम से काम ५ स्कूल में सी.वी ड्राप करना मेरा हर वर्किंग दिन का काम था। कई स्कूल ऐसे थे जहाँ सिलेक्शन होने के बाद भी फर्स्ट चॉइस न होने के कारण हो नहीं रहा था। न्यूज़ पेपर की नौकरियों को तो मैंने ऐसे भरा था की मुझे ये भी याद नहीं रहता था की कहाँ -कहाँ मेल किया है और कहाँ नहीं। फिर एक दिन रात को लगभग ९:२० पर मिस्टर अरुण सिंह का फ़ोन आया उन्होंने मुझे अपने स्कूल अरुणोदय पब्लिक स्कूल जो की बाराबंकी में है उसके लिए ऑफर किया। फ़ोन पर ही पूरा इंटरव्यू ले लिया। मेरी नॉलेज से वो काफी प्रभावित थे। स्कूल मेरे घर से ४० किलोमीटर दूर था तो मेरा ज्वाइन करने का मन नहीं था। मुझे सिर्फ एक बार मिलने के लिए राज़ी किया गया। वहां जाने पर मुझे किसी भी तरह ज्वाइन करवाने की तैयारी की गयी थी। कम से कम जितनी सैलरी मुझे चाहिए थी उतने के लिए हाँ कर दिया। मुझे और टीचर्स से ३० मिनट पहले छोड़ने को भी तैयार हो गए। मुझे नौकरी चाहिए भी थी तो मैंने ज्वाइन कर लिया। फिर उन्होंने मेरे से स्कूल अफ्फिलिएशन के लिए कुछ और ट्रैनेड टीचर्स को देने की रिक्वेस्ट की। तो मैंने उन्हें अपने साथ बी.एड किए तीन और अपनी वाइफ के डोकोमेँट दे दिए जिससे स्कूल को जल्दी से अफ्फिलिएशन मिल सके। मेरे मित्रों में से दो ने ही स्कूल ज्वाइन किया। बाकी दो अगर अफ्फिलिएशन के लिए टीम आती तो वो स्कूल में आ जाते।
 एक महीना अच्छे से चला पर जब सैलरी आयी तो पता चला १० % कटौती होती है जिससे कोई बीच में स्कूल छोड़ कर न जा सके। उन्ही बीच मेरा जय पुरिया स्कूल में हो गया। सैलरी दोनों जगह एक ही थी तो मैंने अरुण सिंह से बात की। अगर आप को मुझ से कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे बता दें। मेरा जैपुरिया में हो गया है मैं वहां चला जाऊंगा। यहाँ तो मैं बिना कटौती के ही काम कर सकता हूँ। जैसा की मुझे उम्मीद थी उन्होंने मेरी सैलरी की कटौती वापस ले लिए और कुछ तो कटौती के नाम पर ३% ही कटौती रह गयी। मुझे भी लगा एक महीने से मैं यहाँ पर हूँ। जल्दी स्कूल बदलना भी ठीक नहीं है। तो मैंने वही रुकने का फैसला कर लिया। फिर स्कूल में मैनजमेंट में परिवर्तन सुरु हुए। प्रिसिपल बदली और अरुण सिंह ने अपने रिस्तेदार को स्कूल का एडमिन बना दिया। मिस्टर अरुण सिंह केमिकल इंजीनियर है दुबई में तो आल्टरनेट महीने ही स्कूल में रह पाते है। क्योंकि ये परिवर्तन सीधा मेरे से सम्बन्ध नहीं थे इसलिए मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ना था। पर ये परिवर्तन धीरे-धीरे असर दिखाने लगा। प्रिसिपल अनुपमा ने अपने अनट्रेंड टीचर्स को रखने के लिए पुराने टीचर्स को निकालना शुरू कर दिया। कोई भी तर्क दे कर। मेरे लिए ये कोई नहीं बात तो थी नहीं। चुप रहना ही ठीक लगा। जुलाई ३१ को माँ की तबियत ठीक न होने के कारण स्कूल नहीं जा पाया तो मेरे मोबाइल पर मेरा टर्मिनेशन लेटर आ गया की आप प्रिंसिपल से की गयी बात बच्चों से शेयर करते है। मज़ेदार बात तो ये थी की ३० को जब मैं प्रिंसिपल से मिला था उसके बाद मैं उस क्लास में गया ही नहीं था जिस का नाम उन्होंने लेटर में दिया था। क्योंकि उस क्लास में मेरा पीरियड ही नहीं था। फिलहाल मैंने इनकी भी शिकायत सी.बी.यस.सी को,लेबर कोर्ट में , सी यम को और भी कई जगह कर दी है। पर हमारे देश का घटिया कानून है इसमे शिकायत करता को ये साबित करना पड़ता है कि उसकी शिकतायत सही है। शोषण करने वाला हमेशा सही ही होता है। मेरे पास ५ महीने के बैंक रिकॉर्ड है जिसमे स्कूल के द्वारा दी गयी सैलरी है। बच्चो के वॉट्सआप के मैसेज है जो ये साबित करता है की मैं उनकी क्लास में नहीं गया था। और उन्हें मेरी क्लास में पढ़ना पसंद था। लेवर कोर्ट को कंप्लेन किये हुए २ महीने से ज्यादा हो चूका है वहां से कोई उत्तर नहीं है। बाकि सब भी मौन है।सी एम और पी यम की तरफ से सिर्फ कंसर्न डिपार्टमेंट को केस ट्रांफर करने की ही खबर है। एक्शन अभी तक कोई नहीं है। यहाँ तक जो मेरा पेंडिंग आमउंट स्कूल से आना था उसे देने के एक हफ्ते बाद मेरे अकाउंट से निकलवा लिया। वो भी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया जैसे बैंक से। कंप्लेन का कोई सही उत्तर बैंक भी नहीं दे रहा है। ये समय मेरे लिए बहुत घटिया गुज़रा है। मेरा मन कही भी काम करने का नहीं था। पर एक शुभचिंतक के कारण एक बहुत अच्छे स्कूल में २४ सितम्बर को ज्वाइन किया है। पर अब कुछ अच्छा नहीं लगता है। जिन सब के लिए मैंने इतने दिन काम किया। न के बराबर लेट होना चाहे १० किलोमीटर दूर हो चाहे ४० किलोमीटर दूर। एब्सेंट तो होना ही नहीं होता है मुझे। क्लास से कभी शायद ही कंप्लेन हो।शायद ही क्लास का कोई बच्चा हो जिसे मुझसे पढ़ाई के मामले में फ़ायदा न पंहुचा हो। फिर भी बार-बार मेरे साथ ऐसा क्यों ? छोडूंगा तो नहीं मैं इनको भी। पर प्राइवेट नौकरी करने वालों से अच्छे ईद के बकरे होते है जो एक दिन ही दर्द झेलते है प्राइवेट नौकरी वाले तो रोज़ हलाल होते है।

Wednesday, October 26, 2016

Manoj Comics-898-Lashon Ki Mala


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                                                                              Edited by-Shrichand Chavan
मनोज कॉमिक्स-८९८-लाशों की माला
 ये कॉमिक्स कम से कम भूतों से सम्बन्ध नहीं है। और ये कॉमिक्स ९०० तक की अपलोडिंग की आखरी पेंडिंग भी है। इसे एडिट श्रीचंद जी ने किया है। कहानी अच्छी है और जो एडवेंचर को पसंद करते है उन्हें अच्छी लगेगी। चित्र अच्छे अच्छे बने है।
 कहानी शुरू होती है एक जंगल में तस्करों की मुठभेड़ से। उसके बाद बचा हुवा तस्कर जंगल में भटक जाता है। जहाँ उसे एक कीमती माला नज़र आती है जिसकी रखवाली एक पुजारी कर रहा होता है। पुजारी का सारा तांत्रिक ज्ञान भी तस्कर को माला ले जाने से रोक नहीं पाता है। इस प्रयास में तस्कर के हाथ पुजारी मारा जाता है। जो वो श्राप देता है की जिसके गले में माला होगी उसकी मौत हो जाएगी। इसके  बाद  उस माला ने क्या क्या गुल खिलाए ये तो आप को कॉमिक्स पढ़ की ही पता लगेगा।
 फिर जल्द ही दुबारा मिलते है।

Monday, October 24, 2016

Manoj Comics-895-Hatyara Loket


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मनोज कॉमिक्स-८९५-हत्यारालॉकेट
मनोज कॉमिक्स में एकऔर हॉरर कॉमिक्स।अभी तक कीअपलोडिंग में मेरेहिस्से ज्यादातर तो हॉररकॉमिक्स ही अपलोडकरना आया है।इस कॉमिक्स केअपलोड के अलावाएक और कॉमिक्सअपलोड  करनेके बाद ९००कॉमिक्स तक अपलोडहो जाएगी। मनोजकॉमिक्स पूरी तरहअपलोड करना अबमेरे लिए पूरीतरह संभव है।मैं इस सालके अंत तकये पूरी तरहसे अपलोड करनेके पूरी कोशिशकरूँगा।
अब बात इसकॉमिक्स की करली जाये , कहानीशुरू होती हैएक शेठ कीबेटी की शादीसे जिसमे एकमेहमान लड़की कर दुल्हन कोएक लॉकेट गिफ्टकरती है। जोकी तांत्रिक अनुसन्धानके द्वारा दूल्हेके परिवार कोमारने के लिएहै। फिर शुरूहोता है भूतोंका तहलका। 
  इसके बादक्या होता हैये तो आपको कॉमिक्स पढ़कर ही पताकरना पड़ेगा।

पढ़ कर देखेउम्मीद है येकॉमिक्स आप सबको पसंद आएगी।

Saturday, October 22, 2016

Manoj Comics-894-Maut Ka Karz


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मनोज कॉमिक्स-८९४-मौतका क़र्ज़
कहानी और चित्रदोनों के लिहाज़से कहानी औसतहै। पढ़ने लायकतो है परमुझे तो बहुतअच्छी नहीं लगी।कहानी की कुछबाते बिना मतलबलगाती है। शुरूके कुछ पेजतो ऐसा लगताहै उनका कहानीसे कोई लेनादेना नहीं है।जो आदमी अपनीबेज्जती का बदलानहीं लेता अपनीतांत्रिक शक्तियों की मददसे तो अपनेदत्तक पुत्र कोवो करने देताहै जो कीसमझ के परे  लगताहै।

कहानी शुरू होतीहै एक तांत्रिकके एक बच्चेको भूत सेबचाने  केप्रयास से। जिसमेवो असफल होताहै और लोगउसे हत्यारा समझकर गाँव  से निकाल  देतेहै। और फिरअगले पेज सेएक नया घटनाक्रमशुरू हो जाताहै एक परिवारकी हत्या होती हैजिसमे अपराधी पूरे परिवार को मारदेते है औरबच्चे को खिड़कीसे बाहर फेकदेते है। इसकेआगे जानने केलिए आप कोकॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी।पढ़ कर देखे।

Friday, October 21, 2016

Manoj Comics-876-Hatyari Gudiya


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मनोज कॉमिक्स-८७६-खुनीगुड़िया
मनोज कॉमिक्स की एकऔर हॉरर कॉमिक्स।जैसा की मैंपहले ही लिखचूका हूँ किइन कहानियों मेंलेखक के पासलिखने को कुछहोता है नहीं।बस कहानी एकरूपता के साथचलती रहे औरआप को डरानेमें सफल होजाये तो कॉमिक्सका पढ़ना सफलमाना जा सकताहै।
कहानी शुरू होतीहै एक परिवारके विदेश सेस्वदेश वापस लौटनेसे। एयर पोर्टपर कुछ सोनेके स्मग्लर अपनेसोने को बचानेके लिए बच्चेके गुड़िया मेंवो सोना छुपादेते है। औरपरिवार के पीछाकरते है। घरपहुँच कर सोनालेने के चक्करमें पूरे परिवारका खून करदेते है।उनके जानेके बात बच्चेका चाचा किसतरह से बच्चेकी गुड़िया केमदद से अपनेपरिवार की मौतका बदला लेताहै। वो हीइस कहानी कामूल आधार है।

पढ़े, कहानी अच्छी हैऔर चित्र भीअच्छे बने हैपढ़ने में आप को जरूर अच्छा लगेगा।

Thursday, October 20, 2016

Manoj Comics-868-Maut Dunga Hatyron Ko


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मनोज कॉमिक्स-८६८-मौतदूंगा हत्यारों को
मनोज कॉमिक्स में हॉररमें ये कॉमिक्सअभी तक अपलोडेडसभी कॉमिक्स सेबेहतर है। कहानीके लिहाज़ सेतो बेहतर हैही चित्रो कातो जबाब हीनहीं है।
कॉमिक्स की कहानीमें नयापन तोहै ही चित्रोभी खूब बनेहै। कहानी औरचित्रो के अलावाजो चीज़ मुझेइस कॉमिक्स मेंअच्छी लगी हैवो जानवरों केप्रति प्रेम औरसदभावना को भीबढाती है।इसे तोहर किसी कोपढ़ना चाहिए।

कहानी शुरू होतीहै एक फारेस्टऑफिसर  केजानवरो और जंगलके खिलॉफ कार्यवाहीको लेकर। ऑफिसरइतना ईमानदार कीउस पर किसीबात का कोईफर्क नहीं पड़ताहै। वो तयकर लेता हैकी जानवरों औरजांगले का दोहनरोक कर रहेगा।पर जैसा कीहम सब जानतेहै की ईमानदारहोना कितना बड़ागुनाह है।
अबआगे क्या होताहै उसके लिएतो आप कोकॉमिक्स पढ़ करदेखनी पड़ेगी।

Friday, October 14, 2016

Manoj Comics-866-Maut Se Takkar


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मनोज कॉमिक्स -८६६-मौत से टक्कर
पिछले पोस्ट में मैंने लिखा था की सुपर हीरो वाली सारी  कॉमिक्स अपलोड हो चुकी है। पर अभी ऐसा हो नहीं पाया है। एक तो ये कॉमिक्स अमर-अकबर सिरीज़ की कॉमिक्स ही पेंडिंग थी जो आज पूरी हो पा रही है और दूसरी कॉमिक्स महाबली शेरा की "नशीली मौत " अपलोड होना बाकी  है।  मैं  इन सभी  कॉमिक्स को स्कैन और अपलोड करने की स्थिति में हूँ।  इसलिए शायद ये लिख गया था।
अब बात इस कॉमिक्स की कर लिए जाये।  श्री अंसार अख्तर जी कहानी पर सवाल उठाना तो मूर्खता ही होगी। कहानी अच्छी है आप को जरूर पसंद आएगी।
कहानी शुरू होती है अमर-अकबर के ये सुनार की मार्किट के शॉपिंग को लेकर। संयोग से जिस दुकान से अमर-अकबर शॉपिंग कर रहे होते है उसी दुकान को लूटने की कोशिश होती है। आगे क्या होता है ये तो आप को कॉमिक्स पढ़कर ही  जान पाएंगे।
फिर जल्दी ही दुबारा मिलते है।  

Manoj Comics-826-Tilasmi Khajane Ki Pret Atma


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मनोज कॉमिक्स -८२६ - तिलस्मी खजाने का प्रेतात्मा
मनोज कॉमिक्स की एक और कॉमिक्स जिसके बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा। बस ऐसा लगता है की गिनती बढ़ाने के लिए कॉमिक्स प्रिंट कर दी। वैसे चित्र तो अच्छे बने है। कहानी शुरू भी बड़े शानदार ढंग से होती है पर अंत तक सब बेकार हो जाता है। चित्रों के अलावां इस कहानी में कुछ भी है नहीं। एक -एक पेज में ४ फ्रेम से ज्यादा नहीं है। जो साबित करता है। की कुछ लिखने को था नहीं बस किसी तरह से कॉमिक्स पूरी की गयी है।
कहानी शुरू होती है एक सपने से जो की एक आदमी को बार -बार आ रहे है। एक प्रेत उसे सपने में मारने की कोशिश करता है। तमाम खोसिशो के बाद भी उस सपने से छुटकारे कर कोई उपाय नहीं देखता है। फिर एक दिन सपने में कोई आ कर कही जाने को बताता है। और वो वहां चल देते है। आगे के लिए तो आप कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़े। शायद आप को अच्छा लग जाये। 

Thursday, October 13, 2016

Manoj Comics-813-Ruhon Ka Devta


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                                                                              Edited by-Shrichand Chavan
मनोज कॉमिक्स -८१३-रूहों का देवता
 जैसा की मैं पहले ही लिख चूका हूँ की भूत की कॉमिक्स लिखने में कुछ भी नहीं होता है लेखक के पास। ये कहानी भी कुछ भी नया पन नहीं लाती है। इस कहानी में भी एक तांत्रिक का भूतों की मदद से अपना बदला लेना दिखाया गया है।
 कहानी शुरू होती है एक शेठ पर भूत के आने से। भूत के प्रभाव के कारण तो तड़प रहा होता है। और उसके बाद उसका अंत जिस तरह से होता है वो चित्रों के माध्यम से बाखूबी दर्शाया गया है। कहानी भले ही कैसी भी हो पर चित्रों ने तो इस कॉमिक्स में हंगामा ही मचा रखा है। अगर आप को भूतों से डर लगता है तो ये कॉमिक्स आप को डराने में जरूर सफल होगी। पढ़े और डरने का आनद लें।

Manoj Comics--817-Kali Maut


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मनोज कॉमिक्स -८१७ - काली मौत
 मनोज कॉमिक्स अंसार अख्तर जी की एक और शानदार कॉमिक्स। कर्नल कर्ण सिरीज़ के बेहतरीन कॉमिक्स। कर्नल कर्ण सिरीज़ की सिर्फ ये ही कॉमिक्स है जो अब तक अपलोड नहीं हुयी थी।आज इस सिरीज़ की सारी कॉमिक्स अपलोड हो जाएँगी। मनोज कॉमिक्स की उप्लोडिंग जब से सुरु हुयी है तब से यही परम्परा चली आ रही है की पहले सुपर हीरो की कॉमिक्स अपलोड की जाये और आज जा कर मनोज कॉमिक्स के सभी सुपर हीरो की सारी कॉमिक्स अपलोड हो गयी है। अब सिर्फ बिना सुपर हीरो वाली कॉमिक्स ही बची है। और मैं उम्मीद करता हूँ। कि इस साल के अंत तक मैं पूरी मनोज कॉमिक्स अपलोड करने में सफल हो जाऊंगा।
 कुलविंदर सिंह सोना भाई की मदद से नूतन कॉमिक्स की भूतनाथ सिरीज़ उम्मीद करता हूँ वो भी जल्द ही अपलोड कर पहुँगा।
 स्कैन करना तो फिर भी कुछ हद तक हो जाता है पर एडिटिंग और उप्लोडिंग में टाइम लगता है। फिर जल्द ही ये काम भी पूरा हो ही जायेगा।
 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये कहानी शुरू होती है एक शिप के ऐसे एरिया में प्रवेश करने से जिधर मालवाहक जहाज़ का आना प्रतिबंधित है। जब जहाज़ से संपर्क करने की कोशिश होती है तो जहाज़ से कोई उत्तर नहीं मिलता। जब जहाज़ को रोक कर उसे चेक किया जाता है तो वहां के भी आदमी नहीं मिलता। हाँ इस बात के दो सबूत मिलते है की एक दिन पहले तक जहाज़ में सब कुछ ठीक था। पहला सबूत जहाज़ का किचन का गर्म होना दूसरा जहाज़ के कप्तान का डायरी में एक दिन पहले का विवरण होना। जब जहाज़ का इंजन चेक किया जाता है तो वो भी पूरी तरह से ठीक पाया जाता है। अब सवाल ये है की आखिर जहाज़ पर हुवा क्या और दूसरा सभी लोग कहाँ गायब हो गए।
 ये सब जानने के लिए आप को कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़े। फिर जल्द ही दुबारा मिलते है।

Manoj Comics-808-Lohe Ka Putla


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                                                                                           Scan by-Manoj Pandey
                                                                                           Edited by-Aby Kapoor      
मनोज कॉमिक्स -८०८-लोहे का पुतला
 ये सभी कॉमिक्स उस समय की है जब कॉमिक्स के लिए लोगो में बहुत क्रेज़ था। इसलिए उस समय में लेखक पर जल्दी -जल्दी कॉमिक्स लिखने का दबाव था। ये कॉमिक्स उसी दबाव का नतीजा लगती है। न तो कहानी में कोई दम है और न ही चित्रों में। बस ऐसा लगता है की सेट में कॉमिक्स की गिनती बढ़ाने के लिए इस कॉमिक्स को प्रिंट कर दिया गया था। फिर भी ये कॉमिक्स एक बार पढ़ी तो जा ही सकती है।
 कहानी शुरू होती है एक चोरनी की जो की चोरी करके भाग रही होती है और उसे पकड़ने के लिए सिपाही उसके पीछे। फिर एक खाई के पास उसका घोडा आ कर रुक जाता है। आगे बढ़ने का मतलब भी मौत था और पीछे रुकने का मतलब भी मौत। फिर वो चोरनी घोड़े के मदद से खायी कूदने का मन बना लेती है। घोडा कूदता तो है पर दूसरी तरफ पहुच नहीं पाता है। और दोनों खायी में जा गिरते है और दोनों के मौत हो जाती है।
 इसके बाद क्या होता है इसके लिए तो आप को कॉमिक्स पढ़नी ही पड़ेगी। आप डाउनलोड करके पढ़े और बताईये की ये कहानी आप को कैसी लगी।

Manoj Comics-809-Pret Ka Khajana


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                                                                                     Edited by-Shrichand Chavan   
मनोज कॉमिक्स-८०९-प्रेत का खज़ाना
 जैसा की मैं लिख ही चूका हूँ की बस कॉमिक्स छापनी होती थी इसलिए कुछ कॉमिक्स सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए छाप दी जाती थी ये कहानी भी कुछ वैसे ही है। कहानी तो समझ के बाहर है पर चित्र अच्छे लगते है। कहानी वर्तमान में न के बराबर चलती है इसलिए मुझे तो ये कॉमिक्स बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी आप पढ़ कर देखे शायद आप को ये कॉमिक्स अच्छी लग जाये।
 कहानी शुरू होती है एक खंडहर के पास कार ख़राब होने से। फिर कार बहुत कोशिश करने से भी ठीक नहीं होती है। तभी वहां आवाज़ आती है की मुझे आज़ाद कर दो ,मुझे आज़ाद कर दो, मैं तुम्हे अपना खज़ाना दे दूंगा। वो आदमी ख़ज़ाने के लालच में उसे आज़ाद करने को तैयार हो जाता है। उसके बाद क्या होता है इसके लिए तो आप को कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़नी ही पड़ेगी। आप इसे पढ़े फिर मिलते है।

Tuesday, October 11, 2016

Manoj Comics-801-Manhus Bangla


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मनोज कॉमिक्स-८०१-मनहूस बंगला
 सर्वप्रथम आप सभी को विजयदशमी की ढेर सारी सुभकामनाये। ईश्वर आप सब को अपने अंदर छुपे बुराईयों पर विजय पाने में आप सब की मदद करें। समाज से बुराई का नाश हो।
 मनोज कॉमिक्स में हॉरर सिरीज़ की एक और कॉमिक्स। जैसे की मैं पहले भी लिख चूका हूँ। हॉरर कॉमिक्स में कुछ भी अलग लिखने की गुंजाइस कम होती है। सच पूछा जाये तो ये सही मायने में चित्रो की कहानी होती है। अगर इन कॉमिक्स के चित्रो को देख कर सिरहन नहीं पैदा हुयी तो समझ लीजिये कॉमिक्स किसी काम की नहीं है।
 ये कॉमिक्स इन दोनों मामले में ठीक है। कहानी पुराने ढर्रे पर बदला लेने वाली नहीं है और इसके चित्र भी ऐसे है की एक बार तो हार्ट अटैक हो जाये तो ताजुब नहीं होगा।
 कहानी सुरु होती है पुलिश की चोर के पीछा करने से। और वो भाग कर छुपते है मनहूस बंगले में। जिसमे आज तक जो गया तो जिन्दा वापस नहीं आया अब इन दोनों चोरो का क्या होता है ये तो आप को कहानी पढ़कर ही जानने को मिलेगा। चित्र शानदार है हरवंश मक्कड़ जी के। कहानी सभी हॉरर कॉमिक्स की कहानी से अलग है। एक नया प्रयोग है हॉरर कॉमिक्स में। पढ़ कर देखे उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी। मनोज कॉमिक्स में सेट नंबर -१२९ तक अपलोड होने को पूरी तरह तैयार है। श्री चंद और Aby भाई ने कुछ कॉमिक्स को एडिट करने में मदद की है उसके लिए तहे दिल से धन्यवाद। वो कॉमिक्स जब भी अपलोड होंगी उसके साथ उनका नाम जरूर दिया जायेगा।
 फिर जल्द ही मिलते है।

Manoj Comics-800-Neele Hire Ke Chor

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मनोज कॉमिक्स-८००-नीले हीरे के चोर
 मनोज कॉमिक्स की एक और शानदार कॉमिक्स। ऐसी की कहानियों के कारण ही मनोज कॉमिक्स भारत की नंबर १ कॉमिक्स थी। कहानी का आधार भी बहुत पुराना और प्रस्तुति बिलकुल नयी और जबरदस्त। सस्पेंस का तो जबाब नहीं। सब कुछ सीधा-सीधा लगता है पर होता कुछ भी सीधा नहीं। कहानी पढ़े बिना छोड़ना तो लगभग असंभव ही मान कर चलिए।
 कहानी शुरू होती है एक हीरे के प्रदर्शनी से जिसमे दो पाकिश्तानी पति-पत्नी जो की मसहूर चोर है। वो उस बेसकीमती नील हीरे की चोरी के लिए भारत आये है। हीरे की कड़ी सुरक्षा को देख कर तो एक बार उनकी भी हिम्मत टूट जाती है। लेकिन वो अपने शानदार दिमाक की मदद से एक जबरदस्त योजना बनाते है।
 अब देखना तो ये था की वो चोरी करने में सफल होते है। अगर होते है तो अपने कारण या कोई और छुपा कारण है। ये सब जानने के लिए आप को ये कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी।
 पढ़ कर देखिये आप को इस कहानी में बड़ा मज़ा आएगा।

Sunday, October 9, 2016

Manoj Comics-788-Jasuson Ka Jasus -


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मनोज कॉमिक्स-७८८-जासूसों का जासूस
 मनोज कॉमिक्स की एक बेहद सरल और प्रेरणा देती आकर्षक कहानी। लिखा फिर से अंसार अख्तर जी ने। कहानी शुरू होती है एक पुस्कालय के लिए कार्यरत हीरो से। जिसका काम किताबे न लौटने वालों से किताबे और जुर्माना वसूल करना है। जब वो ऐसी ही वसूली पर पहुचता है तो उसे उस परिवार के डाकुयों के चंगुल में फसने का आभास होता है।
 फिर क्या होता है ये तो आप कॉमिक्स पढ़ कर ही जानना होगा। कहानी में कुछ भी हीरोइक नहीं है। हीरो का हर काम साधारण होते हुए भी असाधारण है। पढ़े, कहानी आप को जरूर अच्छी लगेगी।
 ८९९ नंबर तक की सारी पेंडिंग कॉमिक्स स्कैन कर चूका हूँ। कई को तो एडिट कर चूका हूँ और कई एडिट करने के लिए अपने मित्रों को दी है। अगर सब ठीक रहा तो दिवाली तक तो ये सारी कॉमिक्स अपलोड कर ही ले जाऊंगा।
 मेरी पर्सनल जिंदगी ठीक से नहीं चल रही है। आर्थिक तंगी से सामना करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है की समय मेरे अनुकूल बिलकुल नहीं है। जो भी हो रहा है ऐसा लगता है की मेरे खिलाफ ही हो रहा है। समझ में नहीं आता ऐसा कब तक चलेगा। मैंने अपनी जानकारी में आज तक किसी का बुरा नहीं किया है पर पता नहीं क्यों मेरा बुरा ही बुरा होता जा रहा हूँ। हर कोई बस अपना उल्लू सीधा करता है और मेरा नुकशान कर देता है। कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। अब ईश्वर से एक ही प्रार्थना है इस स्थिति से जल्द निकले और लम्बे समय तक निकाले रखे।
 फिलहाल आप कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़े जल्द ही मैं नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ

Wednesday, October 5, 2016

Manoj Comics-786-Maut Ka Saya


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मनोज कॉमिक्स -७८२-मौत का साया
 मनोज कॉमिक्स में मेरे ब्लॉग पर सेट नंबर ११२ तक अपलोड हो चूका है जो की कॉमिक्स संख्या ७८० तक पहुच गयी है। उम्मीद करना हूँ की इस दिवाली तक ८९९ नंबर तक की सभी कॉमिक्स अपने ब्लॉग पर अपलोड करने में सफल हो जाऊंगा।
बस एक भी बात खलती है की प्रोत्साहन के नाम पर चार कमेंट करने वाले नहीं मिलते है जबकि अगर डौनलोडिंग संख्या देखूं तो वो चार दिन में २०० के पार चली जाती है।
 इस कॉमिक्स की कहानी के बारे में बात करने लायक कुछ भी नहीं है।  कहानी में कोई दम नही है। चित्र भी डरावने नहीं लगते। बस खाली नाम ही थोड़ा डरावना लगता है। ऐसा लगता था की बस कुछ भी लिख दिया है। इस पढ़ना और झेलना एक जैसा ही लगता है। मैंने भी झेला है आप भी झेले।
 तब तक के लिए विदा।

Monday, October 3, 2016

Indrajaal Comics-65-THE SEA GOD



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Indrajaal Comics-65-THE SEA GOD
Indrajaal Comics was published by The Times Of India publication.They published foreign comics into English and different Indian languages. In India These comics are considered to be most rare comics. Hindi and English both the languages these comics have invaluable to the collectors.I never try to collect Indrajaal Comics.I never feel connected to these comics. I never get Indian touch to these comics. I dislike their printing and page quality also.But because of their time of publishing,
they are considered to be most rare comics.
Download and Enjoy it 

Wednesday, September 28, 2016

Chunnu Comics-Lalbujhakad aur Ichchadhari Saanp


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चुन्नू कॉमिक्स-लाल बुझकड़ और इच्छाधारी साँप
 चुन्नू कॉमिक्स =प्रभात कॉमिक्स =राधा कॉमिक्स ये तीनो की प्रकाशन एक ही है। या फिर इतने नज़दीक है की इन सब के सुपर हीरो एक दूसरे प्रकाशन में छापे गए है। लाल बुझकड़ और टाइगर तो प्रभात कॉमिक्स में छापे जाते थे और फिर बाद में कुछ चुन्नू कॉमिक्स में छापे गए थे। राधा कॉमिक्स में वैसे तो प्रभात और चुन्नू कॉमिक्स के कोई बड़े सुपर हीरो नहीं छापे गए पर एक कॉमिक्स सीरीज मिस्टर एक्स जो की प्रभात में छापा और मिस्टर एक्स का धावा जो की राधा कॉमिक्स में छपा था जो की एक ही कहानी के दो पार्ट थे।
 प्रभात कॉमिक्स से वैसे तो मुझे कोई शिकायत नहीं थी। जितना भी पढ़ा अच्छा ही लगा पर जिस समय ये कॉमिक्स छपते थे उस समय सब कोई खरीदने लायक पैसे ही नहीं होते थे। इसलिए ये कॉमिक्स उस समय ज्यादा पढ़ने कोई नहीं मिली। "टाइगर" की कॉमिक्स खास कर मुझे बहुत पसंद है।
 कितने दुःख की बात है जब कॉमिक्स बहुतायत में होती थी तब पैसे नहीं होते थे और अब जब पैसे है तो कॉमिक्स का अकाल पड़ा हुवा है। ये कॉमिक्स कवरलेस मेरे पास है वैसे तो ये कॉमिक्स किसी और कॉमिक्स के कवर के साथ थी। जिसका कवर था वो कॉमिक्स नहीं थी और जो कॉमिक्स थी उसका कवर नहीं था। ऊपर से इस कॉमिक्स कोई दीमक खा रही थी तो मैंने इसे स्कैन करके अपलोड करने का मन बना लिया। और ये कॉमिक्स आज अपलोड हो रही है।
 कहानी के बारे में कुछ लिख पाना मेरे लिए संभव नहीं है क्योंकि ये कॉमिक्स अभी तक मैंने अभी था पढ़ा नहीं है और इस समय इसे पढ़ने का मेरा मन भी नहीं है।
 आप खुद इसे पढ़ कर देखे और मुझे बताये की ये कॉमिक्स कैसी है फिर जल्द ही आप से दुबारा मिलते है .....

Saturday, September 17, 2016

Manoj Comics-754-Inspector Manoj Aur Adamkhor Machliyan


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मनोज कॉमिक्स -७५४-इंस्पेक्टर मनोज और आदमखोर मछलियाँ
 मनोज कॉमिक्स हमेशा मेरे दिल के करीब रही है और इसका प्रथम कारण इस प्रकाशन का नाम और मेरा नाम एक होना है। (मेरा इस प्रकाशन से दूर-दूर तक कोई रिस्ता नहीं है ) पर बचपन में जब आप पढ़ना सुरु करते है और देखते है की आप के नाम से कॉमिक्स छाप रही है तो उसका एक अपना अलग अहसास होता है। आप के नाम से कॉमिक्स तो छपती ही थी ये क्या कम था जो आप के नाम का सुपर हीरो भी कॉमिक्स में होता है। इस अहसास के कारण मनोज कॉमिक्स और उसका ये सुपर हीरो इंस्पेक्टर मनोज हमेशा से मुझे भाया है। वैसे तो इंस्पेक्टर मनोज की कॉमिक्स की कहानियाँ क्या खूब होती थी। रहस्य -रोमांच से भरपूर। इंस्पेक्टर मनोज की आप कोई भी कॉमिक्स उठा कर पढ़ लें आप निराश नहीं हो सकते।
 इस कहानी को लिखा है अशीत चटर्जी जी ने।
 कहानी सुरु होती है सोने के चोरी से जो की पोलिश वालों ने पकड़ा होता है। और साथ में यस. पी का अपहरण अलग। अब ये वारदात पुलिश के नाक का सवाल बन जाता है। लुटेरे सोने को लेकर जिस टॉपू पर जाते है और जो जगह सोना छुपाने के इस्तेमाल करते है वहां होता है आदमखोर मछलियॉँ का आतंक। आगे क्या होता है ये आप खुद पढ़ कर देखें।
 जल्दी ही दुबारा मिलते है।

Manoj Comics-758-Farz Ki jang


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मनोज कॉमिक्स -७५८ -फ़र्ज़ की जंग
 मनोज कॉमिक्स में राजा-रानी वाली एक और कहानी। इस कॉमिक्स को लिखा है विजय कुमार वस्त जी ने। आज तक अपनी पढ़ी सभी तरह की कहानियों में अगर कोई कहानी नंबर १ मानता हूँ तो वो इनकी लिखी कहानी "क्रोध का भूत" है।
पहले जब मैंने कॉमिक्स पढ़ना सुरु किया था तो मुझे हमेशा हीरो वाली कॉमिक्स मिली। मैं हीरो /सुपर हीरो वाली कहानी बहुत पसंद करता था। इसलिए कभी भी मैंने राजा-रानी वाली कहानियां पढ़ने के कोशिश ही नहीं की। फिर एक दिन पढ़ने के लिए कोई नहीं कॉमिक्स नहीं थी तो मैंने सिर्फ कॉमिक्स पढ़नी थी इसलिए "क्रोध का भूत" को पढ़ना सुरु किया था जो की शायद मैंने रेट को सही करने के लिए साथ में ले लिया था। पर जब कहानी सुरु की तो मुझे इस बात का अहसास हुवा की मैंने अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ कहानी पढ़ पर रहा हूँ। आज वो मेरी सर्वश्रेठ कॉमिक्स है।
 विजय कुमार वस्त जी ने जो भी कहानी लिखी है वो सभी लाजबाब है। इन्होंने मनोज कॉमिक्स तुलसी कॉमिक्स परम्परा कॉमिक्स और भी कई कॉमिक्स के लिए कहानियों को लिखा है। ये कहानी भी उन सभी श्रेठ रचनाओं में से एक है जरूर पढ़ने लायक।
 कहानी सुरु होती है कुछ डाकुओ के एक युवक पर आक्रमण पर। एक बूढा व्यक्ति उस युवक की मदद करता है और उसका उपचार करता है। ठीक होने पर वो बताता है की वो राजा के यहाँ सैनिक के रूप में कार्य करता है। और उसकी हार्दिक इच्छा है की वो बाबा उससे मिलने महल में आये।
 इसके आगे कुछ भी लिखना कहानी का मज़ा किरकिरा कर सकता है।  क्या होता है उसके लिए आप को कॉमिक्स पढ़ कर ही देखना होगा।

Manoj Comics-762-Jinda Lash


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मनोज कॉमिक्स-७६२-जिन्दा लाश
मनोज कॉमिक्स में अंसार अख्तर द्वार लिखी गयी एक और शानदार कॉमिक्स ।  मनोज कॉमिक्स के हर सेट में इनकी कहानी तो होती ही थी। पढ़ने के बाद आप कहानी को काफी दिनों तक याद भी रखेंगे।
 कहानी की सुरुवात एक हिल स्टेशन में हुए ट्रिप्पल मर्डर से होती है। जबकि हिल स्टेशन देश के सबसे शांत स्थान में से एक है। यहाँ अपराध ना के बराबर होता है। अपराधी का कुछ पता नहीं चलता। ऐसे समय में एक अध्यापक जो की छुट्टियों पर थे अब स्कूल वापस जाना चाहते है। पर वहां बर्फ पड़ने से रास्ता साफ़ नहीं है और सवारी का साधन कई किलोमीटर पैदल चलने पर ही मिल सकता है। प्राइवेट नौकरी है जाना भी जरुरी है। तो वो पैदल जाने का फैसला कर लेते है। रस्ते में वो एक कार से लिफ्ट मांगने की कोशिश करते है पर वो लिफ्ट देने के बजाये उन्हें कार से कुचल कर मारने की कोशिश करता है। किसी तरह जान बचती है पर काफी चोट लग जाती है। तभी और लोग भी आ जाते है और कार वाला भी रुक जाता है और कहता है की वो ब्रेक लगाना चाह रहा था पर गलती से एक्सीलेटर दब गया था। वो अस्पताल ले जाने में सबकी मदद करता है।
आगे क्या होता है इसको जानने के लिए आप को ये कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी।
 सवाल कई है-
पागल हत्यारा कौन है जो सब को बिना मतलब मार रहा है ? और क्यों ?
कार ड्राइवर सच बोल रहा था या झूठ ?
कहानी में आगे क्या होता है ?
 पढ़े और सच माने आप कहानी को कई दिनों तक भूल नहीं पाएंगे।

Sunday, September 11, 2016

MC-744-Khooni Panja



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मनोज कॉमिक्स -७४४-मौत का पंजा
 मनोज कॉमिक्स में ये कॉमिक्स नेट पर कही अपलोड है। (मेरी जानकारी के अनुसार). इस तरह की कॉमिक्स में लिखने के लिए लेखक के पास कुछ होता नहीं है। कहानी के हिसाब से इस तरह की कॉमिक्स को सच पूछा जाये तो देखना भी नहीं चाहिए।पर ये कहानी उस मामले में थोड़ा अलग तो जरूर है। कहानी कुछ तो है चाहे पढ़ी हुयी ही क्यों लगे। कहानी के लिहाज़ से कॉमिक्स ठीक है चित्र अच्छे बने है आप को अच्छी तो लगनी चाहिए  कहानी सुरु होती है कुछ शहर के नामी बदमाशों की मीटिंग से। उनकी मीटिंग का मकसद ईमानदार इंस्पेक्टर के इलाके में आने को लेकर है। इंस्पेक्टर को ख़रीदा जा नहीं सकता तो फिर उसके साथ क्या किया जाये। फिर तय होता है की एक बार खरीदने की कोशिश करते है नहीं मानने पर उसे रास्ते से हटाना तय होता है। इसके बाद क्या होता है इसको जानने के लिए आपको कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी।
 पिछली बार कुछ लिखने की कोशिश की थी। लोगो को ठीक ही लगा। अब दुबारा कब लिखूंगा कह नहीं सकता। पर एक कहानी लिखने का मन तो है देखना कब तक मैं ऐसा कर पता हूँ। कर पाता हूँ भी या नहीं। है तो कुछ दिमाग मेरे पर उसके लिए थोड़ा टाइम चाहिए होगा। टाइम मिलते ही मैं ऐसी कोशिश करूँगा तो जरूर। इसके बाद तो भगवान् ही जाने।
 फिलहाल आप इस कॉमिक्स का आनंद ले जल्द ही दुबारा मिलते है।

Tuesday, September 6, 2016

Indrajaal Comics-95-RAJPAL KA SANKAT



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इंद्रजाल कॉमिक्स-९५-राजपाल का संकट
 वैसे तो ये कॉमिक्स पहले से ही उपलोडेड है वो भी अच्छी क्वालिटी में। पर जब मुझे ये कॉमिक्स मिली तो इसकी हालात अच्छी नहीं थी और इस में पेपर वाले कीड़े लगे थे। तो मैंने इन्हें बेचने का फैसला किया। पर देने से पहले मैंने इन्हें स्कैन कर लिया था तो सोचा की इससे अपलोड भी कर दिया जाये। मैं किस क्वालिटी में अपलोड करता हूँ आप सब को पता है अगर बेहतर लगे तो डाउनलोड कीजिएगा।
 आज मेरा मन कुछ ऐसा लिखने का कर रहा है जैसा मैंने पहले कभी नहीं लिखा था। आज मैंने ये पहली कोशिश की है अगर कोई त्रुटि तो तो माफ़ कर दीजियेगा।
 राज कॉमिक्स का पहला सुपर हीरो विनाशदूत है पर उसकी बहुत कम कॉमिक्स छापी गयी है जिससे वो बहुत नाराज़ है और मेरी उनसे बात सपने में होती है उसके बाद क्या होता है आप खुद पढ़ कर देखे। (अगर मेरी कोई बात किसी को ठेस पहुचती है तो अग्रिम माफ़ी )
विनाशदूत का दर्द
 जैसा की हम सभी जानते है की विनाशदूत राज कॉमिक्स का पहला हीरो है। आज जब मैं सोया था तो वो मेरे सपने में आया और अपना दर्द मुझे बयान करने लगा।
 हमारे बीच जो भी बाते हुई वो इस प्रकार है।
 विनाशदूत - उठो मनोज उठो कब तक सोते रहोगे ?
 मनोज पांडेय- क्यों परेशान करते हो वैसे भी मुझे सोने का टाइम नहीं मिलता।
 विनाशदूत- अरे , उठ भी जाओ देखो मैं विनाशदूत तुमसे मिलने आया हूँ।
 मनोज पांडेय- विनाशदूत ! ( और फिर मैं सपने में ही जग गया ) अरे आज आप को मेरी याद कैसे आ गयी मैंने तो कोई लाल बल्ब भी नहीं जलाया था छत पर ?
 विनाशदूत- हाँ क्यों नहीं तुम भी उड़ा लो मेरा मज़ाक।
 मनोज पांडेय- अरे नहीं विनाशदूत जी आप मेरे सबसे फ़ेवरेट सुपर हीरो हो।
 विनाशदूत - झूठ क्यों बोलते हो। ब्लॉग पर कभी सूर्यपुत्र लिखते हो और कभी राम-रहीम, और कभी सुपर कमांडो ध्रुव। कभी मेरा नाम तो लिया ही नहीं। सामने देखा तो झूठ बोलते हो
 मनोज पांडेय- समझा कीजिये आप ही मेरे फेवरेट है ब्लॉग पर तो कॉमिक्स डाउनलोड बढ़ाने के लिए ये सब लिखना पड़ता है। खैर ये सब छोड़िये और बताइये आप इतने परेशान क्यों लग रहे है ?
विनाशदूत -ऐसे कह रहे हो जैसे तुम्हे कुछ पता ही नहीं है।
 मनोज पांडेय- सही में कुछ पता नहीं है आप ही बता दो।
 विनाशदूत-राज कॉमिक्स वालों ने मेरे साथ न्याय नहीं किया ?
मनोज पांडेय- ऐसा न कहे
 विनाशदूत- क्यों न कहूँ , मैं उनका पहला सुपर हीरो हूँ। पर मुझ से ज्यादा कहानी तो प्रचण्डा और सुक्राल जैसे "सी " ग्रेड हीरो पर लिखा राज कॉमिक्स वालों ने।
 मनोज पांडेय- बात तो आप की सही है।
 विनाशदूत- क्या कमी है मुझ में ? अच्छी खासी सुपर पावर है मुझ में। मेरी पहली तीन कहानियों में कोई कमी लगी आप को ?
मनोज पांडेय- सच कहूँ तो मुझे तो ये कहानियाँ बहुत अच्छी लगी थी।
 विनाशदूत- और नहीं तो क्या ? मुझे पता है मेरी कहानियाँ बहुत अच्छी है। परशु राम शर्मा जी मेरी कहानी बड़े मनोयोग से लिखी थी। ब्लैक मार्केटिंग वाले मेरी कॉमिक्स को ५०० रुपए तक में बेच रहे है। 
मनोज पांडेय- मैं समझ रहा हूँ आप की बात। पर मुझे लगता है आप सुपर मैन की नक़ल लगते थे इसलिए आप की कॉमिक्स पर काम कम हुआ।
 विनाशदूत - क्या बकवास कर रहे हो ? क्या दूसरे ग्रह से आना सुपर मैन का कॉपी राईट है ? वैसे भी वो पैदा होते ही धरती पर आया था और मैं जवान आया था। उसको किसी ने जवान होने तक पाला था। और मैंने आते है धरती की सेवा करने लगा। मैं उससे बहुत अलग हूँ। मैं किसी सुपर मैन की कॉपी नहीं हूँ। हमारी कहानी में कोई समानता नहीं है।
 मनोज पांडेय- माफ़ कीजियेगा मैंने तो बस गेस किया था आप की कॉमिक्स कम छापने के लिए। वैसे जो मुझे लगता है की आप की कॉमिक्स कम छापे जाने का कारण आप की कॉमिक्स का कम सेल होना ही है। विनाशदूत-क्या वेवकूफी वाली बाते करते हो ? अरे भाई जब कोई दूकान सुरु होती है तो तुरंत से ही बिक्री होनी थोड़े ही सुरु हो जाती है। मेरे साथ थोड़ा और सब्र दिखाते तो मेरी कॉमिक्स भी खूब बिकती। तीन छाप कर बंद कर दी।
 मनोज पांडेय - ऐसा मत बोलिये। आप की और भी कॉमिक्स उन्होंने छापी है जैसे "शैतान",और "भांजा" बीच में आप पहली सुपर विशेषांक नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव में भी थे।
 विनाशदूत- जले पर नमक मत छिड़को। भला मेरे जैसा हाई टेक हीरो भूत-प्रेत की कॉमिक्स में चलेगा। और तो और साथ में गगन को भी मेरे साथ चिपका दिया। कहानी में मेरे लायक कुछ था भी ?
 मनोज पांडेय- बात तो आप की ठीक ही है। पर अब आप ही बताएं की कैसे राज कॉमिक्स वाले ने आप के साथ न्याय नहीं किया ?
 विनाशदूत-सबसे पहला अन्याय तो परशुराम शर्मा जी से नागराज लिखवाना था। जब उनके पास दूसरा सुपर हीरो आ गया तो उन्होंने मुझ पर ध्यान देना बंद ही कर दिया।
 मनोज पांडेय - एक बात कहूँ बुरा मत मानियेगा। नागराज और आप दोनों को परशुराम शर्मा जी ने लिखा और दोनों की तीन ही कहानी लिखी। पर नागराज खूब सफल हुवा और आप को सबने भुला दिया।
 विनाशदूत - कर दो तुम भी बेज्जती। ये क्यों भूल रहे हो नागराज को परशुराम शर्मा जी के बाद भारत के सबसे बेहतर चित्रकार (प्रताप मुकुल) ने बनाया और मुझे तो किसी ने छुवा तक नहीं। उसे लिखा राज कॉमिक्स की बेहतर टीम "राजा", "संजय गुप्ता" और "तरुण कुमार वाही" जी ने और मुझे किसी पूछा तक नहीं। मेरा इन्होंने ख्याल ही नहीं किया जबकि लोग अपने पहले बेटे से सबसे ज्यादा प्यार करते है। पर राज कॉमिक्स वालों ने मुझे कूड़ेदान में फेक दिया था। अपने बेहतर चित्रकार और बेहतर लेखक से कहानियॉ लिखवाते तो मैं नागराज से भी ज्यादा सफल होता।
 मनोज पांडेय- सुना है वो आप को सर्वनायक सीरीज में लाये है।
 विनाशदूत- तुमने पढ़ा की उन्होंने मेरी क्या दुर्गति की है कॉमिक्स में ?
 मनोज पांडेय- नहीं आप तो जानते हो। जब तक सीरीज पूरी नहीं होती मैं उसे खरीद कर रख तो लेता हूँ पर पढता नहीं हूँ।
 विनाशदूत- तब तो तुम पढ़ चुके इस सीरीज को ! दस साल से पहले ये कम्पलीट होगी नहीं और तब तक तुम इस सीरीज के बाकि पार्ट खो दोगे। फिर कभी नहीं पढ़ पाओगे।
 मनोज पांडेय- ऐसा न कहिये मैं सारे पार्ट संभाल कर रखूँगा। आप के कारण। और संजय जी से अनुरोध करूँगा की कम से कम एक कॉमिक्स तो वो आप की आज के सबसे बेहतर लेखक और चित्रकार "श्री अनुपम सिन्हा" जी से लिखवाएं। तो आप को भी ये न लगे की राज कॉमिक्स वालों ने अपने पहले सुपर हीरो के साथ न्याय नहीं किया।
 तभी आलार्म बजने लगा और मैं उठ कर बैठ गया। फिर कभी अगर विनाशदूत से मुलाकात होती है तो आप सब को जरूर बताऊंगा।