Monday, November 4, 2013

Anand Chitraktha-27-Jamakhoron Ka Giroh


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आनंद चित्रकथा-२७-जमाखोरों का गिरोह (बंटी,पिंटू सीरीज़)
 सर्वप्रथम आप को दीवाली कि ढेर सारी शुभकामनाए,और मुझे पूरा यकीन है कि आप सब कि दीपावली बहुत ही आनंद पूर्वक बीती होगी। आज और कल दो दिन कि छुट्टी और है आज तो लगभग निकल ही चूका है और कल भी बहुत कुछ करने का मेरा मन नहीं है। इसलिए आज कम से कम एक कॉमिक्स अपलोड कर दूँ , यही सोच कर ये कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ। कल बहुत दिनों बाद मैंने अपने परिवार के साथ कोई फ़िल्म देखी। कृष ३ और सच मानिये हम में से किसी कोई भी वो फ़िल्म ख़राब नहीं लगी। जब मै फ़िल्म देखने जा रहा था तो मेरे दिमाग में दो तरह कि शंकाएँ थी पहली कि वो हिंदी फिल्मो के मसलों जैसे भावनाए व गाने कैसे फ़िल्म में समाहित करेंगे और जो भी एक्शन है उन्हें हॉलीबुड के सामान कैसे बनाएंगे। पर इस फ़िल्म में एक्शन हॉलीबुड से बेहतर ही है गाने कही से भी अलग से नहीं लगते और भावनाओ के इतने बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया है कि मज़ा आ जाता है। एक जरुर देखने लायक फ़िल्म। हर कलाकार ने अपना सर्वश्रेठ दिया है। इस फ़िल्म को देखकर एक राज कॉमिक्स आयी थी "इच्झधारी" नागराज कि कॉमिक्स थी(दोनों कि कहानियों में कोई समानता नहीं है) हाँ एक डर की समानता जरुर है और वो डर था कि हीरो विलेन से कैसे जीतेगा यहाँ भी वो डर आप को दो कदम आगे ले जाता है।
अब बात इस कॉमिक्स कि कर ली जाये तो मै बस इतना कहूंगा कि मैंने स्कैन करके अपलोड कर दीया है पर इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके कारण इसे पढ़ना चाहिए। चित्रों का कुछ पता ही नहीं लगता कि उनका कहानी से क्या सम्बन्ध है और कहानी तो क्या कहना।
अगर आप को  कहानी अच्छी लग जाये तो फिर आप तो महान ही होंगे कि हर तरह कि चीज़ बर्दाश्त कर सकते है। अब इतनी बुरी कॉमिक्स मैंने स्कैन क्यों कि और फिर आप क्यों पढ़े। तो सीधा और दो  टूक जबाब है कि ये कॉमिक्स है और हम जितनी हिंदी कॉमिक्स सम्भव हो उसे बचाना चाहते है इसलिए ये कॉमिक्स मेरे पास है भी और मैंने इसे स्कैन और अपलोड करने जैसी मेहनत भी की है। और जब मैंने इसे स्कैन और अपलोड कर ही दिया है तो आप का भी ये कर्तव्य बनता है कि इसे डाउनलोड करके जरुर पढ़े आखिर हर अच्छी चीज़ आप की और बुरी चीज़ सिर्फ मेरे हिस्से तो ये सही बात नहीं है। और अगर इसकी डाउनलोडइंग कम होती है तो मेरी सच्च लिखने कि हिम्मत भी कमजोर होगी और फिर शायद अपनी सही पसंद और नापसंद न लिख सकू।

Sunday, October 27, 2013

Indrajaal Comics-26-11-rakhjhasi chidiy


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इंद्रजाल कॉमिक्स, खण्ड-२६-11-राक्षसी चिड़िया भाग २
आप सब को मेरी आदत में बारे में पता ही होगा की मुझे फेसबुक का आना बहुत ही कम पसंद है और ऐसा क्यों है मेरे लिए ये भी कहना मुश्किल है। आज तक मै खुद भी ये नहीं समझ पाया की ऐसा क्यों है पर ऐसा बराबर है। और जब आप की चीज़ में कम इस्तेमाल करेंगे तो उसके बारे में भी कम जान पाएंगे। आज तक मुझे ये नहीं पता चल पाया है की आप के फेस बुक पर आई फ्रेंड रिक्वेस्ट कहाँ पर से देखते है।जिसे कारण मेरे कई मित्रों की फ्रेंड रिक्वेस्ट कई हफ़्तों तक पड़ी रहती है और मुझे पता भी नहीं चलता। और उनको लगता है की मै उन्हें महत्त्व नहीं दे रहा हूँ जब की ऐसा कभी हो ही नहीं सकता।

हाँ अभी कुछ दिन पहले फेसबुक पर आने पर एक आर्टिकल पढ़ा राज कॉमिक्स के बढ़ते दाम और घटते कहानी के स्तर के बारे में।जहाँ तक कॉमिक्स के घटते कहानी के स्तर की बात है तो मुझे लगता है आज भी वो वैसा ही है जैसे आज से २० साल पहले था बस हमारा स्तर थोडा ज्यादा बढ़ गया है तब हम छोटे थे तो नागराज के हाथ से सांप निकलना हमें आंदोलित करता था और आज बकवास सा लगता है। सुपर कमांडो ध्रुव का जानवरों से बात करना बहुत सुकून देता था और आज लगता है ये तो संभव नहीं हो सकता। बौद्धिक स्तर बढ़ने के कारण ही ऐसा है इसलिए हमें आज की कहानी पहले से ख़राब लगती है पर अगर आप थोडा ठन्डे दिमाग से सोचे तो आज की कहानियां पहले की तुलना में ज्यदा लॉजिकल होती है।

और अगर बात कॉमिक्स के दाम की करी जाये तो यहाँ राज कॉमिक्स और हम यानि कॉमिक्स पढने वाले दोनों बराबर दोषी है। राज कॉमिक्स , कॉमिक्स के बुरे दौर में भी अपना फ़ायदा तलाश कर रहे है जबकि उन्हें अच्छे से पता है की अब हिंदी कॉमिक्स का समय ख़तम हो रहा है और अगर कुछ अलग न की किया गया तो सब कुछ ख़तम हो जायेगा। वो जानते है की कॉमिक्स को खरीद कर अगर १००० लोग पढ़ते है तो वो अपनी लगत और फ़ायदा इन्ही से निकालने की कोशिश करते है चाहे कॉमिक्स के दाम कुछ भी क्यों न पहुच जाए। और अगर हम अपनी बात करें तो हम अग्रेजी में टिनटिन या सुपरमैन की कोई कॉमिक्स खरीदने जाएँ तो उसका दाम ५०० से १००० भी कम है पर अगर हम उसी स्तर की कॉमिक्स हिंदी में १०० में खरीदने जाएँ तो वो बहुत ज्यदा हो जाता है। दोनों को अपने को अपने विचारो में परिवर्तन लाना होगा वरना कुछ बचेगा नहीं। और अगर मै अपनी बात करूँ तो मेरे लिए ये ही बहुत है की राज कॉमिक्स वाले कॉमिक्स प्रकाशित कर रहे है चाहे उसके दाम कुछ भी हो और कहानी का स्तर कुछ भी हो मेरे लिए ये कोई मुद्दा कभी नहीं है और न कभी होगा। मै अपने सुनहरे बचपन के लिए इतनी कीमत तो अदा कर ही सकता हूँ। साल का मुश्किल से १००० रु।

 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये,
 जैसा की आप इस कॉमिक्स का पहला भाग पढ़ चुके है। कहानी में कुछ अलग तो लगता नहीं है पर फिर भी आधी कॉमिक्स पढने के बाद आप इसे पूरा जरुर पढना चाहेंगे। कहानी में फैंटम अब वहाँ पहुचने वाला है जहाँ से ये चिड़िया आई थी वहां उसके साथ कैसा व्योहार होता है ये देखने की बात होगी। जैसा की मै इसके पहले भाग के अपलोड के समय लिख चूका हूँ की ये कहानी छोटी सी है तो इसमें बहुत ज्याद की उम्मीद करना बेमानी होगी। बस कहानी थोड़े बहुत चरित्रों जोड़ते हुवे कब ख़तम हो जाएगी आप को पता भी नहीं चलेगा। आज रविवार है और मुझे ये कॉमिक्स अपलोड करने का मौका मिल गया है तो इसे अपलोड करने के बाद एक कॉमिक्स और एडिट और अपलोड करने की कोशिश करूँगा और यदि संभव हो सका तो दिवाली पर ३ से ४ कॉमिक्स अपलोड करने की कोशिश करूँगा और साथ में भी कुछ एक बल पॉकेट बुक्स भी।

Monday, October 21, 2013

Indrajaal Comics-26-10-rakhjhasi chidiy



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इंद्रजाल कॉमिक्स- खण्ड-२६-भाग १०-राक्षसी चिड़िया भाग १
इंद्रजाल कॉमिक्स जैसा की मै कई बार कह चूका हूँ कि इसे तो मै इसके समय में बिलकुल भी नहीं पढता था। कारण बिलकुल सीधा सा था इसके चित्रों और कहानियों की तुलना में राज और मनोज कॉमिक्स कही ज्यदा बेहतर थे और इनके किरदारों का विदेशी लगना भी मुझे इस प्रकाशन से कभी जोड़ नहीं पाया यहाँ तक आज तक भी। मेरे एक मित्र के अनुसार फैंटम तो भारतीये पृष्ठभूमि से है और उसके काम भी भारतीय नायकों के तरह से ही है। ये सारी बात तो मुझे अभी पता चली पर मेरा बचपन इसके साथ अपने आप को उस समय बिलकुल भी नहीं जोड़ पाया था। आज तो कम से कम मै इंद्रजाल कॉमिक्स पढ़ लेता हूँ अन्यथा उस समय तो मै इसे मुफ्त में भी पढना पसंद नहीं करता था। और सच कहूँ तो आज भी नहीं, इंद्रजाल कॉमिक्स मै तभी पढता हूँ जब उसे स्कैन करता हूँ क्योंकि उसके बाद मुझे कहानी के बारे में कुछ न कुछ लिखना होता है।
 ये एक तरह से पूर्वाग्रह होता है, की आप ने एक बार जो सही मान लिए बस वही सही है बाकि सब गलत। ये हमेशा चलता अगर मै कॉमिक्स पोस्ट करना शुरु न करता। पर मेरे कुछ भी मान लेने से कुछ भी कम या ज्यदा नहीं हो जाता। फैंटम आज भी भारत ही नहीं विश्व के सबसे प्रशिद्ध चरित्र में से एक है,और हमेशा रहेगा चाहे वो मुझे पसंद हो चाहे न हो।
 यहाँ पर मै जो कुछ भी लिखता हूँ वो मेरी अपनी सोच होती है और मेरा इरादा किसी को भी दुःख पहुचने का बिलकुल ही नहीं होता। इसका सबसे बड़ा उदहारण तो यही है की ये कॉमिक्स मेरे पास है और मै इन्हें लगातार पोस्ट भी कर रहा हूँ जिससे उनको अच्छा महसूस हो जो इनके फैन है पर मेरे अपने विचार तो वही रहेंगे और सच कहूँ कम से कम इंद्रजाल कॉमिक्स के फैंटम से मै तो प्रभावित नहीं हो पाया हूँ।
 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, कहानी शुरु होती है एक काबिले से जिस पर एक विशालकाए चील हमला करती और कविले के पशुओं को उठा ले जाती और ये सिलसिला लगातार होने लगता है तो ये बात फैंटम तक पहुचती है। वो इस समस्या को कैसे हल करता है यही इस कहानी का मूल आधार है।
 कहानी जबरदस्ती दो भाग में बाटी गयी है चित्र वैसे ही है जैसे इंद्रजाल कॉमिक्स में होती है।और उस पर भी आधी कॉमिक्स में "किर्बी" की कहानी चलती है जिसको पढने का मेरा मन ही नहीं हुवा। १४ पन्ने कब सुरु होते है और कब ख़तम हो जाते है पता ही नहीं चलता, लेकिन अगर कहानी के स्तर की बात करूँ तो ये बहुत बुरी बिलकुल भी नहीं है बस आप इसे बड़ी कहानी मान कर न चले तो कहानी बहुत अच्छी है और आप इसे कॉमिक्स की नक़ल राज कॉमिक्स की कुछ कॉमिक्स में जरुर मिल जाएगी। इसका दूसरा भाग स्कैन और अपलोड कर चूका हूँ इसी हफ्ते उसे भी आप लोगो के सामने प्रस्तुत कर दूंगा। जल्द ही फिर मिलते है।।।।।।।।

Friday, October 18, 2013

Prabhat Comics-275-Pasa Palat Gaya


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प्रभात कॉमिक्स-२७५-पासा पलट गया
 'प्रभात कॉमिक्स' उन कॉमिक्स प्रकाशन में से एक है जो की अपने समय के प्रसिद्ध प्रकाशन में से थे। लेकिन जब मैंने कॉमिक्स पढना शुरु किया था तब 'डायमंड कॉमिक्स' और 'मनोज कॉमिक्स' का बोलबाला था 'राज कॉमिक्स' ने भी प्रसिद्धी पकडनी शुरु की थी।
 मेरी सुरुवात 'डायमंड कॉमिक्स' के 'चाचा चौधरी' की कॉमिक्स 'उड़ने वाली कार' से हुई। उसके बाद से मैंने 'चाचा चौधरी' की लगभग सारी कॉमिक्स पढ़ डाली। उन्ही बीच में 'राज कॉमिक्स' के 'नागराज' से भी मेरी पहचान हुई पर अगर मै अपनी पहली 'राज कॉमिक्स' की बात करूँ तो वो "विनाश्दूत" थी जिसके प्रकाशन का पता मुझे कई सालों तक नहीं था। नागराज की कॉमिक्स खूनी खोज के बाद से मैंने नागराज की कॉमिक्स को खूब पढ़ा। फिर 'मनोज कॉमिक्स' के 'राम रहीम' की कॉमिक्स मेरे हाथ लगी उसके बाद तो नागराज और राम रहीम को छोड़ कर कुछ पढता ही नहीं था।
 फिर एक बार गलती से 'सुपर कमांडो ध्रुव' की कॉमिक्स 'लहू के प्यासे' मेरे हाथ लगी जिसे मै बिलकुल भी नहीं पढना चाहता था पर उस समय गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और मैंने उस किराये वाली दूकान पर से राम रहीम और नागराज की सारी कॉमिक्स पढ़ी डाली थी और उसके पास कुछ नया नहीं था इसलिए उसे पढने का मन बनाया। पर कॉमिक्स पढने के बाद मै सरे हीरो को भूल कर पहले सुपर कमांडो ध्रुव ही पढने लगा। ये पहला चरित्र था जिसके कारण मैंने कॉमिक्स का संग्रह शुरू किया था।जो आज तक जरी है।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, ये कहानी एक मास्टर जी की है जो कि अपनी पत्नी से बहुत डरते है, जैसे ज्यातर लोग डरते है।और उनकी पिटाई बेलन से अक्सर हो ही जाती है। परन्तु एक दिन उन्हें एक टोपी मिलती है जिसे पहनने के बाद उनका मिजाज़ बदल जाता है उसके बात मास्टर जी क्या क्या करते है यही इस कहानी का मूल आधार है।
अगर मै चित्रों की बात न करूँ तो कॉमिक्स बहुत अच्छी है पढने में जरुर मज़ा आयेगा।
 इधर स्कूल की छुट्टियाँ पड़ी थी तो मैंने कुल मिलकर ५ कॉमिक्स स्कैन की थी जिसमे एक प्रस्तुत कॉमिक्स है जिसके अलावा दो इंद्रजाल कॉमिक्स है एक और प्रभात कॉमिक्स है तथा एक चुन्नू कॉमिक्स है। उम्मीद है ये सारी कॉमिक्स आप को जल्दी ही पढने को मिल जाएँगी।

Saturday, October 12, 2013

IJC-Vol.26-07-Peshewar Hatyara



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इंद्रजाल कॉमिक्स-२६-०७-पेशवर हत्यारा
 इंद्रजाल कॉमिक्स मुझे कभी भी नहीं पसंद आई,कारण सीधा सा है इनके चित्र व इनकी कहानियों का भारतीय मूल का न होना। इस कारण इंद्रजाल कॉमिक्स जब भी पढ़ा मज़बूरी में पढ़ा,जब कुछ और पढने को नहीं होता था। यही कारण है की मुझे इस प्रकाशन की ज्यदा जानकारी भी नहीं है। यदि जानकारी होती तो मुझे प्रदीप शाठे जी द्वारा बनायीं गयी कॉमिक्स के बारे में जानकारी जरुर होती तो शायद मैंने काफी इंद्रजाल कॉमिक्स पढ़ी होती।
 जब से मनोज कॉमिक्स का प्रकाशन बंद हुवा और राज कॉमिक्स का प्रकाशन न के बराबर हुवा है तब वो सारे प्रकाशन की कॉमिक्स पढने को मजबूर होना पड़ा है जिन्हें मै कभी भी नहीं पढता। उनमे से कुछ इइंद्रजाल और चित्रभारती की कॉमिक्स जरुर है।इनके अलावा नूतन कॉमिक्स, नीलम कॉमिक्स,गंगा कॉमिक्स आदि है। अब तो खैर हर प्रकाशन का कुछ न कुछ मेरे पास जरुर है पर उन सब ने मुझे कभी राज कॉमिक्स और मनोज कॉमिक्स की तरह पागल नहीं किया था।

 पेशेवर हत्यारा कहानी है एक अंतर्राष्ट्रीय अपराधी की जो की पैसे ले कर अपराध करता है। ये बहुत ही खतरनाक और दिलेर है जिसे अब्दुल करीम नाम के भारतीय अपराधी गिरोह का सरदार पैसे देकर कुछ क़त्ल और एक बहुत ही खतरनाक कार्य के लिए बुलाता है। इस खून खराबे के कारण दारा इस अंतर्राष्ट्रीय अपराधी को रोकने के लिए बाध्य हो जाता है। आगे क्या होता है वो तो इस कहानी को पूरा पढने के बाद ही आप को पता चलेगा।
 कहानी बहुत ही सरल और शांत तरीके से लिखी गयी है और चित्र तो प्रदीप शाठे जी के है जिनके बारे में कुछ कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा। एक जरुर पढने लायक कॉमिक्स।

 अब मेरी तबियत बिलकुल ठीक लग रही है और उम्मीद है ठीक ही रहेगी। आप लोगो की चिंता और प्रार्थना के लिए तहे दिल से धन्यवाद।
 जल्द ही मै एक नयी कॉमिक्स के साथ आप फिर मिलता हूँ ......................

Wednesday, October 2, 2013

IJC-Vol.26-23-Yougo Purana Rahesye


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इंद्रजाल कॉमिक्स -२ ६ -२ ३ - युगों पुराना रहस्य
 आज लगभग ३ महीने बाद कोई कॉमिक्स मै पोस्ट कर पा रहा हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे सदियाँ बीत गयी हों। एक बात तो पूरी तरह से सही है की आप कितना भी चाह लो होता वही है जो ईश्वर की इच्छा होती है। इतना लम्बा इंतज़ार तो मै कभी भी होने नहीं देना चाहता था पर एक के एक सब कुछ ऐसा होता चला गया की एक बार तो ऐसा लगने लगा की शायद मै कभी कोई कॉमिक्स पोस्ट नहीं कर पाउँगा और आज जा कर ये कॉमिक्स जो की ३ महीने पहले से नेट पर अपलोडेड थी उसे आज पोस्ट कर रहा हूँ।
सबसे पहले तो मेरा नेट ख़राब होना फिर मुझे मानसिक बीमारी का होना जिसे ठीक होने में २ महीने से ज्यदा लग गया।
 ये बात बिलकुल सही है कि कोई अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती मैंने अपने आप को मशीन बना रखा था सुबह ५ से लेकर रात २ बजे तक कुछ न कुछ करते रहना। दिमाग कब तक मेरा साथ देता। मुझे spontaneous के दौरे पड़े और फिर जा कर मुझे समझ में आया। फिर जब मै कुछ ठीक हुवा तो हार्ड डिस्क क्रैस हो गयी। अब जा कर सब कुछ ठीक हुवा है और उम्मीद करता हूँ की आगे पहले की तरह से अपलोड करता रहूँगा।

Monday, June 17, 2013

Indrajaal Comics-Vol.25-13-Andha Mahadeep


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इंद्रजाल कॉमिक्स-Vol-25-13 -अँधा महादीप
 इंद्रजाल कॉमिक्स की कड़ी में एक और कॉमिक्स एक और कॉमिक्स जो मै आज अपलोड कर रहा हूँ वो है फ़्लैश गोर्डन सिरीज़ की एक बेहतरीन कॉमिक्स 'अँधा महादीप'।इस कॉमिक्स की कहानी तो बहुत अच्छी है और इसे मै अपलोड तो जरुर करता पर इसे जल्दी अपलोड करना पड़ा क्योंकि इसे दीमक ने खाना शुरू कर दिया था और अगर मै और इंतज़ार करता तो इस कॉमिक्स की पूरी कहानी ठीक से अपलोड करना संभव नहीं हो पता इसलिए इसे तुरंत स्कैन किया है। कॉमिक्स का नंबर क्या है कहना मुश्किल है वैसे मेरा अंदाज़ा है की मैंने जो नंबर डाला है वो ठीक होना चाहिए।
 मोहित और हम सब ने मिलकर मनोज कॉमिक्स को पूरा स्कैन करने का मन बनाया था और उसमे हम काफी हद तक सफल भी हुए है परन्तु मोहित भाई ने जिस तरह से इस प्रोजेक्ट को चलाया था उसका कोई मुकाबला नहीं किया जा सकता है पर अब लगता है की उनकी जिन्दगी में काफी उथल पुथल चल रही है इसलिए वो इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पा रहे है। क्योंकि वो इस प्रोजेक्ट को काफी शिद्दत से पूरा कर रहे थे इसलिए हम उस प्रोजेक्ट में उनकी कुछ मदद ही कर रहे थे। उनके पास ही सभी कॉमिक्स का रिकार्ड मौजूद है की कौन सी कॉमिक्स अपलोड है किस कंडीशन में अपलोड है और वो सारी अपलोड कॉमिक्स उनके कम्पुटर पर है। पर मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं है मेरा काम तो जो भी मोहित भाई कहते थे अगर मेरे पास होती थी तो अपलोड कर देता था वरना मना कर देता था। इसलिए इस प्रोजेक्ट को उनके बिना पूरा करना टेड़ी खीर ही साबित होने वाली है। उम्मीद कर सकता हूँ की आप सब की मदद से मै ये मुश्किल काम कर पाऊं। और ये सभी मनोज कॉमिक्स सॉफ्ट कॉपी के रूप में हम सब के पास जरुर हो। वैसे तो मै ये उम्मीद करता हूँ की मनोज कॉमिक्स की ८०% तक कॉमिक्स मेरे पास जरुर होगी पर वो २०% जो मेरे पास नहीं होगी वो या तो आप में से किसी को उपलोड करना होगा या पर मोहित भाई को किसी तरह से इतनी मदद तो हमारी करनी ही पड़ेगी। आप सब से मेरा आग्रह है की इस काम में मेरी जितनी संभव  हो  मदद कीजिये जिस से जल्दी से जल्दी ये प्रोजेक्ट पूरा हो सके।

Monday, June 3, 2013

Indrajaal comics-Vol-26-03-Rahesymaye Joda


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इन्द्रजाल कॉमिक्स-Vol-26-03-रहस्यमय जोड़ा
 मित्रों जैसा की आप सब जानते ही है कि ये कहानी तीन भाग में आई थी और ये अंतिम भाग लेकर मै आपके सामने उपस्थित हूँ उम्मीद है ये कहानी आप को बेहद पसंद आ रही होगी। इस कॉमिक्स की अपलोडिंग में हुई देरी के लिए आप सब से तहेदिल से माफ़ी मांगता हूँ . कॉमिक्स तो बहुत पहले अपलोड हो जाती पर बिजली और इन्टरनेट के खेल ने मेरे सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। दो दिन से तो मै ये कॉमिक्स अपलोड करने की कोशिश कर रहा हूँ उम्मीद है आज सफलता मिल जाएगी। बिजली और इन्टरनेट की जुगलबंदी ने कॉमिक्स अपलोडिंग के काम को चीटी की चाल बना दिया है। अभी जब लिख रहा हूँ तो शब्द लिखने के बाद कम से कम 20 सेकंड का इंतज़ार करना पड़ता है की शब्द छप जाए।लिखने का बहुत मन कर रहा है बहुत सी बाते है करने को पर अगर मैंने जिद्द पकड़ी तो आज भी ये कॉमिक्स ये कॉमिक्स अपलोड नहीं हो पाएगी जो मै बिलकुल नहीं चाहता।
 इस कॉमिक्स को पढने के बाद ये बात साफ़ है कि इस कहानी का मुख्य भाग का उपयोग श्री अनुपम सिन्हा जी ने सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स उड़नतस्तरी के बंधक में किया था। पर वो उपयोग इतना बेहतर और इतना अलग है की उसे इसकी नक़ल बिलकुल भी नहीं कहा जा सकता है उसकी कहानी इस कॉमिक्स से कहीं ज्यादा बेहतर और शानदार है उस कॉमिक्स को मैंने कम से कम हज़ार बार तो जरुर पढ़ा होगा पर इसे पहली बार पढ़ा है और दुबारा कब पढूंगा कह नहीं सकता।
 पर इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है की इसकी कहानी बेहतर नहीं है बल्कि बहुत बेहतर है।
आप इस बेहतर कहानी का आनंद लें फिर जल्दी ही दुबारा मिलते है ।।।।.......................

कथा भारती-02-सूर्य,परमाल की सौर्य गाथा


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कथा भारती-02-सूर्य,परमाल की सौर्य गाथा
 ये कॉमिक्स एक ऐतिहासिक कहानी पर आधारित कहानी पर बनी है। ये कहानी हमारे वीरता से भरपूर इतिहास की एक सुनहरी झलक है।
 कितना अजीब लगता है ये सोच कर कि हम ऐसे ऐसे पूर्वजो की संताने होते हुए भी कितने कमजोर और असहाए हो गए है। उनकी वीरता और देशभक्ति हम तो जरा भी दिखाई नहीं देती। कुछ सौ सालों में हमारा खून पानी हो गया है। हमारे पूर्वज इतने एक थे कि वो सब एक साथ आत्महत्या तक कर लेते थे और एक हम है एक साथ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। कभी कभी तो ये लगता ही की जो वीर थे वो शहीद हो गए और जो डरपोक और देशद्रोही थे वो बच गए और हम सब उन ही डरपोक और देशद्रोही लोगो की देन है जिनमे न तो सच बोलने की हिम्मत है और न ही सच सुनने की हिम्मत।ईमानदारी नाम की कोई चीज़ जैसे होती ही नहीं है हर आदमी अपने स्तर पर बेईमानी और धोखेबाजी में लगा हुआ है। सब के सब अपने लालच और अहम् में बधे हुए लगते है।
अब समय आ गया है की हम ये साबित कर दें की हम डरपोक और देशद्रोही लोगो की संतान न हो कर उन वीर और शहीद लोगो की संताने है जिनमे कुछ भी कर जाने की हिम्मत है। ये डरपोक पीढ़ी जो हम पर पिछले 60 सालो से राज कर रही है इन्हें बदलने का वक़्त है, ये ऐसे मतलबी और डरपोक लोगों की सरकार है जिनमे सच बोलने की हिम्मत नहीं है। कभी चीन सीमा में घुस कर हमारे बहादुर सैनको को की हत्या कर जाता है तो कभी पकिस्तान और बंगलादेश। और एक हम है की हम ऐसे कायरों की सरकार बनवा कर खुश रहते है। कही मावोवादी तो कही आतंकवादी तो नकशली, हमारी इतनी ही अवकात रह गयी है।
एक हमारे यहाँ की सरकार है मतलब उत्तर प्रदेश की, जो पुलिश वाले वेचारे बम विस्फोट में मारे गए उन्हें किसी ने नहीं पूछा और जिन्हों ने बम विस्फोट किया उन्हें लाखो का इनाम दिया जा रहा है। कभी कभी तो मन करता है इन सब को चौराहे पर खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए, पर क्या करूँ सभ्यता का तकाजा है कि मै ये सिर्फ सोच कर ही रह जाता हूँ। वैसे ये सब है तो इसी लायक।
 मैंने तो कम से कम ये ठान ली है की मेरा वोट पहले तो पड़ेगा जरुर और दुसरे ऐसे नपुंशक और देशद्रोही लोगो को नहीं पड़ेगा। आप भी इन सब पर विचार करें पहले तो वोट जरुर डाले दुसरे ये देख कर डालें की कैसे लोगों को वोट डाल रहे है तभी कुछ देश का भला होगा वरना एक दिन ये देश को बेच खायेंगे और हम फिर से आजादी की लडाई लड़ रहे होंगे।
आज लगता है कुछ ज्यदा हो गया पर क्या करूँ जितना सुनता हूँ उतना ही मै बेचैन हो जाता हूँ। आप इस बेहतर कहानी का आनद लें मै जल्दी ही आप से दुबारा मिलता हूँ।।।।।।।।।।।

Sunday, May 19, 2013

Star Comics-02



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स्टार कॉमिक्स 02
 ये कॉमिक्स से ज्यदा पत्रिका है। पर जो कुछ भी है पढने में बहुत ही मजेदार है यही कारण था कि एक सिरीज़ के बीच में इसे अपलोड किया उम्मीद है आप सब को ये बहुत पसंद आएगी।
 छुट्टियाँ शुरू हो चुकी है इसलिए आप आप सब को कॉमिक्स के लीये ज्यदा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। अभी कुछ देर पहले एक आर्टिकल लिखा था की तभी मोज़िला क्रैश हो गया और साथ में वो आर्टिकल भी. अब और लिखने का मन नहीं कर रहा है पर कॉमिक्स पोस्ट कर ही रहा हूँ क्योकि मोज़िला की गलती की सजा मै आप सब को नहीं दे सकता।
पर इतना जरुर है की वो आर्टिकल आप को अगले पोस्ट में पढने को जरुर मिलेगा और भी बेहतर तरीके से लिखा हुआ।
 तब तक के लिए अलविदा जल्द ही दुबारा मिलते है ...................

Saturday, May 4, 2013

Indrajaal comics-Vol-26-02-Rahesymaye Joda



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इंद्रजाल कॉमिक्स--Vol-26-02-रहेस्यमय जोड़ा
 इस कॉमिक्स का पहला भाग आप सब ने पढ़ ही लिया होगा पर अभी इसका तीसरा भाग भी आना है और उम्मीद है उसे जल्दी से अपलोड करने में जरुर सफल हो जाऊंगा।इंद्रजाल कॉमिक्स में ये परेशानी हमेशा से रही है की वो एक कॉमिक्स दो-दो कहानी देते थे और दो और तीन भाग के साथ जिससे उनकी बिक्री बनी रहे यहाँ भी यही लगता है कहानी को जबरदस्ती तीन कॉमिक्स में खीचा गया है वरना ये कहानी दो में तो जरुर पूरी हो जाती। लेकिन जो है वो तो है ही और हमें इसे ऐसे ही लेना होगा।
 फिलहाल आप इस कहानी का दूसरा भाग पढ़े तब तक जल्दी से इसका तीसरा भाग स्कैन और अपलोड करने की कोशिश करता हूँ और साथ में एक बाल पॉकेट बुक्स भी अपलोड करने की कोशिश करूँगा। जल्दी से दुबारा मिलते है ...............

Tuesday, April 23, 2013

Indrajaal comics-Vol-26-01-Rahesymaye Joda


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इंद्रजाल कॉमिक्स--Vol-26-01-रहेस्यमय जोड़ा
 इंद्रजाल कॉमिक्स, हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन का पहला कॉमिक्स प्रकाशन। यही कारण है कि इस कॉमिक्स प्रकाशन का संग्रह 90% हिंदी कॉमिक्स संग्रहकर्ता करना चाहता है।(मै उन 10% में से हूँ ). इस कॉमिक्स प्रकाशन ने मुझे कभी भी ऐसा आकर्षित नहीं किया की मेरा मन इनका संग्रह करने के लिए पागल हो जाए। संग्रह करने के लिए अगर किसी प्रकाशन ने मुझे पागल बनाया था तो वो है राज कॉमिक्स जिसके नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स का संग्रह मैंने पागलों की तरह किया। यहाँ तक इन दोनों की एक कॉमिक्स के लगभग ५-५ कॉमिक्स होगी। बस नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स हो तो मुझे ये फर्क नहीं पड़ता है की वो कॉमिक्स मेरे पास है की नहीं मै उन्हें खरीद ही लेता हूँ।
उसके बाद मनोज कॉमिक्स में "टोटान","विध्वंस","जटायु","आक्रोश", और "राम-रहीम", की कॉमिक्स भी मैंने पागलों की तरह से ढूढ़- ढूंढ़ कर इकट्ठी की। बाकी का तो ऐसा है की मिल गई तो संग्रह हो गया और नहीं मिला तो कोई बात नहीं है। हाँ इतना जरुर रहा की संग्रह में आने के बाद उन कॉमिक्स से भी मुझे वही प्यार रहा जो मेरी मनपसंद से था पर पैसा देते समय मैंने उन्हें उतना प्यार कभी भी नहीं दिया होगा और ना ही आगे ऐसा करने का कोई इरादा है।
 हाँ कुछ लोगो ने मेरी इस आदत का गलत मतलब लगाया था और उन कॉमिक्स की मांग की। पर मेरे लिए ये बात कुछ ऐसी ही है जैसे की आप नहीं चाहते की आप का अभी कोई बच्चा हो पर अगर हो जाये तो आप उसे किसी भी बच्चे से कम प्यार नहीं देते और कभी कभी ज्यदा ही प्यार देने लगते है। संग्रह में आने के बाद वो कॉमिक्स मेरे लिए बाकी कॉमिक्स की तरह ही प्यारी है और मैं उन्हें किसी को देने में उसी तरह से असमर्थ महसूस करता हूँ,जैसे अपनी मनपसंद कॉमिक्स को देने में करता हूँ।
 जैसा की आप सब को पता ही होगा कि आजकल मै बुरी तरह से व्यस्त हूँ। मेरा बच्चा भी अब स्कूल जाने लगा है वो भी मेरे ही साथ,उसके ले जाना और फिर ले आना। और फिर उसके बाद कोचिंग के लिए दुबारा जाना बहुत थका देने वाला काम है। स्कूल सुबह ७:१५ से लगता है पर एक एक्स्ट्रा क्लास लेने के कारण ७:00 स्कूल पहुचना होता है और स्कूल मेरे घर से १० km है मतलब ६:३० पर घर छोड़ना,और १:०० बच्चे को लेकर वापस घर और फिर ३:०० बजे से वापस १५ km घर-घर जाकर पढ़ना जो की रात के १०:०० बजा देता है। उसके बाद कुछ भी करने की हिम्मत नहीं पड़ती , कॉमिक्स स्कैन करना तो दूर की बात है।
मै इस तरह की जिन्दगी का आदी भी नहीं था इसलिए थकान कुछ ज्यदा महसूस हो रही थी पर अब मुझे कुछ आदत सी पड़ने लगी है और स्कूल में काम करने का जो सबसे बड़ा फ़ायदा है वो ये की वहां छुट्टियाँ खूब पड़ती है। गर्मियों की छुट्टियाँ तो अभी आनी ही है और भी बहुत छुट्टियाँ होती है। उम्मीद है कि मै स्कूल की छुट्टियों का सही इस्तेमाल कर के कॉमिक्स स्कैनिंग और अपलोड में थोड़ी तेज़ी ला पाउँगा बाकी तो सब समय के हाथ में है।

Friday, April 12, 2013

Star Comics-06-Jaduyi Chirag Aur Adamkhor Ped


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स्टार कॉमिक्स-0६-जादुई चिराग और आदमखोर पेड़
 स्टार कॉमिक्स की मै ये चौथी कॉमिक्स अपने ब्लॉग पर अपलोड कर रहा हूँ। वैसे तो स्टार कॉमिक्स की मैंने कई कॉमिक्स अपलोड की है पर ब्लॉग पर सिर्फ तीन ही है। अगर मै अपनी बात करूँ तो स्टार कॉमिक्स को मै ज्यदा तो पसंद नहीं करता। पर इनकी मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों को जो कॉमिक्स के रूप में छापा है उसका कोई जबाब नहीं है। उस सिरीज़ में कुल ४ कॉमिक्स छापी गयी है जिनमे है "ईदगाह","पन्च परमेश्वर",बेटों वाली विधवा" और "पूश की रात". इनमे से तीन कॉमिक्स मैंने खुद अपलोड की है और एक जहीर भाई (पूश की रात) ने अपलोड है और ये सारी कॉमिक्स नेट पर मिल जानी चाहिए।
ये सारी कॉमिक्स मेरे पास है और मै इन्हें दुबारा अपलोड करने की सोच रहा हूँ और जब भी समय मिलेगा जरुर दुबारा स्कैन करूँगा। फिलहाल आप इस बेहतर कहानी का आनंद मै आप सब से फिर नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ।

Wednesday, April 3, 2013

IndrajaalC-Vol-25-05-Masum Gunahgar


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इंद्रजाल कॉमिक्स-Vol -25-05-मासूम गुनाहगार
 एक और बहुत ही बेहतर कॉमिक्स अनजान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य" सिरीज़ की। जैसा की आप ने इस से पहले अपलोड कॉमिक्स "सुलगता पाप" में पढ़ा होगा की कहानी बहुत ही सरल होने के साथ बहुत ही दिल को छूने वाली होती है,उस कॉमिक्स में युवा के नशे को लेकर समस्या पर बड़े प्यार से लिखी गयी कहानी थी। बहुत ही सरल और सीधे तरीके से।
 अनजान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य" की कॉमिक्स सबसे बेहतर बात जो मुझे लगता है वो ये है कि ऐसा लगता है की जैसे ये अभी कुछ देर बात कही जाते हुवे हम को मिल जायेगा। हर आदमी में उसकी परछाई नज़र आने लगती है।
 ये कहानी भी कुछ वैसे ही है इस कॉमिक्स में लेखक ने बड़े ही सरल तरीके युवाओं के अकेलेपन और उस अकेलेपन में कारण भटकने की बात को दर्शाता है। पर ये भटकाव इतना ज्यदा भी नहीं है कि वो अपनी मौलिक अच्छाई को पूरी तरह से भूल गया है। इस कहानी को पढने के बात आप कुछ ऐसा सुकून महसूस करेंगे की कहना ही क्या। आप इस बेहतर कॉमिक्स और कहानी का आनंद ले फिर जल्दी ही दुबारा मिलता हूँ।

Thursday, March 28, 2013

LotPot No. 122


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लोटपोट नंबर-122
सच कहूँ मैंने कभी भी लोटपोट अपलोड करने के बारे में नहीं सोचा था। कारण आसान सा है एक तो ये हिंदी पत्रिका अभी भी प्रकाशित हो रही है और दुसरे मुझे एक पत्रिका बिलकुल भी पसंद नहीं है। और जो चीज़ आप को पसंद न हो उसका आप के पास होना भी बहुत मुश्किल होगा। पर ये लोटपोट 200 नंबर से नीचे की है जो की मिलना बहुत मुश्किल है मैंने इनसे पहले कभी भी 200 नंबर से नीचे की लोटपोट नहीं देखी थी तो दिल नहीं माना और इन्हें खरीद लिया और फिर इन्हें उपलोड कर रहा हूँ उम्मीद है आप सब को ये बेहद पुरानी पत्रिका पसंद आएगी।
 आज बात पिछली बार उपलोड की इंद्रजाल कॉमिक्स पर कर ली जाये,ज्यदातर लोगो को इंद्रजाल कॉमिक्स पसंद आई और मुझ से इस बात की आशा की जाने लगी है की मै हिंदी इंद्रजाल में जो भी कॉमिक्स इन्टरनेट पर उपलोड नहीं है उन्हें उपलोड करने की कोशिश करूँ। मैंने अपने पहले पोस्ट में ये बात रखी थी की मै इंद्रजाल कॉमिक्स का संग्रह नहीं करता इसलिए उसकी सारी कॉमिक्स अपलोड करना मेरे लीये संभव नहीं होगा। कितनी अजीब बात है जो लोग इंद्रजाल कॉमिक्स के संग्रह के नाम पर लाखो रूपये पानी की तरह बहा चुके है ये बहा रहे है वो इनको हमेशा के लिए संग्रह (डिजिटल फोर्मेट) करने के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है और जो मेरी तरह हिंदी कॉमिक्स में कुछ भी संग्रह करने को तैयार है उनके लिए इन कॉमिक्स को खरीदना असंभव बना दिया है। मेरे बस का तो 1-300 नंबर तक की कॉमिक्स खरीदना तो बिलकुल भी नहीं है, फिर भी जो मेरे पास है जैसा की मै हमेशा करता हूँ उन्हें अपलोड कर दूंगा और उम्मीद करूँगा की बाकी कोई और निस्वार्थ आदमी अपलोड कर देगा। मनोज कॉमिक्स की बात कुछ और थी एक तो वो मुझे खुद पसंद है दुसरे वो बहुत ज्यदा महंगी नहीं है और तीसरे मनोज कॉमिक्स के ज्यदातर संग्रहकर्ता इंद्रजाल कॉमिक्स के संग्रकर्ता की तरह अहम् के मारे नहीं है इसलिए हम उसे पूरी तरह अपलोड करने में सफल हो जायेंगे और लगभग हो ही गए है। पर इंद्रजाल कॉमिक्स का भविष्य संग्रह के नाम पर तो मुझे अंधकारमय ही लगता है। बाकी जैसी ईश्वर मर्जी।

Monday, March 25, 2013

Indrajaal Comics-Vol.24-28-Sulagta Paap



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इन्द्रजाल कॉमिक्स-सुलगता पाप (अन्जान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य")
जैसा की मै आप लोगो को पहले ही बता चूका हूँ, कि इंद्रजाल कॉमिक्स का शौक मुझे कभी भी नहीं रहा और आज भी कुछ नया नहीं है,फिर भी मेरे पास 300 के लगभग (हिंदी/अंग्रेजी मिला कर) इन्द्रजाल कॉमिक्स होगी।पर मैंने इन्हें कभी पढने की कोशिश नहीं की,कारण इन कॉमिक्स के चित्र और उनकी छपाई और शायद उससे बड़ी बात ये होगी कि इनकी ज्यदातर कॉमिक्स भारतिए परिवेश की नहीं है और मै शहर में रहने के वाबजूद भी अपने गावं से कभी अलग नहीं हो पाया, मेरा देशीपन मुझे इन कहानियों के करीब कभी भी नहीं जाने दिया। और मुझे इन कॉमिक्स कि कहानिया कभी भी समझ में नहीं आई,"बहादुर" की कॉमिक्स शायद मुझे उस समय नहीं मिली होंगी नहीं तो शायद इन्द्रजाल से मेरा थोडा लगाव तो जरुर होता।
 आज भी मै अपने आप को इस सबसे पुराने और बेहतरीन हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन से जोड़ नहीं पाता। पर ये जो कॉमिक्स है इस में वो सारी बाते है जो मुझे चाहिए होती है जैसे भारतिए परिवेश और सुन्दर चित्र। चित्र श्री प्रदीप शाठे जी का है और कहानी भी बहुत सरल और बहुत ही बेहतर है पढने के बाद आप अजीब सा शुकून महसूस करेंगे।
 स्कूल के लिए देर हो रही है बाकी बाते किसी और दिन करेंगे तब तक आप सब हो होली की अग्रिम शुभकामनाये।

Tuesday, March 19, 2013

Diamond Comics-299-Lambu Motu Aur Paglon Ka Badshah


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डायमंड कॉमिक्स -299- लम्बू-मोटू और पागलों का बादशाह
जैसा की आप सब ने "डॉक्टर अफलातून" पढ़ा होगा की कैसे एक बच्चे का दिमाग बूढ़े की तरह और एक बूढ़े का दिमाग बच्चे की तरह का हो जाता है और तो और कुछ बन्दर भी इंसानों की भाषा में बात करने लगते है और ये सब होता है "डॉक्टर अफलातून" के कारण।पूरा पुलिस बिभाग परेशान है इस समस्या से और किसी को कोई हल नज़र नहीं रहा है की इस परेशानी से कैसे निपटा जाये और उससे बड़ी परेशानी की बात ये थी की किसी को नहीं पता था की "डॉक्टर अफलातून" है कौन और उसे कहाँ से पकड़ा जा सकता है और उसकी कुल ताकत कितनी होगी।लम्बू-मोटू के लिए ये "डॉक्टर अफलातून" को ढूढ कर पकड़ना आसान तो बिलकुल भी नहीं होने वाला था वो भी तब जब उनके पास डॉक्टर अफलातून तक पहुचने का कोई रास्ता नहीं था।
 लेकिन जैसे की हर कहानी में होता है की नायक को खलनायक तक पहुचने का कोई न कोई रास्ता मिल ही जाता है,वो रास्ता क्या है ये तो आप को कहानी पढने के बाद ही पता चल पायेगा।
कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स में पहली वाली कॉमिक्स की तरह बेहतर ही है पर कुछ जगह मुझे कहानी खीची हुई लगी,पर फिर भी पूरी कहानी बहुत ही बेहतर है। आप इसे बार-बार पढना चाहेंगे।
जैसा की आप सभी जानते है की कॉमिक्स के भाग वाली कॉमिक्स जल्दी देने का प्रयास करता हूँ, और इस बार भी मैंने यही कोशिश की है। पर काम इतना ज्यदा है की बड़ी मुश्किल से ही समय निकल पा रहा है।
 इस बार मैंने इंद्रजाल कॉमिक्स स्कैन करने का मन बनाया है, मै इंद्रजाल कॉमिक्स नहीं पढता हूँ और न ही उनका संग्रह करने में मुझे कोई रूचि है परन्तु आजकल जिस तरह से मुझे लोग कॉमिक्स बेच रहे है(सारी लेना होगा नहीं तो कोई नहीं देंगे) उसके कारण न चाहते हुवे भी मेरे पास हिंदी-इंग्लिश मिला का 400 कॉमिक्स से ज्यदा होंगी,चित्र और छपाई ख़राब होने के कारण मेरा उन्हें पढने में कभी मन नहीं लगा,पर अभी चार दिन पहले जब मै उन कॉमिक्स को देख रहा था तो उसमे मुझे एक ऐसी कॉमिक्स दिखी जो सबसे अलग थी।
 हिंदी परिवेश में लिखी कहानी और इसका चित्रांकन किया था "श्री प्रदीप शाठे" जी ने। बस फिर क्या था कहानी पढ़ डाला और वो मुझे बहुत सरल और बहुत बेहतर लगी। फिर मैंने उसे स्कैन कर लिया है और जल्द ही अपलोड भी कर दूंगा और कहानी का नायक है "अनजान लोक का फ़रिश्ता". मुझे तो ये कहानी और इसके चित्र बहुत अच्छे लगे उम्मीद है आप को भी वो कॉमिक्स पसंद आएगी।

Diamond Comics-299-Lambu Motu Aur Paglon Ka Badshah


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डायमंड कॉमिक्स -299- लम्बू-मोटू और पागलों का बादशाह
जैसा की आप सब ने "डॉक्टर अफलातून" पढ़ा होगा की कैसे एक बच्चे का दिमाग बूढ़े की तरह और एक बूढ़े का दिमाग बच्चे की तरह का हो जाता है और तो और कुछ बन्दर भी इंसानों की भाषा में बात करने लगते है और ये सब होता है "डॉक्टर अफलातून" के कारण।पूरा पुलिस बिभाग परेशान है इस समस्या से और किसी को कोई हल नज़र नहीं रहा है की इस परेशानी से कैसे निपटा जाये और उससे बड़ी परेशानी की बात ये थी की किसी को नहीं पता था की "डॉक्टर अफलातून" है कौन और उसे कहाँ से पकड़ा जा सकता है और उसकी कुल ताकत कितनी होगी।लम्बू-मोटू के लिए ये "डॉक्टर अफलातून" को ढूढ कर पकड़ना आसान तो बिलकुल भी नहीं होने वाला था वो भी तब जब उनके पास डॉक्टर अफलातून तक पहुचने का कोई रास्ता नहीं था।
 लेकिन जैसे की हर कहानी में होता है की नायक को खलनायक तक पहुचने का कोई न कोई रास्ता मिल ही जाता है,वो रास्ता क्या है ये तो आप को कहानी पढने के बाद ही पता चल पायेगा।
कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स में पहली वाली कॉमिक्स की तरह बेहतर ही है पर कुछ जगह मुझे कहानी खीची हुई लगी,पर फिर भी पूरी कहानी बहुत ही बेहतर है। आप इसे बार-बार पढना चाहेंगे।
जैसा की आप सभी जानते है की कॉमिक्स के भाग वाली कॉमिक्स जल्दी देने का प्रयास करता हूँ, और इस बार भी मैंने यही कोशिश की है। पर काम इतना ज्यदा है की बड़ी मुश्किल से ही समय निकल पा रहा है।
 इस बार मैंने इंद्रजाल कॉमिक्स स्कैन करने का मन बनाया है, मै इंद्रजाल कॉमिक्स नहीं पढता हूँ और न ही उनका संग्रह करने में मुझे कोई रूचि है परन्तु आजकल जिस तरह से मुझे लोग कॉमिक्स बेच रहे है(सारी लेना होगा नहीं तो कोई नहीं देंगे) उसके कारण न चाहते हुवे भी मेरे पास हिंदी-इंग्लिश मिला का 400 कॉमिक्स से ज्यदा होंगी,चित्र और छपाई ख़राब होने के कारण मेरा उन्हें पढने में कभी मन नहीं लगा,पर अभी चार दिन पहले जब मै उन कॉमिक्स को देख रहा था तो उसमे मुझे एक ऐसी कॉमिक्स दिखी जो सबसे अलग थी।
 हिंदी परिवेश में लिखी कहानी और इसका चित्रांकन किया था "श्री प्रदीप शाठे" जी ने। बस फिर क्या था कहानी पढ़ डाला और वो मुझे बहुत सरल और बहुत बेहतर लगी। फिर मैंने उसे स्कैन कर लिया है और जल्द ही अपलोड भी कर दूंगा और कहानी का नायक है "अनजान लोक का फ़रिश्ता". मुझे तो ये कहानी और इसके चित्र बहुत अच्छे लगे उम्मीद है आप को भी वो कॉमिक्स पसंद आएगी।

Friday, March 15, 2013

DC-294-Lambu Motu Aur Dr. Aflatoon


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डायमंड कॉमिक्स-294-लम्बू-मोटू और डॉक्टर अफलातून
 ये उस समय की कॉमिक्स है,जब कॉमिक्स ने भारत में अपना प्रभुत्त स्थापित करना शुरू ही किया था।कहानियों के लिहाज़ से इस दौर में जो कुछ भी छपा वो अब तक का सबसे बेहतर है। इस दौर में जो एक बात बहुत पढने को मिली वो थी वैज्ञानिक शक्तियों का दुर्प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों की कहानी। ऐसी कहानियां इतनी ज्यदा रोमांचक और डरावनी (मुझे लगती थी) होती थी की मैं पढने के लिए परेशान भी रहता था और डरता भी था। ये कहानी भी उन्ही कहानियों में से एक है,और बहुत ही बेहतर है। इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते है कि मै डायमंड कॉमिक्स बहुत की कम अपलोड करता हूँ क्योंकि मुझे उनकी कहानियां पसंद नहीं आती और अगर मै ये कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ तो इसकी कहानी अच्छी ही होगी।
 पढने के बाद आप खुद इस कॉमिक्स को बार- बार पढेंगे।

 पिछली बार जब मैंने कॉमिक्स अपलोड की थी तो मै बहुत थका हुआ था। स्कूल में क्लास टीचर होने के कारण आप को अपने विषय की कॉपी चेक करने के अलावा बच्चो के रिपोर्ट कार्ड बनाना और उनके पूरे साल रिकॉर्ड रखना बहुत थका देने वाला काम होता है जो की मुझे करना पड़ा था।

आज मै आप लोगो से "लोगो के एक दूसरे पर निर्भरता" के बारे में अपने विचार रखूँगा।
 जैसा की हम सभी जानते है की मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के कारण हम कही न कही एक दुसरे पर निर्भर रहते ही है। हम इस निर्भरता से हम कभी भी बच सकते। शुरू में हम अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है,फिर अपने टीचर पर,फिर दोस्तों पर,फिर नौकरी पर,फिर बच्चो पर। कहने का ये अर्थ है की निर्भरता हमारी मौत के साथ ही ख़तम होती है और कैयदे से देखा जाये तो मरने के बाद भी आखरी कर्म तक निर्भरता बनी रहती है।
जहाँ तक मेरी बात है मै भी मानता हूँ की इस निर्भरता से बचा नहीं जा सकता है। पर इसे कम जरुर किया जा सकता। और किसी पर निर्भरता हमारी जरुरत हो सकती है पर उसे हमारी कमजोरी नहीं बनाना चाहिए। जैसा की मेरे साथ है। नौकरी पर निर्भर हूँ पर ये मेरी कमजोरी नहीं है।इसी तरह से मै अपने हर रिश्ते को देखता हूँ, मै अपने हर रिश्ते का पूरा सम्मान और आदर करता हूँ और मै उन पर निर्भर भी हूँ पर मेरे कोई भी रिश्ते मेरी कमजोरी नहीं है। मै आज की तारीख में किसी भी रिश्ते के बिना रह सकता हूँ चाहे वो कितने भी जरुरी और फैदेमंद क्यों न हों। मै उन्ही रिश्तों को सम्मान देता हूँ जो रिश्ते मुझे सम्मान देते है।
 जहाँ तक मैंने इस जिन्दगी को जाना है की वही रिश्ते और उन्ही लोगो पर हमारी निर्भरता हमारे साथ आजीवन चलती है जिनकी स्थिति और निर्भरता हमारे साथ भी बिलकुल वैसी ही हो। जब हम दूसरे से ही सारी उम्मीद करने लगते है तो भी रिश्तों का अंत हो जाता है।हम दूसरे से पूरी ईमानदारी की उम्मीद करते है और खुद कभी भी इमानदार नहीं होते।

DC-294-Lambu Motu Aur Dr. Aflatoon


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डायमंड कॉमिक्स-294-लम्बू-मोटू और डॉक्टर अफलातून
 ये उस समय की कॉमिक्स है,जब कॉमिक्स ने भारत में अपना प्रभुत्त स्थापित करना शुरू ही किया था।कहानियों के लिहाज़ से इस दौर में जो कुछ भी छपा वो अब तक का सबसे बेहतर है। इस दौर में जो एक बात बहुत पढने को मिली वो थी वैज्ञानिक शक्तियों का दुर्प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों की कहानी। ऐसी कहानियां इतनी ज्यदा रोमांचक और डरावनी (मुझे लगती थी) होती थी की मैं पढने के लिए परेशान भी रहता था और डरता भी था। ये कहानी भी उन्ही कहानियों में से एक है,और बहुत ही बेहतर है। इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते है कि मै डायमंड कॉमिक्स बहुत की कम अपलोड करता हूँ क्योंकि मुझे उनकी कहानियां पसंद नहीं आती और अगर मै ये कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ तो इसकी कहानी अच्छी ही होगी।
 पढने के बाद आप खुद इस कॉमिक्स को बार- बार पढेंगे।

 पिछली बार जब मैंने कॉमिक्स अपलोड की थी तो मै बहुत थका हुआ था। स्कूल में क्लास टीचर होने के कारण आप को अपने विषय की कॉपी चेक करने के अलावा बच्चो के रिपोर्ट कार्ड बनाना और उनके पूरे साल रिकॉर्ड रखना बहुत थका देने वाला काम होता है जो की मुझे करना पड़ा था।

आज मै आप लोगो से "लोगो के एक दूसरे पर निर्भरता" के बारे में अपने विचार रखूँगा।
 जैसा की हम सभी जानते है की मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के कारण हम कही न कही एक दुसरे पर निर्भर रहते ही है। हम इस निर्भरता से हम कभी भी बच सकते। शुरू में हम अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है,फिर अपने टीचर पर,फिर दोस्तों पर,फिर नौकरी पर,फिर बच्चो पर। कहने का ये अर्थ है की निर्भरता हमारी मौत के साथ ही ख़तम होती है और कैयदे से देखा जाये तो मरने के बाद भी आखरी कर्म तक निर्भरता बनी रहती है।
जहाँ तक मेरी बात है मै भी मानता हूँ की इस निर्भरता से बचा नहीं जा सकता है। पर इसे कम जरुर किया जा सकता। और किसी पर निर्भरता हमारी जरुरत हो सकती है पर उसे हमारी कमजोरी नहीं बनाना चाहिए। जैसा की मेरे साथ है। नौकरी पर निर्भर हूँ पर ये मेरी कमजोरी नहीं है।इसी तरह से मै अपने हर रिश्ते को देखता हूँ, मै अपने हर रिश्ते का पूरा सम्मान और आदर करता हूँ और मै उन पर निर्भर भी हूँ पर मेरे कोई भी रिश्ते मेरी कमजोरी नहीं है। मै आज की तारीख में किसी भी रिश्ते के बिना रह सकता हूँ चाहे वो कितने भी जरुरी और फैदेमंद क्यों न हों। मै उन्ही रिश्तों को सम्मान देता हूँ जो रिश्ते मुझे सम्मान देते है।
 जहाँ तक मैंने इस जिन्दगी को जाना है की वही रिश्ते और उन्ही लोगो पर हमारी निर्भरता हमारे साथ आजीवन चलती है जिनकी स्थिति और निर्भरता हमारे साथ भी बिलकुल वैसी ही हो। जब हम दूसरे से ही सारी उम्मीद करने लगते है तो भी रिश्तों का अंत हो जाता है।हम दूसरे से पूरी ईमानदारी की उम्मीद करते है और खुद कभी भी इमानदार नहीं होते।

Nutan Comics - 96 Jadu Ka Patang

Nutan Comics - 96 Jadu Ka Patang

Thursday, March 7, 2013

Chitrabharti Kathamala-72-Chamtkari Chadi


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चित्रभारती कथामाला-74-चमत्कारी छड़ी
 हिंदुस्तानी कथावों के कुछ ऐसे चरित्र है जिन्हें लगभग हर प्रकाशन ने अपनी सुबिधा के अनुसार खूब भुनाया। उनमे से कुछ है वीरबल, तेनाली राम , और विक्रम वेताल। और अगर देश के बहार के चरित्रों की बात करूँ तो ड्राकुला का नाम सबसे पहले सामने आता है। और इस कहानी में राजा विक्रम का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया गया है,कहानी बहुत ही बेहतर है और पढने के बाद आप को काफी समय तक ये कहानी याद रहेगी।

आजकल मै बहुत ही व्यस्त चल रहा हूँ थकान भी महसूस कर रहा हूँ और बहुत जोरों की नीद भी आ रही है। काफी समय से कोई कॉमिक्स अपलोड नहीं कर पा रहा था तो किसी तरह से हिम्मत करके इसे अपलोड कर रहा हूँ, अगले अपलोड में मै जरुर किसी और बारे में आप से ढेर सारी बाते करूँगा। आज के लिए बस इतना ही फिर मिलते है नयी कॉमिक्स के साथ ..................

Tuesday, February 26, 2013

Nutan Chitrakatha-352-Mamaji Aur Pagdi Ki Karamaat


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नूतन चित्रकथा-352-मामाजी और पगड़ी की करामात
 मामा जी,नाना जी,काका जी और चाचा चौधरी ये सब एक ही नाव पर सवार चरित्र है। सब की कहानियां एक जैसी,सभी अति बुद्धिमान,और सभी के साथ किसी न किसी रूप में एक बहुत ताकतवर साथी का होना,सभी कुछ एक जैसा। और मैंने जब कॉमिक्स पढनी शुरू की थी तब चाचा चौधरी को छोड़ कर कोई कॉमिक्स पढने को नहीं मिली थी इसलिए चाचा चौधरी ही पढ़ा गया,और चाचा चौधारी की कॉमिक्स ने हमारा बहुत मनोरंजन किया। पर जब कॉमिक्स मिलनी कम हो गयी तब जा कर मैंने नाना जी, काका जी और मामा जी को भी पढ़ा। चित्रों को छोड़ दूँ तो कई मायनो में ये सब चाचा चौधरी से बेहतर थे,कहानियां आप गुदगुदाने में सझम है। आज इसी कड़ी में मै मामा जी की एक कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ। उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी।
 आज मै आप सब से "दिखावा" के बारे बात करूँगा। जब भी ये शब्द मेरे सामने आता है तब मुझे अपने HDFC Life में काम करने वाले दिन याद आते है और आता है संजय श्रीवास्तव की कही गयी वो बात कि " काम करो या न करो पर काम करने का दिखावा तो करो।" ये बात उस समय तो मुझे ज्यादा समझ में नहीं आई थी पर आज मुझे पता चलता है की ये थी बहुत ही गहरी बात। हम सभी इसी तरह से अपनी जिन्दगी में कही न कही दिखावा तो करते ही है, कभी अपने फैयदे के लिए तो कभी दुसरे को दुःख न देने के लिए,और कभी कभी तो अपने अहम् को ऊँचा करने के लिए भी हम दिखावा करते है।
दिखावा तो सभी करते है किसी न किसी स्तर पर,और व्यक्तिगत रूप से मै इसे बहुत बुरा भी नहीं मानता। पर इसकी भी अपनी सीमा होनी चाहिए,आप जी खोल कर दिखावा कर सकते है,पर उसमे शालीनता होनी चाहिए,अब आप कहेंगे की जब दिखावा ही है तो उसमे शालीनता कैसे हो सकती है, नहीं ऐसा नहीं है शालीनता के साथ किया गया दिखावा ही समाज का निर्माण करता है। समाज आखिर दिखावा ही है और क्या  है ? हम कैसे भी क्यों न हों हमें सामाजिक होने का दिखावा करना ही पड़ता है, आप के घर खाने को हो न हो पर घर पर मौत होने पर आत्मा की शुधि के नाम पर लोगो को खिलाने का दिखावा करना पड़ना है, इस दिखावे ने हमारा कितना नुकशान किया है और कितना कर रहा है उसके बारे में अगर आप थोडा शोचेंगे तो पाएंगे की हम सब जो कुछ भी करते है वो एक दिखावा ही तो होता है। पर अगर कोई दिखवा किसी को कष्ट न पहुचे तो ठीक है पर अगर आप का दिखवा किसी को नुकशान पहुचाने लगे तो फिर वो दिखावा आप के मानसिक दिवालियापन की निशानी होता है।
अभी मैंने जिस स्कूल में पढ़ना शुरु किया है वहां पर मुझे ऐसा ही दिखावा देखने को मिला जिसने मुझे बहुत कष्ट पहुचाया, स्कूल में बच्चो के वार्षिक इम्तहान चल रहे थे,जैसा की अक्सर होता है की बच्चे कुछ न कुछ अपने हाथो या फिर पेपर पर कुछ न कुछ लिख लेते है जिसे वो उसे इम्तहान में इस्तेमाल कर सके,मै इस बात को पूरी तरह से गलत मानता हूँ और हम अध्यापक का यही काम होता है की हम उन्हें ये सब करने से रोके।ऐसी की एक घटना में हमारी स्कूल की एक अध्यापिका की क्लास में भी ऐसा ही हुवा, उस दिन हमारे स्कूल के संस्थापक भी आये थे बस उनको दखाने के लिए मै बहुत इमानदारी से अपना काम करती हूँ उनने उन बच्चो को उनके सामने पकड़ लिया और उसके बात जो दिखावे का नाटक हुवा उसका क्या कहना, उन बच्चो को एग्जामिनेशन हाल से हटाया गया फिर उनके अभिवावकों से शिकायत की गयी,और इस पुरे दिखावे में उन बच्चो का पूरा 45 मिनट बर्बाद किया। सवाल ये उठता है की क्या ये दिखवा जरुरी था? मुझे नहीं लगता, ऐसा नहीं है की मै ये मानता हूँ की बच्चे सही पर सही तो वो टीचर और वो संस्थापक जी भी नहीं थे। जो टीचर अपनी क्लास कण्ट्रोल नहीं कर सकता,उसे हर दुसरे बात के लिए संस्थापक की जरुरत पड़े वो क्या पढाता होगा? उन्हें दिखावे के बजाये खुद ही उन बच्चो को देखना चाहिए था और उन्हें रोकना चाहिए था न की उन बच्चो का समय बर्बाद करना चाहिए था। मेरे हिसाब से ये होना चाहिए था- टीचर को शिकायत नहीं करनी चाहिए थी उन बच्चो को क्लास में खड़ा करके डाटने के बाद उनको शाफ करने को कहना चाहिए था और फिर उनको क्लास में काम करने देना चाहिए था। और अगर टीचर ने शिकायत कर दी थी तो संस्थापक जी को बच्चो को एग्जाम के बाद बुला का वो सब करना चाहिए था इससे बच्चो का 45 मिनट बच जाता और उनके मन की भी हो जाती। पर हाय रे दिखावा !!
कभी अपने को सबसे बड़ा दिखाने का दिखावा ,तो कभी किसी को नीचा दिखने के लिए दिखावा,
 पर मुझे लगता है जिनमे काबिलियत नहीं होती है वो ही अपने को सबसे बड़ा दिखाने का दिखावा करते है और जो काबिल होते है उन्हें दिखावे की जरुरत ही नहीं पड़ती। इसलिए दिखावा तो करना ही नहीं चाहीये पर अगर करना ही पड़े तो फिर ऐसा दिखावा करना चाहिए जिससे चाहे अपने को नुकशान हो जाये किसी और को तकलीफ नहीं पहुचनी चाहिए।
आज फिर ज्यादा लिख गया, कोई नहीं होता है। आप सब इस बेहतर कॉमिक्स का आनद लें जल्द ही दुबारा मिलते है .............

Nutan Chitrakatha-352-Mamaji Aur Pagdi Ki Karamaat


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नूतन चित्रकथा-352-मामाजी और पगड़ी की करामात
 मामा जी,नाना जी,काका जी और चाचा चौधरी ये सब एक ही नाव पर सवार चरित्र है। सब की कहानियां एक जैसी,सभी अति बुद्धिमान,और सभी के साथ किसी न किसी रूप में एक बहुत ताकतवर साथी का होना,सभी कुछ एक जैसा। और मैंने जब कॉमिक्स पढनी शुरू की थी तब चाचा चौधरी को छोड़ कर कोई कॉमिक्स पढने को नहीं मिली थी इसलिए चाचा चौधरी ही पढ़ा गया,और चाचा चौधारी की कॉमिक्स ने हमारा बहुत मनोरंजन किया। पर जब कॉमिक्स मिलनी कम हो गयी तब जा कर मैंने नाना जी, काका जी और मामा जी को भी पढ़ा। चित्रों को छोड़ दूँ तो कई मायनो में ये सब चाचा चौधरी से बेहतर थे,कहानियां आप गुदगुदाने में सझम है। आज इसी कड़ी में मै मामा जी की एक कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ। उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी।
 आज मै आप सब से "दिखावा" के बारे बात करूँगा। जब भी ये शब्द मेरे सामने आता है तब मुझे अपने HDFC Life में काम करने वाले दिन याद आते है और आता है संजय श्रीवास्तव की कही गयी वो बात कि " काम करो या न करो पर काम करने का दिखावा तो करो।" ये बात उस समय तो मुझे ज्यादा समझ में नहीं आई थी पर आज मुझे पता चलता है की ये थी बहुत ही गहरी बात। हम सभी इसी तरह से अपनी जिन्दगी में कही न कही दिखावा तो करते ही है, कभी अपने फैयदे के लिए तो कभी दुसरे को दुःख न देने के लिए,और कभी कभी तो अपने अहम् को ऊँचा करने के लिए भी हम दिखावा करते है।
दिखावा तो सभी करते है किसी न किसी स्तर पर,और व्यक्तिगत रूप से मै इसे बहुत बुरा भी नहीं मानता। पर इसकी भी अपनी सीमा होनी चाहिए,आप जी खोल कर दिखावा कर सकते है,पर उसमे शालीनता होनी चाहिए,अब आप कहेंगे की जब दिखावा ही है तो उसमे शालीनता कैसे हो सकती है, नहीं ऐसा नहीं है शालीनता के साथ किया गया दिखावा ही समाज का निर्माण करता है। समाज आखिर दिखावा ही है और क्या  है ? हम कैसे भी क्यों न हों हमें सामाजिक होने का दिखावा करना ही पड़ता है, आप के घर खाने को हो न हो पर घर पर मौत होने पर आत्मा की शुधि के नाम पर लोगो को खिलाने का दिखावा करना पड़ना है, इस दिखावे ने हमारा कितना नुकशान किया है और कितना कर रहा है उसके बारे में अगर आप थोडा शोचेंगे तो पाएंगे की हम सब जो कुछ भी करते है वो एक दिखावा ही तो होता है। पर अगर कोई दिखवा किसी को कष्ट न पहुचे तो ठीक है पर अगर आप का दिखवा किसी को नुकशान पहुचाने लगे तो फिर वो दिखावा आप के मानसिक दिवालियापन की निशानी होता है।
अभी मैंने जिस स्कूल में पढ़ना शुरु किया है वहां पर मुझे ऐसा ही दिखावा देखने को मिला जिसने मुझे बहुत कष्ट पहुचाया, स्कूल में बच्चो के वार्षिक इम्तहान चल रहे थे,जैसा की अक्सर होता है की बच्चे कुछ न कुछ अपने हाथो या फिर पेपर पर कुछ न कुछ लिख लेते है जिसे वो उसे इम्तहान में इस्तेमाल कर सके,मै इस बात को पूरी तरह से गलत मानता हूँ और हम अध्यापक का यही काम होता है की हम उन्हें ये सब करने से रोके।ऐसी की एक घटना में हमारी स्कूल की एक अध्यापिका की क्लास में भी ऐसा ही हुवा, उस दिन हमारे स्कूल के संस्थापक भी आये थे बस उनको दखाने के लिए मै बहुत इमानदारी से अपना काम करती हूँ उनने उन बच्चो को उनके सामने पकड़ लिया और उसके बात जो दिखावे का नाटक हुवा उसका क्या कहना, उन बच्चो को एग्जामिनेशन हाल से हटाया गया फिर उनके अभिवावकों से शिकायत की गयी,और इस पुरे दिखावे में उन बच्चो का पूरा 45 मिनट बर्बाद किया। सवाल ये उठता है की क्या ये दिखवा जरुरी था? मुझे नहीं लगता, ऐसा नहीं है की मै ये मानता हूँ की बच्चे सही पर सही तो वो टीचर और वो संस्थापक जी भी नहीं थे। जो टीचर अपनी क्लास कण्ट्रोल नहीं कर सकता,उसे हर दुसरे बात के लिए संस्थापक की जरुरत पड़े वो क्या पढाता होगा? उन्हें दिखावे के बजाये खुद ही उन बच्चो को देखना चाहिए था और उन्हें रोकना चाहिए था न की उन बच्चो का समय बर्बाद करना चाहिए था। मेरे हिसाब से ये होना चाहिए था- टीचर को शिकायत नहीं करनी चाहिए थी उन बच्चो को क्लास में खड़ा करके डाटने के बाद उनको शाफ करने को कहना चाहिए था और फिर उनको क्लास में काम करने देना चाहिए था। और अगर टीचर ने शिकायत कर दी थी तो संस्थापक जी को बच्चो को एग्जाम के बाद बुला का वो सब करना चाहिए था इससे बच्चो का 45 मिनट बच जाता और उनके मन की भी हो जाती। पर हाय रे दिखावा !!
कभी अपने को सबसे बड़ा दिखाने का दिखावा ,तो कभी किसी को नीचा दिखने के लिए दिखावा,
 पर मुझे लगता है जिनमे काबिलियत नहीं होती है वो ही अपने को सबसे बड़ा दिखाने का दिखावा करते है और जो काबिल होते है उन्हें दिखावे की जरुरत ही नहीं पड़ती। इसलिए दिखावा तो करना ही नहीं चाहीये पर अगर करना ही पड़े तो फिर ऐसा दिखावा करना चाहिए जिससे चाहे अपने को नुकशान हो जाये किसी और को तकलीफ नहीं पहुचनी चाहिए।
आज फिर ज्यादा लिख गया, कोई नहीं होता है। आप सब इस बेहतर कॉमिक्स का आनद लें जल्द ही दुबारा मिलते है .............

Tuesday, February 19, 2013

Pawan Comics-Super Power Vikrant Aur Kaalyantra Ka Pujari


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पवन कॉमिक्स - सुपर पॉवर विक्रांत और कालयंत्र का पुजारी
 जैसा की मै पहले ही बता चुका हूँ की "पवन कॉमिक्स" में "चट्टान सिंह" और "सुर्यपुत्र" के बाद ये ही एक चरित्र था जिसके पास ढेर सारी आलौकिक शक्तियां थी। कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स मुझे बहुत अच्छी लगी थी,और इनको पढने में मुझे बहुत मज़ा आता था। पर तब किराये पर कॉमिक्स पढने का चलन था और कॉमिक्स खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे। पर जब कॉमिक्स का समय ख़राब आया तब तक मै नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव में पूरी तरह से खो चूका था और उनकी कॉमिक्स बहुत बेहतर कहानियों और चित्रों के साथ आती थी,और मुझे बहुत दिनों तक इन कॉमिक्स के बंद हो जाने का पता ही नहीं चला।
 अगर नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स आ रही है तो मेरे लिए सब कॉमिक्स आ रही थी,पर जब राज कॉमिक्स ने भी कॉमिक्स कम छापनी शुरु की तब पढने के लिए कॉमिक्स कम पड़ने लगी,तब जा कर मुझे लगा की उन कॉमिक्स को पढ़ा जाये जो की मुझे अच्छी लगती थी। उनमे से "भूतनाथ'' (नूतन कॉमिक्स) और "सुर्यपुत्र"(पवन कॉमिक्स), और "सुपर पॉवर विक्रांत"(पवन कॉमिक्स). पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी,जल्दी से ये कॉमिक्स मिल नहीं रही थी और कुछ लोग पहले से इस बारे में सजग हो चुके थे और वो दुकानदारों को ज्यदा पैसा दे रहे थे और तब तक मै उन्ही पुराने ढर्रे पर जी रहा था की प्रिंट रेट से आधे ही पैसे दूंगा,इससे ये कॉमिक्स मुझे नहीं मिली। और जब मैंने पैसे देने शुरु किया तब तक जैसे सब ख़तम हो चुका था, "मनोज कॉमिक्स" तो एक बार मिल भी जाती थी पर पवन, नूतन, नीलम के दर्शन दुर्लभ हो चुके थे। फिर मै इन्टरनेट की दुनियां में आया तो पाया की कॉमिक्स को स्कैन और अपलोड करके हमेशा के लिए बचाया जा सकता है,उसके बाद से आज तक इसी प्रयास में लगा हूँ। जब मैंने स्कैन करना शुरु किया था तब से मेरी हार्दिक इच्छा थी की "सुर्यपुत्र" और "सुपर पॉवर विक्रांत" किसी तरह से अपलोड हो जाएँ। पर मेरे पास इन दोनों की एक भी कॉमिक्स नहीं थी और मुझे लगता भी नहीं था की कभी होंगी। पर कहते है न की
 "जहाँ चाह, वहाँ राह" पहले तो प्रदीप शेरावत जी ने सुर्यपुत्र की पहली कॉमिक्स जो मुझे भेजी वो थी
 "मौत की पुतली" और सिर्फ इस कॉमिक्स के लिए मैंने पूरा पाकेट अपने ऑफिस में खोल दिया था बिना इस बात की परवाह किये की लोग क्या सोचेंगे। फिर तो कॉमिक्स एक-एक करके मिलने लगी और सुर्यपुत्र लगभग पूरी हो रही थी दो कॉमिक्स को छोड़ कर एक "सुर्यपुत्र" और दूसरी "सुर्यपुत्र और बौना राक्षस" . फिर मुझे देवेन्द्र भाई के यहाँ जाने का मौका मिला और उनके यहाँ से मुझे "सुर्यपुत्र" मिल गयी और बहुत से
"सुपर पॉवर विक्रांत" की कॉमिक्स,पर इस सिरीज़ में भी एक परेशानी थी की इसकी दूसरी कॉमिक्स "कालयंत्र का पुजारी" नहीं मिल रही थी और अधूरी कहानी पोस्ट करने का मेरा मन नहीं हो रहा था। पर आखिरकार "प्रदीप जी" की मदद से ये कॉमिक्स मुझे मिल गयी है जिसे आज मै अपलोड कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ की इस सिरीज़ की सारी कॉमिक्स अपलोड करने में मै सफल हो पाउँगा।
आप ने ,उम्मीद है की "सुपर पॉवर विक्रांत" का भरपूर आनंद लिया होगा और थोड़े बेचैन होंगे उस कहानी का अंत जानने के लिए,तो देर किस बात की है डाउनलोड कीजिये।
 आप सब इस बेहतरीन कॉमिक्स का आनंद लें दुबारा जल्दी ही मिलते है।

Goyal Comics - 5-9 Bekasoor Katil


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Goyal Comics-11 Paisa Hi Paisa

Saturday, February 16, 2013

DC-405-Motu Chhotu aur Khazane ki Loot


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डायमंड कॉमिक्स - मोटू छोटू और खजाने की लूट
 मेरे चाहने वालों को मुझ से इस बात की हमेशा शिकायत रहती है की मै डायमंड कॉमिक्स स्कैन नहीं करता। और सही भी यही है, इसका कारण जो मुझे समझ में आता है वो ये है की मुझे डायमंड कॉमिक्स कभी भी पसंद नहीं आई,और जो चीज़ पसंद न हो उसको खरीदना और फिर उसे स्कैन करना मुझे दुनियां का सबसे मुश्किल काम लगता है। डायमंड कॉमिक्स में मैंने सुरु में चाचा चौधरी खूब पढ़ा पर जब उन्होंने कॉमिक्स की कहानियों को बार बार छापना सुरु किया तो मैंने उसे भी बंद कर दिया। फौलादी सिंह, राजन इकबाल,लम्बू मोटू पढ़ा तो पर न उनकी कहानियां मुझे भाई और न ही उनके चित्र। इसलिए न ही डायमंड का संग्रह करने की कोशिश की और न ही कभी इच्छा हवी पर फिर भी डायमंड की कई कॉमिक्स मेरे पास होंगी। इसलिए मैंने वो कॉमिक्स अपलोड करने की सोची है जो की डायमंड की हो,और ये उसी कड़ी में अपलोड कर रहा हूँ।
आज कल मै जिस तरह से व्यस्त हूँ उसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था थकान तो बहुत हो रही है परन्तु फिर भी इसका अपना एक अलग मज़ा है।
 मैं ऐसे चरित्रों की कॉमिक्स नहीं पढना चाहता जो की अच्छा करने जाएँ और उनके साथ बुरा हो जाये,और ऐसी बाते मुझे तकलीफ पहुचती है,इसी कारण मैंने इस कॉमिक्स को भी नहीं पढ़ा है मै ये नहीं कह सकता की ये कॉमिक्स कैसी होगी वैसे उम्मीद है की कॉमिक्स की कहानी अच्छी ही होंगी। आप इस कॉमिक्स का आनंद ले मैं जल्दी ही आप से फिर मिलता हूँ ....................

DC-405-Motu Chhotu aur Khazane ki Loot


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डायमंड कॉमिक्स - मोटू छोटू और खजाने की लूट
 मेरे चाहने वालों को मुझ से इस बात की हमेशा शिकायत रहती है की मै डायमंड कॉमिक्स स्कैन नहीं करता। और सही भी यही है, इसका कारण जो मुझे समझ में आता है वो ये है की मुझे डायमंड कॉमिक्स कभी भी पसंद नहीं आई,और जो चीज़ पसंद न हो उसको खरीदना और फिर उसे स्कैन करना मुझे दुनियां का सबसे मुश्किल काम लगता है। डायमंड कॉमिक्स में मैंने सुरु में चाचा चौधरी खूब पढ़ा पर जब उन्होंने कॉमिक्स की कहानियों को बार बार छापना सुरु किया तो मैंने उसे भी बंद कर दिया। फौलादी सिंह, राजन इकबाल,लम्बू मोटू पढ़ा तो पर न उनकी कहानियां मुझे भाई और न ही उनके चित्र। इसलिए न ही डायमंड का संग्रह करने की कोशिश की और न ही कभी इच्छा हवी पर फिर भी डायमंड की कई कॉमिक्स मेरे पास होंगी। इसलिए मैंने वो कॉमिक्स अपलोड करने की सोची है जो की डायमंड की हो,और ये उसी कड़ी में अपलोड कर रहा हूँ।
आज कल मै जिस तरह से व्यस्त हूँ उसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था थकान तो बहुत हो रही है परन्तु फिर भी इसका अपना एक अलग मज़ा है।
 मैं ऐसे चरित्रों की कॉमिक्स नहीं पढना चाहता जो की अच्छा करने जाएँ और उनके साथ बुरा हो जाये,और ऐसी बाते मुझे तकलीफ पहुचती है,इसी कारण मैंने इस कॉमिक्स को भी नहीं पढ़ा है मै ये नहीं कह सकता की ये कॉमिक्स कैसी होगी वैसे उम्मीद है की कॉमिक्स की कहानी अच्छी ही होंगी। आप इस कॉमिक्स का आनंद ले मैं जल्दी ही आप से फिर मिलता हूँ ....................

DC-264-Motu Patlu Aur Anguthi Ka Hangama

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Wednesday, February 6, 2013

Pawan Comics-Super Power Vikrant


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पवन कॉमिक्स-सुपर पॉवर विक्रांत
 पवन कॉमिक्स में सुपर हीरो वाली छाप वाले चरित्र बहुत ही कम छपे थे। मुझे जितना याद पड़ता है,ढेर सारी सुपर पवार वाले चरित्र, जो की पवन कॉमिक्स में छपे थे उनमे "चट्टान सिंह", "सुर्यपुत्र" और "सुपर पवार विक्रांत" ही थे। "चट्टान सिंह" की कॉमिक्स तो मुझे उस समय पढने को नहीं मिली थी पर "सुर्यपुत्र" और "सुपर पवार विक्रांत" की कॉमिक्स मैंने पढ़ी भी थी और पसंद भी बहुत आई थी। पर समय की आंधी में सब कुछ जैसे बह सा गया था,मुझे कभी भी नहीं लगा था की ये कॉमिक्स दुबारा पढने को मिलेंगी। "सुर्यपुत्र" और 'सुपर पवार विक्रांत' की एक भी कॉमिक्स नहीं थी, फिर मुझे सुर्यपुत्र की एक कॉमिक्स "प्रदीप शेरावत" जी ने भेजी और उसके बाद तो एक के बाद एक कॉमिक्स मुझे मिलने लगी और आज "सुर्यपुत्र" की सारी प्रकाशित कॉमिक्स मेरे पास है,जिसमे "सुर्यपुत्र" कॉमिक्स देवेन्द्र भाई की दी हुई है, ये कॉमिक्स भी उन्ही की है। सुपर पवार विक्रांत की एक दो कॉमिक्स को छोड़ का सही मै आज की तारीख में अपलोड करने की स्तिथि में हूँ और जल्दी ही मै ये कर भी दूंगा।
 आज कल मेरी जिन्दगी में बहुत कुछ बहुत जल्दी-जल्दी घट रहा है जो की मेरी जिन्दगी और सोच दोनों को ही प्रभावित कर रहा है। आज उन घटनाओं से प्रभावित हो कर मै फिर एक बहुत्र ही विशेष शब्द "प्रतिस्पर्धा" पर अपने विचार लिख रहा हूँ,कोई जरुरी नहीं की आप मेरे विचार से सहमत हों, बस आप इसे मेरी सोच समझ कर उससे सहमत या असहमत हो सकते है।
 Darwinian 'survival-of-the-fittest'
 "सर डार्विन" के अनुसार जो बेहतर होता है वही जिन्दा रहता है,यही जंगल का कानून भी है जो शेर से कम तेज़ दौड़ता वो मारा जाता है। परन्तु जब मनुष्य ने समाज का निर्माण किया तो सभी को बराबर का अधिकार मिल गया,और कमजोरों के लिए जीने का एक बेहतरीन मौका। था तो ये प्रकृति के विरुद्ध ही पर मनुष्य जाती के उत्थान के लिए बहुत ही जरुरी। पर जो हमारे अन्दर का जानवर है उसने इस प्रतिस्पर्धा को एक नया रूप दे दिया,पढाई में अच्छे नंबर लाने की प्रतिस्पर्धा,नौकरी में अपनी नौकरी बचाने और औरों से बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा,अपने आप को दूसरों से बेहतर साबित करने की प्रतिस्पर्धा।
कहने का अर्थ ये है प्रतिस्पर्धा भले ही जान पर न बनती है पर जीना जरूर हराम कर देती है। पर प्रतिस्पर्धा है तो प्रतियोगी तो आप को बनना ही पड़ता है,चाहे आप चाहे, चाहे न चाहे। प्रतिस्पर्धा हमेशा बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है अगर आप उसे सही तरीके और नियमो के साथ करते है, उससे भी ज्यदा जरुरी सही सोच के साथ करते है। अब प्रतिस्पर्धा में सही सोच का क्या मतलब है, तो मै आप को समझता हूँ, अगर मेरी किसी के साथ प्रतिस्पर्धा है तो मै इश्वर से प्रार्थना करूँ की सामने वाला बीमार हो जाये और मै जीत जाऊं,या कुछ ऐसा कर दूँ की तो ये प्रतियोगिता छोड़ दे.पर मज़ा तो तब है जब सामने वाला पूरी तैयारी के साथ लड़े तो उसमे तो हारने में भी मज़ा है।
 पर सच कहूँ जब कोई मुझ से कहता है की मैं तुमसे बेहतर करके दिखा दूंगा तब मै समझ जाता हूँ कि इसके बस का कुछ भी नहीं है,जिसने पहले से ही मुझे बेहतर मान लिया हो वो मुझ से क्या जीत पायेगा,और अगर कही गलती से जीत भी गया तब भी कभी तरक्की नहीं कर पायेगा। अब ऐसे में तो आप किसी से प्रतिस्पर्धा कर ही नहीं पाएंगे तो फिर ऐसा क्या करें की हम किसी से प्रतिस्पर्धा करें भी नहीं, और हम तरक्की भी करते जाये।जहाँ तक मेरा विचार है की तरक्की के लिए प्रतिस्पर्धा जरुरी है,पर अगर हम किसी को अपना प्रतियोगी मान लेते है तो फिर जाने-अनजाने हमारे मन में उसके प्रति दुर्भावना घर कर जाती है जिससे हमारा मानसिक और नैतिक स्तर गिर जाता है,उसके बाद जीतने/तरक्की तो भूल जाईये अपना साधारण स्तर भी कायम नहीं रह पाता है।
ऐसे में हमें करना क्या चाहिए और किसे अपना प्रतियोगी बनाया जाए?
जहाँ तक मैंने समझा है की अगर आप को तरक्की करना है और हमेशा करते रहना है तो आप को किसी से भी प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए बल्कि प्रतिस्पर्धा अपने आप से ही करनी चाहिए। जैसा की मै आज तक करता आया हूँ,मैंने कभी भी ये नहीं सोचा की मुझ से बेहतर कौन है और मुझ से कम बेहतर कौन है,मैंने बस सिर्फ एक बात सोची है की मैंने कल जो किया था आज उससे बेहतर हो पा रहा है की नहीं और आज जो कर रहा हूँ, कल उससे बेहतर करने की पूरी कोशिश करूँगा। चाहे वो स्कूल में पढ़ाना हो या फिर कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करने से साथ उस बारे में कुछ लिखना हो, बस वो पहले से बेहतर होना चाहिए और अगर नहीं हो पा रहा है तो कम से कम पहले जितना तो जरुर हो। अगर आप उन बच्चो से बात करेंगे या आप मेरे पुराने कॉमिक्स अपलोड करके पढेंगे तो आप पाएंगे की वो पहले से बेहतर होते चले गए है और आगे भी ऐसा ही होना चाहिए। इससे मुझे सबसे बड़ा फ़ायदा ये है  कि मै हमेशा तरक्की करता रहता हूँ और किसी को लेकर मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं आती और न ही किसी के अच्छे और ख़राब काम को देख कर कोई जलन या कोई चिड भी नहीं होती। मैंने आज तक ऐसा ही किया है और आगे भी ऐसा ही करता रहूँगा।
आज फिर काफी बात हो गयी है, उम्मीद है आप सब को मेरी बाते अनुचित नहीं लगी होंगी।
 आप सब इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद ले फिर जल्दी की एक नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है .....

Pawan Comics - Nyay Ka Devta


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Anand Chitrakatha-A-17 - Maut Ka Devta


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Pawan Comics - Swapnpari


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Friday, February 1, 2013

Chitrabharti Kathamala-08- Chocolate No.08


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चित्रभारती कथामाला-08-चॉकलेट संख्या 08
 चॉकलेट की मेरी तरफ से 7वीं क़िस्त है,और इसके बाद मेरे पास सिर्फ 11 no. की चॉकलेट और बची है। जो की अनुपम अग्रवाल जी के ब्लॉग पर अपलोड है, फिर भी मै उस कॉमिक्स को स्कैन करने का मन तो बना रखा है, पर देखते है की आगे क्या होता है। चॉकलेट सीरीज की सभी कॉमिक्स को मै अपलोड नहीं कर पा रहा हूँ, मेरे पास no. 6 ,9,10 नहीं है। लेकिन जैसा की मेरे साथ ज्यदातर होता है की कॉमिक्स कही न कही से मिल ही जाती है या फिर कोई मित्र उन्हें कही ना कही अपलोड कर ही देता है इस बार भी ऐसा ही होगा और ये सीरीज जरुर पूरी होगी। बस ये देखना है की वो दिन कब आता है पर आएगा जरुर।

 आज कुछ अलग बात करने का मन कर रहा है। हम सभी जानते है की हम सब सम्मान के भूखे है, और मै भी हूँ। पर जब मै बहुत गहन विचार करता हूँ तो ये पता हूँ की हम किसी का सम्मान या कोई हमारा सम्मान तीन कारणों से ही करता हैं।
 1- हम किसी लालच के बस में रह कर सम्मान करते है।
 2- हम डर के कारण भी सम्मान करते है।
 3- हम में किसी के प्रति एक अनुराग पैदा हो जाता है जिसके कारण हम किसी का सम्मान करने लगते है।
सच्चाई से देखा जाये तो हम 90% पहले दो कारणों से सम्मान पाते है या देते है।
 तीसरा कारण तो बहुत ही कम देखने को मिलता है। यानी हमारा सम्मान करने वालों में 90% चाटुकार हो सकते है जिनको शायद हम अपना शुभ चिंतक या अपना सम्मान करने वाला समझने लगते है।
 वैसे तो मै पहले दो कारणों से सम्मान नहीं करता,पर फिर भी कुछ चीज़े ऐसी है जिनसे आप नहीं बच सकते, जैसे आप का मालिक(जहाँ आप काम करते है वहां का सर्वेसर्वा) वो कैसा भी हो आप को उसका सम्मान उसके सामने करना ही पड़ता है। कई जगह मैंने भी डर के कारण औरों से बहुत कम फिर भी सम्मान किया तो है,
 हाँ इतना तो जरुर है की अभी तक लालच के कारण तो कभी किसी का सम्मान नहीं किया है, जबकि लालच से सम्मान करने वाले आप को हर कदम पर मिलेंगे।
 अब सवाल ये उठता है की हम इसकी पहचान कैसे करे, तो एक सीधा सा तरीका है की अगर आप किसी को फ़ायदा पंहुचा रहे है या फिर आप के कारण किसी को फ़ायदा हो रहा है तो उसके चाटुकार होने के सबसे ज्यदा तुक बैठता है। पर हर मदद पाने वाला सच्चा इंसान भी हो सकता है, फिर क्या करें , तो उसे इस बात का अहसास दिलाये की अब आप उसके कोई काम नहीं आयेंगे और उसकी मदद कुछ समय तक बंद कर दें अगर वो फिर भी आप का सम्मान करता रह सकता है फिर तो सच्चा है नहीं तो फिर वो चाटुकार ही था।
सम्मान पाने का एक तरीका सम्मान खरीदना भी हो सकता है, जैसे आप किसी भिखारी तो 5 रूपये दे दें तो वो सम्मान में आप के पैर भी छु लेगा। पर ये तो कोई सम्मान नहीं हुवा।
असली सम्मान तो तभी होता है जब कोई आप को सम्मान दे पर आप से उससे कोई ऐसा फ़ायदा न पहुँच रहा हो जो की आप को सम्मान देने के लिए जरुरी है। और ऐसा सम्मान बहुत मुश्किल से ही मिलती है, इसलिए मै ऐसा कोई काम नहीं करता तो किसी को मेरा सम्मान करने पर मजबूर करे।
 चाहे कोई मेरा सम्मान करे चाहे न करे पर कोयी मजबूर हो कर तो मेरा सम्मान बिलकुल भी नहीं करे। वैसे तो मै अपनी जिन्दगी में कई लोगो की दिल से इज्ज़त करता हूँ,
पर अगर मै कॉमिक्स की दुनिया के लोगो की बात करूँ तो ये कुछ वो लोग है जिनसे मुझे कोई फ़ायदा होने की कोई उम्मीद नहीं रहती पर दिल उनकी इज्ज़त करता ही है।
 1-श्री अनुपम अग्रवाल-जिनके कारण मैंने ये जाना की कॉमिक्स को अपलोड करके बचाया जा सकता है। वो जो भी लिखते है बहुत ही नपा-तुला होता है,उनकी हर बात मुझे कुछ नया सिखाती है,मै उनकी बराबरी करना तो चाहता हूँ पर मै जानता  हूँ ये कभी संभव नहीं है।
 2-श्री मोहित राघव-इनके कारण मैंने ये जाना कॉमिक्स स्कैन करते कैसे है, हर कदम पर इन्होने मेरा प्रोत्साहन किया,जितना काम इन्होने कॉमिक्स के लिए किया उतना तो मै हमेशा से करना चाहता हूँ पर मै ये भी जानता  हूँ की ये तो बिलकुल असंभव है।
 3-श्री सागर जंग राणा- इनका नाम तो मै बिलकुल भी नहीं लिखना चाहता था पर अगर मै ये न करूँ तो मै अपने साथ ही धोखा करता हूँ। एक इंसान के रूप में मै इनका बिलकुल भी सम्मान नहीं करता ( सागर जी माफ़ी मांगता हूँ). पर एक कॉमिक्स संग्रहकर्ता के रूप में इनका बिकल्प नहीं है, अगर मै कॉमिक्स से प्रेम करता हूँ तो संग्रहकर्ता के रूप में इनका सम्मान तो अपने आप ही दिल में आ ही जाता है। कॉमिक्स के प्रति इतना प्रेम, मै भी बिलकुल ऐसा ही चाहता हूँ, पर मै इसका 10% भी नहीं कर सकता।
ये मेरे इन तीनो के प्रति अपने विचार है और मै इन सब से अग्रिम माफ़ी मांगता हूँ अगर किसी को भी मेरी कोई भी बात बुरी लगी हो।
आप ने मेरे अन्दर से निकली ये बाते आज जानी है। फिर कभी अपने अन्दर कुछ और भी बाहर निकालूँगा, तब तक आप इस बेहतर चॉकलेट का आनंद लें फिर जल्दी ही दुबारा मिलते है। ..............

Saturday, January 26, 2013

Madhu Muskaan Comics-Popat Chaupat Ka Panchranga Aachaar


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मधु मुस्कान कॉमिक्स-पोपट चौपट और पचरंगा आचार
 मधु मुस्कान पत्रिका एक बहुत ही अच्छी पत्रिका थी और पत्रिकाओं में मै इसे सबसे बेहतर मानता हूँ। इसके चरित्र, इसके चित्र और कहानियां लाजबाब होती थी, मुझे मधु मुस्कान में कभी भी बहुत ज्यदा लगाव नहीं रहा उसका कारण बचपन में पैसे की कमी होना था और जब पैसे हुए तो ये पत्रिकाए नहीं छप रही है। यही शायद मेरे जैसे सभी दोस्तों की परेशानी रही होगी। उस समय जो हमें सबसे ज्यादा भी पसंद होता था उसके लिए भी हमारे माता-पिता पैसा नहीं देते थे,(कारण पैसे की कमी नहीं कॉमिक्स को बुरा समझा जाना ज्यादा नहीं था।). सब कुछ छुप-छुप कर करना पढता था, कॉमिक्स लाने से लेकर उसे पढने तक सब कुछ छुप कर,इनको पढना सबसे बुरा और बेकार काम समझा जाता था। और ये भी एक बहुत बड़ा कारण है कॉमिक्स और कॉमिक्स पत्रिकाओं के पतन का, कॉमिक्स पढ़ते हुए देखे जाना चोरी करने जैसा होता था जिसके लिए सबसे कड़ी सजा हमें मिलती थी,ऐसे में उन्हें संग्रह करके रखना असंभव जैसा काम था और आज भी है,मै कैसे अपनी कॉमिक्स के साथ रहता हूँ ये सिर्फ मै ही समझ सकता हूँ।

जीवन में मैंने एक बात बहुत अच्छे से जानी ही की आप अगर भगवान् का अवतार भी क्यों न हो आप सब को एक साथ खुश नहीं रख सकते। और आजकल जैसा समय है आप चार को खुश करने की कोशिश करेंगे तो चालीस आप से नाराज़ हो जायेंगे। आज अगर मै एक बात को अच्छे से सोचता हूँ तो एक चीज़ पाता हूँ, कि कम से कम कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करने को लेकर जानने वाले किसी को देने के अलावा कुछ लिया नहीं है,और हर दुसरे और तीसरे दिन कुछ न कुछ पढने को देता ही रहता हूँ फिर भी मै बहुत बुरा हूँ ,हर दूसरा आदमी मुझे अपना साथ न देने का दोषी ठहरता है। मैंने आज तक किसी से कुछ शायद ही कभी कुछ लिया हो फिर भी हर आदमी मेरी बुराई का बहाना खोजता रहता है।
 पर फिर "गुरू" फिल्म का वो संबाद याद करने के बाद बहुत राहत मिलती है की "अगर लोग आप की बुराई करना शुरू कर दें तो समझ लो की तुम तरक्की कर रहे हो"।
 ऐसा भी बिलकुल नहीं है की मै ये नहीं सोचता की ये सब अगर एक साथ कुछ कह रहे है तो क्यों कह रहे है, पर मेरा तरीका कुछ अलग है, अगर कोई मुझे कुछ कहता है तो मै खुद को उसकी जगह रख का देखता हूँ अगर वो आदमी मुझे सही लगता है तो मै उसकी कही गयी बात को सकारात्मक लेता हूँ औरअपने में सुधार करने की कोशिश करता हूँ और मै उससे सही नहीं पाता हूँ तो फिर मै अपने को पहले जैसा ही रखता हूँ। और इसके भी ऊपर मै इश्वर से अपने लिए सजा की प्रार्थना करता हूँ अगर मैंने कुछ ऐसा किया है जो मुझे नहीं करना चाहिए।
 आज मुझे लगभग पांच साल हो गए कॉमिक्स को स्कैन और अपलोड करते हुवे, बहुत कुछ सुना और बहुत कुछ देखा। पर इसके बाद  भी जब-जब मेरी बुराई होनी शुरू हुई मुझे कुछ जबरदस्त फ़ायदा हुवा। जैसा की पिछली बार था जब मुझे लगा की शायद मुझ में कुछ कमी है कही मुझ से गलती हुई है, बस उसी समय मेरी कमाई, मात्र दो दिन के अन्दर चार गुना बढ़ गयी। और अभी दो दिन पहले की बात ले लूँ फिर मुझे लगा की शायद फिर मुझ से कोई गलती हो रही है फिर मुझे ऊपर वाले की मदद से(आप लोगो की दुवाओ से ) दुसरे स्कूल ने सामने से बुला कर पहले से 40% ज्यादा पैसे देकर अपने यहाँ काम करने को कहा और मैंने 25 जनवरी 2013 को पुराना स्कूल छोड़ कर नया स्कूल ज्वाइन कर लिया।
 ये सब बाते मेरा मनोबल बढाती है और मुझे इस बात का अहसास करवाते है की मै अभी फिलहाल तो सही हूँ, और मै ये अच्छे से जनता हूँ जिस दिन मै गलत हूँगा मै अपनी सजा भुगतने को तैयार रहूँगा क्योंकि भगवान् की लाठी में आवाज़ नहीं होती। और मै चाहता भी यही हूँ।
 मुझे लगता है आज कुछ ज्यदा हो गया, अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये .
 ये कॉमिक्स छोटी-छोटी कहानियों का संग्रह है और कहानियां बहुत मजेदार है,जैसे पहली कहानी में पोपट और चौपट अपने वैज्ञानिक दोस्त से मिलने जाते है और स्पेस यान को घर समझ कर उसमे घुस जाते है और नास्ते के चक्कर में कुछ बटन दबा बैठते है और फिर उनके साथ क्या क्या होता है ये आप कुछ पढ़ का जाने तो ही अच्छा रहेगा।

Thursday, January 24, 2013

Parvat Ki Raani (By Ibne Safi)


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इब्ने सफी और उनकी जासूसी दुनिया,
 हिंदी और ऊर्दू में शायद ही कोई ऐसा जासूसी लेखक होगा जिसने इब्ने सफी जी की तरीके की नक़ल न की हो। यहाँ तक की आज के सबसे बड़े जासूसी उपन्यासकार "श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी" भी मानते है की इब्ने सफी जी की काफी चीजों को उन्होंने अपनी कहानियों में इस्तेमाल किया है। उनके विनोद-हमीद नायक की जोड़ी की देखा-देखी इतने नायक बनाये गए की उनके बारे में लिखना भी संभव नहीं होगा।
 उनकी कहानियां सर्वश्रेठ जासूसी कहानियां कहलाती है और इन कहानियों को पढ़ कर आप भी इस बात को जरुर मान जायेंगे। मेरे पास उनके लिए तारीफ के शब्द मिलना मुश्किल है। कुछ भी लिखने से पहले ये डर लगता है की कही कुछ कम न रह जाये।
 मेरे लिए इतना भी लिखना भारी पड़ रहा है, मै आप से माफ़ी मांगते हुवे सिर्फ इतना ही कहता हूँ अगर कुछ गलती हो गयी तो तो माफ़ करते हुवे उनकी इस बेहतरीन रचना का आनद लें।

जासूसी दुनिया को स्कैन आसुतोष जी ने किया था और ये जासूसी दुनिया भी उनकी ही है। इस बेहतरीन कहानी को संग्रह और स्कैन करने के लिए मै उन्हें तहेदिल से धन्यवाद देता हूँ। 

 मै जल्दी ही आप के सामने एक और बेहतर कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ।

Sunday, January 20, 2013

Chitrabharti Kathamala-07-Chocolate


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चित्रभारती कथामाला -07-चॉकलेट
 मेरे प्यारे दोस्तों
 जैसा की मै आप सभी को बता चूका हूँ कि लखनऊ में न तो बिजली की समस्या समाप्त हो रही है ,और न ही ठण्ड। और इन दोनों से एक साथ निपटना बहुत मुश्किल हो रहा है और ऊपर से चॉकलेट का 6 न. भी मेरे पास नहीं थी और मै इंतज़ार कर रहा था की शायद कोई मित्र मेरी मदद कर दें और ये सीरीज पूरी हो सके, पर जब चारों और से निराशा हाथ लगी तब मैंने ये फैसला किया की जो मेरे पास है वो ही अपलोड कर दिया जाये। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए मै चॉकलेट न . 07 लेकर आप के सामने आया हूँ और मुझे अच्छी तरह से मालूम है की ये चॉकलेट भी आप का भरपूर मनोरंजन करेगी।
इस में 'प्राइवेट डिटेक्टिव कपिल' से हम सब की मुलाकात नहीं होगी पर इसमें अनुपम सिन्हा जी का 'स्पेस स्टार' सीरीज का आरंभ जरुर होगा जो की बहुत ही बेहतर है इसके अलावा 'मानस पुत्र' सीरीज भी पढने को मिलेगी। और इस बार चॉकलेट छोटे आकर में भी छपी थी। आप सब इस बेहतर चॉकलेट का आनंद लें मै जल्दी ही कुछ बेहतर कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है .........