Friday, June 13, 2014

Star Comics-01-Push Ki Raat


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स्टार कॉमिक्स-०१-पूस की रात
 मुंशी प्रेमचंद जी ने जो लिख दिया है वो न उनसे पहले कोई लिख पाया है और न आगे कोई लिख पायेगा। उनकी कहानियों को कॉमिक्स का रूप दिया था स्टार कॉमिक्स ने और इस सीरीज़ में उन्होंने मेरी जानकारी में ४ कॉमिक्स निकली थी। १- पूस रात , २- ईदगाह ,३- बेटों वाली विधवा, ४-पंच परमेश्वर।
ये चारो कॉमिक्स मेरे पास है वैसे तो मैंने इनमे से तीन कॉमिक्स स्कैन और अपलोड किया है पर इस ब्लॉग पर सिर्फ एक कॉमिक्स एक कॉमिक्स पंच परमेश्वर ही मिल पायेगी और मेरे पास सोफ्टकॉपी भी नहीं है मैं उन्हें दुबारा स्कैन करूँगा।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये हमारे हिंदी पंचांग के अनुसार पूस का महीना कड़ाके की ठण्ड का महीना होता है और एक गरीब किसान जिसका खेत ही उसके जीने का सहारा है। पर उसकी दो बड़ी परेशानी है की खेतों में रात में नील गह का खतरा है और अगर खेती को नुकशान होता है तो फिर भूखा रहना पड़ रहता है। फिर वो अपने कुत्ते के साथ भयंकर ठण्ड में खेत की रखवाली करनी पड़ रही थी
अब इसके आगे आप कहानी पढ़ कर ही जाने तो अच्छा होगा। फिर जल्दी ही नई कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है मिलते है।

Wednesday, May 14, 2014

Raj Comics-Maut Ka Station



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राज कॉमिक्स-मौत का स्टेशन
 राज कॉमिक्स ने "थ्रिल हॉरर सस्पेंस" सीरीज़ पर कॉमिक्स की दुनिया मे सबसे बेहतर काम किया है खूब डराया है और बहुत बेह्तर कहनी के साथ जो कि किसी और प्रकाशन मे दोनो एक साथ बहुत कम ही मिला यानि कहनी और ड़र एक साथ।
 बेहतरीन कहानी जरूर पढें। स्कूल की छुट्टियां शुरु हो चूकि है और थोड़ा टाइम भी रहेगा और बीबी मायके जा रही है तो समय की कोइ कमी नहीं रहेगी और इन दिनो मे मै कम से कम ५० कॉमिक्स को कॉमिक्स तो अपलोड कर ही दूँगा।

Raj Comics-Chamgadad


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राज कॉमिक्स-चमगादड़
 राज कॉमिक्स ने "थ्रिल हॉरर सस्पेंस" सीरीज़ पर कॉमिक्स की दुनिया मे सबसे बेहतर काम किया है खूब डराया है और बहुत बेह्तर कहनी के साथ जो कि किसी और प्रकाशन मे दोनो एक साथ बहुत कम ही मिला यानि कहनी और ड़र एक साथ। बेहतरीन कहानी जरूर पढें।

king comics-Khiladi



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किंग कॉमिक्स- "खिलाडी"
ये सोच कर कितना आश्चर्य होता कि कभी कॉमिक्स की इतनी मांग थी की राज कॉमिक्स जैसे बड़े प्रकाशन ने भी दूसरें नाम से कॉमिक्स छापनी शुरु कर दी थी जिससे वो कॉमिक्स को भारी मांग को पुरा कर सके। किंग कॉमिक्स राज कॉमिक्स का ही एक उपकर्म है और ये उन नयी कॉमिक्स प्रकाशन तरफ के झुकाव से आपने पाठक को बचाने के लिये इस कॉमिक्स प्रकाशन को शुरु किया था।
 वैसे तो मै राज कॉमिक्स और किँग कॉमिक्स स्कैन और अपलोड कारना पसंद नही करता पर आज कल जो राज कॉमिक्स की पाठक लूटो पॉलिसी बना रखी है उससे मैने भी अपनी राज और किंग कॉमिक्स ना स्कैन कारने का जो इरादा था उसे फिलहाल बदल दीया है और ये तीन अपलोड कर रहा हूँ पर आगे के बारे मे मै अभी कुछ नहीं कह सकता।

Saturday, March 22, 2014

Manoj Comics-664-Maut Ki Chori


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  मनोज कॉमिक्स-६६४-मौत की चोरी (अमर-अकबर)
 अंसार अख्तर जी कि एक और बेहतरीन कहानी, इस कॉमिक्स को परसों ही अपलोड हो जाना चाहिए था पर समय ने साथ नहीं दिया इसलिए आज इसे अपलोड कर हूँ। ये कॉमिक्स मेरे संग्रह में नहीं थी और जो कॉमिक्स मेरे संग्रह में नहीं होती है उसका अपलोड होना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि ज्यादा तर अपलोड करने इच्छा ही रखते और जो कुछ अपलोड करना चाहते है उनके पास स्कैनर ही नहीं होता है। लेकिन कहते है न कि अगर आप निस्वार्थ भाव से कोई काम करते है तो उसमे ईश्वर भी आप कि मदद करता है और मेरे साथ तो ये हमेशा से होता रहा है और उम्मीद है आगे भी होगा। पहले तो ये कॉमिक्स प्रदीप शेरावत जी नहीं स्कैन करके मुझे भेज दी पर उसके साथ दो परेशानी थी पहले वो १५० dpi में थी और मैं ३०० dpi में कॉमिक्स अपलोड करना पसंद करता हूँ और दूसरे उनसे स्कैन करने में २३ और २४ पन्ना रह गया था और जब वो मेरे कहने से हो पन्ने स्कैन करने जा रहे थे उनके स्कैनर ने धोखा दे दिया और मुझे ऐसा लगा कि ये कॉमिक्स अपलोड नहीं हो पायेगी तभी सल्लू राजा से बात हुवी और वो ये कॉमिक्स मुझेसे बदलने को तैयार हो गए और फिर जा कर ये कॉमिक्स मुझे मिल गयी तो मैंने अपनी दोनों हशरत पूरी कर ली यानि ३०० dpi में स्कैन और साथ में २३ और २४ पन्ना स्कैन।
बस मै आप सब से फिर से ये अनुरोध करूँगा कि आप प्रार्थना करें कि जो भी कॉमिक्स मेरे पास नहीं है जल्द से मुझे मिल जाये जिससे मै वो कॉमिक्स अपलोड कर सकूँ। अगर कॉमिक्स मेरे पास होगी तो अपलोड होगी जरुर इस बात में तो किसी को भी कोई संदेह नहीं होगा।
 जल्दी ही कुछ और कॉमिक्स के साथ आप से फिर मिलता हूँ …………।

Thursday, March 20, 2014

MC-659-Ancle Charli Aur Bhatiza dodo


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मनोज कॉमिक्स-६५९-अंकल चार्ली और भतीजा डोडो इस तरह के चरित्र जैसे मोटू-पतलू, अंकल चार्ली और भी बहुत है जिन्हे मै बिलकुल भी पसंद नहीं करता हूँ। कारण सीधा सा है की मै जिसे नायक मान लेता हूँ तो फिर उसकी पिटाई या उसकी बुराई मुझे बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं होती है और इन सब चरित्रों का निर्माण ही उनकी बेवकूफी से हास्य पैदा करने के लिए होता है जिनमे उनकी बेज्जती और पिटाई शामिल होती है जो कम से कम मेरे लिए हज़म करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसा नहीं है कि मैंने ऐसे चरित्रों कि कहानिया नहीं पढ़ी है पर मै अपने आप को उनसे कभी जोड़ नहीं पाया हूँ। ये कॉमिक्स मेरी पढ़ी हुवी भी नहीं है पर अपलोड करना था क्योंकि ये पेंडिंग चल रही थी तो स्कैन करके अपलोड कर दिया है बहुतो को ऐसे चरित्रों की कहानियाँ अच्छी लगती है,ये उनके लिए मेरी तरफ से तोफा है। आज रात तक पूरी उम्मीद है कि अमर-अकबर कि मौत कि चोरी भी अपलोड कर दूंगा।

Manoj Comics -660-Aag Hi Aag


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मनोज कॉमिक्स-६६०- आग ही आग
 मनोज कॉमिक्स में अंसार अख्तर की एक और बेजोड़ कहानी कर्नल कर्ण सीरीज़ की, अंसार अख्तर जी ने मनोज कॉमिक्स के लिए बहुत कहानियां लिखी सभी एक से बढ़कर एक। इन्होने अमर-अकबर,कर्नल कर्ण -असलम,विनोद-हमीद,सागर-सलीम सीरीज़ की खूब कॉमिक्स लिखी और सब लगभग एक ही जैसी होती थी फिर भी हर सीरीज़ का अपना अलग ही मज़ा होता है सब एक जैसी होते हुवे भी एक दूसरे से बहुत अलग होती थी। पहले तो एस तरह की कहानियों का चलन था। सब की सब एक नज़र में जेम्स बॉन्ड की कहानियों नक़ल होती थी बस उनको जोड़ियों में बना दिया वैसे तो महान जासूसी लेखक इब्ने सफी जी ने भी यही चलन स्थापित किया था यानि जोड़ियों वाला और मुझे लगता है इन सभी ने इसने ही प्रेरित होकर ही काफी कुछ लिखा है।
 कहानी में कुछ भी नया है बस इतना ही की कभी देश की कोई फ़ाइल चोरी हो गयी कभी फार्मूला कभी कुछ खतरनाक जासूस देश में आया तबाही मचाने बस और हमारे जासूस इन सब से देश को बचाने में लगे रहते थे बस अगर कुछ अंतर होता था वो था हमारा बाल जासूस है या कोई बड़ा आदमी बाकि सब कुछ एक जैसा फिर भी इनको पढ़ने में बड़ा मज़ा आता था और आज भी आता है।
 इसे भी पढ़कर देखे ये भी वैसे है देश पर कोई मुशिबत और हमारे कर्नल साहब चले देश को बचाने आप भी उनकी मदद कीजिये (कहानी पढ़िए)

Sunday, March 16, 2014

Manoj Comics-654-Khooni Lutera



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मनोज कॉमिक्स-६५४-खूनी लुटेरा
 मनोज कॉमिक्स में आप कोई भी कॉमिक्स उठा कर देख लो कहानी और चित्रों का इतना जबरदस्त संयोजन मिलता है जो आज बिलकुल भी देखने को नहीं मिलता है। अंसार अख्तर जी कि कोई भी कहानी शायद ही कभी दूसरे आयाम में गयी हो और मज़ेदार बात ये भी है कि वो लगभग एक जैसी कहानियां लिखते थे फिर भी पढ़ने में इतनी अलग विश्वास करना मुश्किल होता है। आज को लेखकों को अंग्रेजी कॉमिक्स पढ़कर उसका अनुवाद करना छोड़कर इनकी कहानियां पढ़नी चाहिए और देखना चाहिए कि बिना फालतू कि लाग लपेट के कितनी अच्छी कहानियां लिखी जा सकती है।
 ये कहानी शुरू होती है एक गुण्डे के एक सोसाइटी में किराये पर रहने आने से, और फिर सुरु होता है उसका लोगो को परेशान करना। लोग पुलिश के पास जाने कि कोशिश करते है पर वो उन्हें बुरी तरह से पीट देता है और सोसाइटी उसे ६ महीने से पहले निकाल नहीं सकती।
अब लोग क्या करेंगे ? और इस तरह से उस गुण्डे का सोसाइटी में आना कही किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है ? क्या है ये तो कॉमिक्स पढ़ कर ही पता चलेगा पर सच कहूं एक बार जरुर पढ़े तबियत खुश हो जायेगी।

 कल होली है और आज कल में पास ज्यादा काम भी नहीं है इसलिए ये तीनो कॉमिक्स जो कि पेंडिंग थी मेरे ब्लॉग पर भी और मुकेश जी जो ग्रुप में दे रहे है उसमे भी इसलिए आज इन तीनो कॉमिक्स को एक साथ अपलोड कर रहा हूँ। साथ में आप सब को होली कि ढेर सारी सुभकामनाएँ। फिर जल्दी ही मिलते है एक नयी कॉमिक्स के साथ उससे पहले उम्मीद है आज रात में ही एक बाल पॉकेट बुक भी अपलोड होगा।

Manoj Comics-645-Maut Ki Anguthi


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मनोज कॉमिक्स-६४५-मौत की अँगूठी
 जैसा कि हम सब जो मनोज कॉमिक्स को जानते है वो ये भी जानते है कि मनोज कॉमिक्स राजा-रानी के कहानियों के लिए ही जानी जाती थी। ये कहानी भी उसी श्रृखला की एक कड़ी है। मनोज कॉमिक्स के सबसे बेहतर लेखकों में से श्री विजय कुमार वत्स जी ने इस कहानी को लिखा है। और अच्छा लिखा है।
 कहानी में के न्याय प्रिय राजा के दो पुत्रों को लेकर है, एक बेटा जो कि माँ काली का भक्त है और वीर राजकुमार है और दूसरा बेटा कामजोर,काहिल और मक्कार है जो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है और अपनी चालबाज़ियों से निरंतर अपने भाई और पिता को मुर्ख बनता रहता है पर हद तब होती है कि वो अपने भाई को गलत इलज़ाम में फसा कर पिता कि मौत कि साजिश रचता है।
इसके बाद कि कहानी जानने के लिए आप को कॉमिक्स पूरी पढ़नी पड़ेगी। सवाल कई है जैसे क्या वो अपने मकसद में कामियाब होता है या उसका भांडा फूट जाता है।
जरुर पढ़े इस बेहतरीन कहानी को।

Manoj Comics-637-Chore Ke Ghar Chori


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मनोज कॉमिक्स-६३७-चोर के घर चोरी
 चोर के घर चोरी जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि कहानी कैसी होगी,और सच कहू तो कहानी काफी हद तक वैसी ही है। अंसार अख्तर जी की लिखी ये कहानी है लाजबाब है,
कहानी सुरु होती है एक चोर से जो कि जेल में बंद है,और जो ये तय कर लेता है कि वो कभी चोरी नहीं करेगा। और जब वो जेल से छूटता है तो अपनी पूरी कोशिश करता है कि उसे चोरी न करनी पड़े पर जैसा कि हम सब जानते है कि दुनियां किसी सच्चे आदमी को तो अपनाती नहीं किसी चोर को कैसे अपना लेती पर हमारा नायक इसके लिए प्रतिबद्ध रहता है कि चोरी नहीं करेगा पर कुछ दिनों में उसके भूखे रहने कि नौबत आ जाती है फिर वो मज़बूरी में अपने एक और चोर मित्र कि सलाह पर आखरी चोरी का मन बनता है।
 इसके बाद क्या होता है इसके लिए तो आप को ये कॉमिक्स पूरी पढ़नी पड़ेगी। सवाल कई है जैसे क्या उनकी चोरी सफल होती है ? क्या दोनों पकडे जाते है? क्या कुछ और ही मोड़ आता है इस कहानी में ?
मै बस इतना बता सकता हूँ कि कहानी पढ़ने के बाद आप वाह कह उठेंगे। बहुत ही बढ़िया कहानी।

Thursday, March 6, 2014

PC-07-Dadaji Aur Khuni Gufa


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पवन कॉमिक्स-०७-दादा जी और खुनी गुफा
 पवन कॉमिक्स, कुछ अच्छे से याद नहीं आता कि मैंने इनकी पहली कॉमिक्स कौन सी पढ़ी थी पर पवन कॉमिक्स को पहचानता तो मैंने सूर्यपुत्र और राम-बलराम के कारण ही था। वो ऐसा दौर था जब हम को ये पता ही नहीं चलता था कि प्रकाशक कौन है हमें सिर्फ कॉमिक्स के हीरो से मतलब होता था। राम-रहीम है या शेरा है महाबली शाका है या चाचा चौधरी है या नागराज है कि सुपर कमाण्डो ध्रुव है या हवलदार बहादुर बस इसके अलावा हमें किसी चीज़ से कोई लेना देना नहीं होता था यहाँ तक लेखक और चित्रकार का नाम तक नहीं पढ़ते थे।
 उस समय तो जैसे रिस्तों का दौर था दादा, जी मामा जी ,चाचा चौधरी,चाचा चम्पक लाल आदि पर लोग इन्हे पसंद भी खूब करते थे पर अब तो समय तेज़ी बदल रहा है आज के बच्चे हिंदी के बारे में ही सुनना नहीं चाहते हिंदी में आने वाली कॉमिक्स के बारे में कौन सुनेगा।
अब बात इस कॉमिक्स कि कर ली जाये तो ये कॉमिक्स भी पुराने तरह के अपहरण को लेकर है जिसमे राजा की बेटी को दुष्ट जादूगर उठा ले जाता है उसके बात दादा जी कैसे राजकुमारी को छुड़ाकर लाते है और जादूगर का अंत करते है ये ही इस कहानी का मूल आधार है। आज बस इतना ही स्कूल का बहुत काम है पर वादा करता हूँ कि जल्द ही नयी कॉमिक्स के साथ दुबरा मिलता हूँ।

Secret Invasion 040 Secret Invasion 4

Secret Invasion 039 Captain Britain MI 3


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Secret Invasion 038 Secret Invasion Front Line 1


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Secret Invasion 037 Secret Invasion Directors Cut 1


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Secret Invasion 035 Ms Marvel 28

Tuesday, February 25, 2014

DC-728-Lambu Motu Aur Green Signal


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डायमंड कॉमिक्स-७२८-लम्बू-मोटू और ग्रीन सिग्नल
डायमंड-कॉमिक्स भारत कि सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉमिक्स में से एक थी और इसकी सबसे बड़ी खूबी दो थी एक तो "प्राण" के सारे चरित्र जैसे "चाचा चौधरी" , बिल्लू और पिंकी यहाँ से प्रकशित होते थे जिसके कारण मेरे जैसे कितने लोगो ने हिंदी पढ़ना सिखा था,और दूसरी खूबी इसकी कहानियों का प्रशारण हर रविवार रेडियो पर होता था जिससे इन कॉमिक्स के प्रति उत्सुकता बहुत बढ़ जाती थी। कुछ दिनों तक तो राज कॉमिक्स ने भी कॉमिक्स कि कहानियों का प्रशारण रेडियो पर किया था "नागराज और लाल मौत" मैंने रेडिओ पर सुन कर ही लिया था।
एस. सी.बेदी जी ने राजन-इक़बाल सीरीज़ डायमंड कॉमिक्स के लिए ही लिखा और बाद में उसके बाल पॉकेट बुक्स लिखने लगे। वो समय तो जैसे जोड़ियों का समय था राम-रहीम,राजन-इक़बाल,अमर-अकबर,राम-बलराम जैसे ढेर सारे बाल सीक्रेट एजेंट पर कहानियां आती थी और दिल कि बात कहूं तो मैंने कई बार ये पता करने कि कोशिश भी कि थी कि बाल सीक्रेट एजेंट कैसे बनते है पर कुछ पता ही नहीं चला।

कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स उतनी अच्छी तो नहीं है जैसा कि हम उम्मीद करते है बस ये कहानी हमें उस समय कि याद दिला देगी,कहानी कि सुरुवात होती है स्कूल के बच्चो से होती है जो कि एक बस में पिकनिक जा रहे थे जिसमे लम्बू-मोटू भी थे और उसी बस को आंतकवादी अपना बंधक बना लेते है उसके बाद लम्बू-मोटू किस तरह से उस बस को छुड़ाते है ये ही इस कहानी का मुख्य आधार है।

 हाँ आज यहाँ पर वो कुछ बाते मै दुबारा दोहरा रहा हूँ जिसे मै पहले भी कई बात कह चूका हूँ, इस ब्लॉग पर जो भी कॉमिक्स अपलोड होती है अगर उसे मैंने स्कैन और अपलोड किया होगा तो उस कॉमिक्स के साथ ९९ % मेरा उस कॉमिक्स के प्रति विचार जरुर होगा और उसमे मेरे ब्लॉग का लोगो तो १००% होगा अगर ऐसा नहीं है तो वो कॉमिक्स मेरी स्कैन और अपलोड की हुवी नहीं होगी वो सिर्फ यहाँ पर इसलिए दी गयी होगी कि ब्लॉग चलयमान रहे या फिर वो कॉमिक्स किसी सीरीज का हिस्सा होगी या फिर उस कॉमिक्स का लिंक नहीं नहीं मिल रहा होगा। अब बात आती है कि असली अपलोडर का नाम देने कि है तो वो मेरे लिए सम्भव नहीं रहता क्योंकि मै कभी कोई कॉमिक्स डाउनलोड नहीं करता क्योंकि मेरा नेट बहुत धीरे चलता है इसलिए मै अपने मित्रों से डीवीडी मंगवा कर कॉमिक्स पा लेता हूँ ऐसे में मुझे ये कभी पता नहीं रहता कि कौन से कॉमिक्स किसने भेजी है और उसे कहाँ से डाउनलोड किया गया है।
आज के लिए इतना बहुत है फिर जल्दी ही नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है। .......

DC-728-Lambu Motu Aur Green Signal


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डायमंड कॉमिक्स-७२८-लम्बू-मोटू और ग्रीन सिग्नल
डायमंड-कॉमिक्स भारत कि सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉमिक्स में से एक थी और इसकी सबसे बड़ी खूबी दो थी एक तो "प्राण" के सारे चरित्र जैसे "चाचा चौधरी" , बिल्लू और पिंकी यहाँ से प्रकशित होते थे जिसके कारण मेरे जैसे कितने लोगो ने हिंदी पढ़ना सिखा था,और दूसरी खूबी इसकी कहानियों का प्रशारण हर रविवार रेडियो पर होता था जिससे इन कॉमिक्स के प्रति उत्सुकता बहुत बढ़ जाती थी। कुछ दिनों तक तो राज कॉमिक्स ने भी कॉमिक्स कि कहानियों का प्रशारण रेडियो पर किया था "नागराज और लाल मौत" मैंने रेडिओ पर सुन कर ही लिया था।
एस. सी.बेदी जी ने राजन-इक़बाल सीरीज़ डायमंड कॉमिक्स के लिए ही लिखा और बाद में उसके बाल पॉकेट बुक्स लिखने लगे। वो समय तो जैसे जोड़ियों का समय था राम-रहीम,राजन-इक़बाल,अमर-अकबर,राम-बलराम जैसे ढेर सारे बाल सीक्रेट एजेंट पर कहानियां आती थी और दिल कि बात कहूं तो मैंने कई बार ये पता करने कि कोशिश भी कि थी कि बाल सीक्रेट एजेंट कैसे बनते है पर कुछ पता ही नहीं चला।

कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स उतनी अच्छी तो नहीं है जैसा कि हम उम्मीद करते है बस ये कहानी हमें उस समय कि याद दिला देगी,कहानी कि सुरुवात होती है स्कूल के बच्चो से होती है जो कि एक बस में पिकनिक जा रहे थे जिसमे लम्बू-मोटू भी थे और उसी बस को आंतकवादी अपना बंधक बना लेते है उसके बाद लम्बू-मोटू किस तरह से उस बस को छुड़ाते है ये ही इस कहानी का मुख्य आधार है।

 हाँ आज यहाँ पर वो कुछ बाते मै दुबारा दोहरा रहा हूँ जिसे मै पहले भी कई बात कह चूका हूँ, इस ब्लॉग पर जो भी कॉमिक्स अपलोड होती है अगर उसे मैंने स्कैन और अपलोड किया होगा तो उस कॉमिक्स के साथ ९९ % मेरा उस कॉमिक्स के प्रति विचार जरुर होगा और उसमे मेरे ब्लॉग का लोगो तो १००% होगा अगर ऐसा नहीं है तो वो कॉमिक्स मेरी स्कैन और अपलोड की हुवी नहीं होगी वो सिर्फ यहाँ पर इसलिए दी गयी होगी कि ब्लॉग चलयमान रहे या फिर वो कॉमिक्स किसी सीरीज का हिस्सा होगी या फिर उस कॉमिक्स का लिंक नहीं नहीं मिल रहा होगा। अब बात आती है कि असली अपलोडर का नाम देने कि है तो वो मेरे लिए सम्भव नहीं रहता क्योंकि मै कभी कोई कॉमिक्स डाउनलोड नहीं करता क्योंकि मेरा नेट बहुत धीरे चलता है इसलिए मै अपने मित्रों से डीवीडी मंगवा कर कॉमिक्स पा लेता हूँ ऐसे में मुझे ये कभी पता नहीं रहता कि कौन से कॉमिक्स किसने भेजी है और उसे कहाँ से डाउनलोड किया गया है।
आज के लिए इतना बहुत है फिर जल्दी ही नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है। .......

Rakesh ChitraKatha-Natku Jhatku ki Antriksh Yatra


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Chandamama Classics Aur Comics-01-08-Walt Disney ki Vichitrapuri


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Secret Invasion 034 New Avengers 42


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Secret Invasion 031 Fantastic Four 2


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Secret Invasion 028 Captain Britain MI13 2

Secret Invasion 022 Incredible Hercules 117

Secret Invasion 016 Ms Marvel 26

Sunday, February 9, 2014

Tulsi Comics-Taushi aur Tripple T


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तुलसी कॉमिक्स -तौसी और ट्रिपल टी
तुलसी कॉमिक्स श्री वेद प्रकाश शर्मा जी का है। तुलसी कॉमिक्स के तीन सबसे बड़े नायक "जम्बू", "तौसी", और "अंगारा" थे। और इन तीनो चरित्रों को बनाने वाले भी अपने आप में बहुत अच्छे उपन्यासकार थे और पुरे देश में इनके लिखे उपन्यास आज भी लोग पढ़ते है। जम्बू को खुद श्री वेद प्रकाश शर्मा जी ने खुद लिखा,तौसी को ऋतुराज जी ने लिखा जो कि सामाजिक उपन्यास लिखते थे,और अंगारा को श्री परशुराम शर्मा जी ने लिखा जिन्होंने राज कॉमिक्स के लिए नागराज,विनाश्दूत और भेड़िया लिखा। और नूतन कॉमिक्स के लिए मेघदूत लिखा। और अगर इनके चित्रकारों कि बात करूँ तो जम्बू को भरत मकवाना जी तौसी को कदम जी ने और अंगारा को प्रदीप शाठे जी ने बनाया। इस तरह से अगर देखा जाये तो इन कॉमिक्स को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए था पर शायद उस समय ये कॉमिक्स छपने में जयदा और कॉमिक्स कि गुड़वक्ता में कम ध्यान दीया। फिर भी ये कॉमिक्स जरुर पढ़ने लायक है। अच्छी कहानी और बेहतरीन चित्रों वाली ये कॉमिक्स आप को जरुर पढ़ने चाहिए।
 जैसा कि आप सभी जानते है कि हिंदी कॉमिक्स का बहुत बड़ा प्रेमी हूँ ,कॉमिक्स के प्रति जो मेरा पागलपन है वो तो मेरे घर वाले ही कायदे से समझते है या कहूं झेलते है पर मैं सुधरने को तैयार नहीं हूँ। मेरा ये कॉमिक्स प्रेम अभूतपूर्व है और मैं बहुत दिनों तक ये सोचता था कि मुझसे बड़ा कॉमिक्स प्रेमी कोई हो ही नहीं सकता है पर समय समय पर मुझे कुछ ऐसे लोगो मिलते रहे जो मुझे आईना दिखाते रहे पहले तो मेरा सबसे बड़ा कॉमिक्स कलेक्टर होने का भ्रम टूटा और अब मेरा कॉमिक्स के प्रति सबसे बड़ा पागलपन रखने का भ्रम टूट गया। अब तो मुझे यकीन हो गया है कि मै तो इन सब लोगो से बहुत छोटा हूँ ये सब तो मुझसे बहुत आगे है।
 इस कॉमिक्स कि प्रति वो दीवानगी मुझे देखने को मिली जिसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था। संजय जी मेरे इसी ब्लॉग से कॉमिक्स डाउनलोड करते है और दिल्ली में वकालत करते है उनसे मेरी एक दो बार बात हो चुकी थी। अभी कुछ दिन पहली उनका फोन आया वो चाहते थे कि मै ये प्रस्तुत कॉमिक्स जल्दी से अपलोड कर दूँ पर मेरी अपनी कुछ मज़बूरियाँ रहती है इसलिए ये काम जल्दी होना सम्भव नहीं लग रहा था। उनसे मेरी बात हुवी वो सिर्फ एक कॉमिक्स के लिए दिल्ली से लखनऊ आ गए जब कि उन्हें मैंने बता दिया था कि इस कॉमिक्स में चार पन्ने फट्टे है। अब मै एक कॉमिक्स के लिए १० किलोमीटर भी नहीं जा सकता और संजय जी पुरे ५०० किलोमीटर चले आये। अब आप ही जरा सोचिये कि किसका कॉमिक्स प्रेम ज्यादा बड़ा है मेरा या संजय जी का, मेरे अनुसार संजय जी का।
फिलहाल एक और संजय,यानि संजय सिंह  जी कि मदद से ये कॉमिक्स बिना किसी मिस्सिंग पेज के साथ अपलोड करने में सफल हो पाया हूँ जिसके लिए उन्हें तहेदिल से धन्यबाद। 
 आज के लिए इतना ही फिर जल्दी ही किसी और कॉमिक्स के साथ जल्द ही आप सब से मिलता हूँ।

Wednesday, February 5, 2014

Prabhat Comics-412-Sankar Aur Akhari Vashiyat


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प्रभात कॉमिक्स -४१२-शंकर और आखरी वसीयत
 कहानी के हिसाब से मुझे प्रभात कॉमिक्स से न ही कोई शिकायत रही है और न ही बहुत ज्यादा उम्मीद। कहानियां अपने समय के हिसाब से हमेशा औसत से बेहतर रही है , ये कहानी भी कुछ उसी तरह कि है पर अगर मुझे कोई शिकायत इनसे रही है तो वो है इनके चित्रो से जो कि कभी भी मुझे पसंद नहीं आये।
 कहानी शुरू का मुख्य नायक है शंकर जो मामूली काम करके अपना गुज़ारा चलता है एक बार उसे शहर के नामी शेठ को एक दुर्घटना से बचाता है। जो कि सम्भवता साज़िश जान पड़ती है, शेठ अपनी मौत के डर से शंकर को नौकरी पर रख लेता है और फिर शुरू होता है शकर का सही काम यानि शेठ कि हर सम्भव मदद करना पर क्या वो इसमें सफल हो पता है या नहीं ये ही इस कहानी का मूल आधार है। ये कहानी ७० के दशक कि हिंदी फिल्मो के तरह चलती है पर मज़ा बहुत आता है। पढ़ कर देखे आज के समय के हिसाब से ये कहानी पुरानी तो लगती है पर पसंद तो आप को जरुर आएगी।
 जैसा कि आप सब जानते ही है कि मै एक अध्यापक हूँ। और अभी हमारे स्कूल के १२ वीं के छात्रों का विदाई समारोह था। वैसे तो सभी कुछ वैसा ही हुवा जैसा कि हम सब इससे उम्मीद करते है। ११ वीं के छात्रो से जिस तरह से सारा समारोह तैयार किया था वो काबिलेतारीफ है।
 पर यहाँ जो एक बात उठ कर आयी वो थी 'आरक्षण'. अब जब ये बात निकली है तो इस पर मैं अपने विचार लिखूंगा और सभी से ये अनुरोध करूँगा कि या तो आप इस विचार को पूरा पढ़े या बिलकुल न पढ़े क्योंकि आधा विचार पढ़कर आप कोई भी निष्कर्ष निकाल सकते है। पूरा पढ़कर ही अपने विचार रखेंगे तो ही आप मेरी बातो का सही आकलन कर पाएंगे।
 'आरक्षण' कि पुरानी पृष्टभूमि में जाएँ तो सभी कि ये ही सोच थी कि जो तबका सदियों से दबाया गया है उसकी मदद की जाये जिससे वो तबका भी मुख्य धारा में आ सके और देश कि उन्नति में उसकी भी पूरी भागीदारी हो। विचार तो बहुत ही उत्तम था पर तरीका तो अपनाया गया वो बेहद ही बेहूदा और बचकाना था, और आज भी बादस्तूर जारी है। आप ने आरक्षण के माध्यम से उस तबके को और भी कमज़ोर बनाया और उसे सम्पन तबके के नज़रों में पहले से भी ज्यादा गिरा दिया। सिर्फ इतना ही नहीं किया बल्कि देश कि तरक्की को बाधित किया, जो लायक था उसे तो आप ने कुछ नहीं दिया पर जो लायक नहीं था उस काम के लिए चुन लिया जो वो करने में असमर्थ था। आज अगर कोई ९० % वाला उच्च वर्ग का बच्चा सवाल पूछता है कि कोई ४० % वाला उसका काम कैसे कर सकता है तो हमारे पास कोई जबाब नहीं होता है। और जब उसे समझने के लिए बतावो कि क्योंकि तुम्हारे पूर्वजों ने उनके पूर्वजो का शोषण किया था इसलिए ऐसा किया जा रहा है तो वो पूछ बैठता है कि मेरे पूर्वजों के किये गए काम के लिए हमें सजा कैसे दी जा सकती है और अगर ऐसा होता है तो फिर वो तो बदला हो गया। और किसी के पूर्वजो का बदला उनके बच्चो से लेना कौन सा न्याय है। और इसका मेरे पास कोई जबाब नहीं है। पर जितना बड़ा सच ये है उससे कही बड़ा सच ये भी है कि पिछड़ा तबका जिस स्थिति में तब था और आज भी है उसे ऐसे तो नहीं छोड़ा जा सकता उससे तो वो कही के नहीं रहेंगे। इस परिस्थिति में उच्च वर्ग फिर भी अपने आप को सम्भाले हुवे है पर ये तबका तो बिना किसी मदद के बिखर जायेगा। फिर किया क्या जाये क्योंकि दोनों बाते अपनी जगह पूरी तरह से सही है और हम किसी भी कारण और किसी भी कीमत पर किसी भी असमर्थ आदमी को कोई पद नहीं दे सकते ऐसे तो समाज में और बिखराव आएगा और आया भी है
 मेरा अपना विचार है कि हमें आरक्षण को पूरी तरह से ख़तम कर देना चाहिए, पर जो दबा तबका है उसके लिए हमें दूसरी मदद करनी चाहिए, हमें उनके बच्चो को मुफ्त भोजन,फीस , किताबे और उनके घर वालों को भी पैसे देकर प्रोत्सहित करना चाहिए जिससे वो अपने बच्चो को स्कूल भेजे। अध्यापको के लिए भी कुछ ऐसी योजनाये बनाये जिससे यदि कोयी अपने स्कूल से इस तबके के बच्चे को इस लायक बनता है कि वो स्कूल या कॉलेज में उच्च स्थान प्राप्त करे तो उसे भी कुछ धन प्रदान किया जाये। हमारी कोशिश इस तबके को समर्थ बनाने की होनी चाहिए जिससे वो खुद सभी के मुकाबले खड़ा होकर कोई पद प्राप्त करे। न कि किसी समर्थ के हक़ को मार कर असमर्थ को दे देना। इससे न किसी तबके का भला होगा और न ही देश का। इससे समाज में एकता आएगी और कोई हीन भावना से भी ग्रषित नहीं होगा।

Thursday, January 23, 2014

Ganga Chitrakatha-63-Pilpili Shahab Bane Madari


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गंगा चित्रकथा-६३-पिलपिली साहब बने मदारी
 गंगा चित्रकथा उन कॉमिक्स प्रकाशन में से है जिनकी २०० कॉमिक्स भी शायद नहीं छपी थी. अगर मै अपनी बात करूँ तो मुझे पता ही नहीं था कि इस नाम का कोई प्रकाशन है भी। मै तो सिर्फ राज कॉमिक्स खरीदता और पढता था,जब मै कुछ पैसे कमाने लगा तो मनोज कॉमिक्स को जमा करना शुरू किया वो भी सुपर हीरो वाली कॉमिक्स, पर राज कॉमिक्स ने कॉमिक्स कम छपनी शुरू की तो मुझे और प्रकाशन कि कॉमिक्स को इकठ्ठा करने का मौका मिल गया। पर मेरी पहली पसंद राज कॉमिक्स के बाद मनोज कॉमिक्स ही थी पर जब मनोज कॉमिक्स छपनी बंद हो गयी तो वो मेरी पहली पसंद बन गयी और इसका कारण सीधा सा था कि राज कॉमिक्स कभी भी मिल सकती थी पर मनोज कॉमिक्स नहीं।पर जब मैंने कॉमिक्स स्कैन करना शुरु किया तो मुझे और कॉमिक्स प्रकाशनों के बारे में पता चला और मैंने इन्हे भी इक्कठा करना शुरू कर दिया और आज मेरे पास ईश्वर और कुछ दोस्तों कि मदद से बहुत सारे प्रकाशन की कॉमिक्स है।
 इस कॉमिक्स कि कहानी बड़ी ही मज़ेदार है कई कहानियों कि खिचड़ी लगती है पर हास्य कॉमिक्स में कहानी ढूढ़ना बेकार कि कोशिश ही होती है। बस ऐसे ही कुछ भी होता रहता है पर सच तो ये है कि आप को मज़ा बहुत आने वाला है। जरुर पढ़े सारी थकान दूर हो जायेगी।
 आज फिर कुछ बाते करने का मन हो रहा है, जब मैंने ऑरकुट कम्युनिटी ज्वाइन किया था तो पता चला कि कॉमिक्स को स्कैन भी किया जा सकता है और यहाँ पर मुझे राम-रहीम कि सारी कॉमिक्स को पढ़ने को मिली उस समय मेरे पास राम रहीम कि सारी कॉमिक्स मेरे पास नहीं थी, वो अहसान मेरे ऊपर ऐसा चढ़ा कि मैंने स्कैनर ले लिया और अपनी कॉमिक्स स्कैन करना सुरु कर दिया जो आज तक जारी है और शायद हमेशा रहेगा, शुरू में तो लोगो ने मेरी खूब मदद कि मोहित राघव जी ने,अनुपम अग्रवाल जी ने,सब मेरी तारीफ करते नहीं थकते थे। इन सब के साथ को मै कभी नहीं भूल सकता।
सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता रहे ये तो हो ही नहीं सकता। इसी कॉमिक्स की दुनिया ने मुझे हीरो बना दिया था और इसी कॉमिक्स कि दुनिया ने मुझे दलाल, धोखेबाज़, ठग,और चोर सब कुछ भी बना दिया। मेरा मन इन सब से उबने लगा था और सच कहूं तो पिछले कुछ महीनो से जो मेरी अपलोडिंग में जो गिरावट आयी है उसका ये भी एक बहुत बड़ा कारण है।
लोगो को ऐसा लगता है जैसे मै ब्लॉग से करोड़ो कमाता हूँ,कॉमिक्स मै शौक के कारण नहीं बेचने के कारण स्कैन करता हूँ। कॉमिक्स कि कमाई से मै करोडपति बन गया हूँ। इसलिए जब किसी से कॉमिक्स के नाम पर मदद मांगता हूँ तो उन्हें लगता है कि वो मुझे कोई एक कॉमिक्स दे कर या स्कैन कॉपी देकर अपना अरबो का नुक्सान कर लेंगे।
अब इन मूर्खो को कौन समझाए कि कॉमिक्स खरीदना मेरी शौक है दुकानदारी नहीं और अगर ब्लॉग से मुझे कमाई हो रही होती है तो मुझे सुबह ७ से लेकर रात ११ बजे तक बिना रुके लगातार बच्चो को पढ़ा कर कुछ पैसे नहीं कमा रहा होता बल्कि घर पर बीबी बच्चो के साथ आराम करता। और जो ब्लॉग फ्री में सब के लिए है अगर इससे कोई कमाई होती तो सब के सब लखपति तो जरुरु बन जाते।
 मज़ेदार बात है सब मुझ से तो ये उम्मीद करते है कि मै उनकी पसंद कि कॉमिक्स जल्द से जल्द अपलोड कर दूँ पर अगर मै किसी से कोई मदद चाहूँ तो उनके पास समय ख़तम हो जाता है।
 पर सच कहूं तो तकलीफ भी होती है और क्रोध भी आता है पर फिर ये सोच कर शांत हो जाता हूँ कि जब भी मैंने कुछ चाहा है तो उस ऊपर वाले ने मेरी मदद जरुर कि है जो भी कॉमिक्स मैंने अपलोड करने कि सोची है चाहे वो मेरे पास हो चाहे न हो मुझे ईश्वर ने वो कॉमिक्स किसी न किसी तरह से मेरे पास पहुचाई है क्योंकि मेरा इरादा कभी गलत नहीं रहा है और न ही आज है चाहे कोई इस पर विश्वाश करे चाहे न करे।

Sunday, January 12, 2014

Chunnu Comics-Chandan Ke Lutere


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 आज तो मेरे पास कहने को इतना कुछ है कि समय और जगह दोनों ही कम पड़ जाने का अंदेशा है. इधर कुछ वक्त से इतनी ज्यादा व्यस्ता कुछ इस कदर थी कि किसी और बात के लिए तो समय ही नहीं था पर जैसा कि मुझे जानने वाले जानते है कि चाहे कुछ भी हो जाये कॉमिक्स कि स्कैनिंग और अपलोडिंग बंद नहीं हो सकती पर इस बार ये भी हुवा कि स्कैनिंग बंद हुवी। पर उसका इकलौता कारण व्यस्ता नहीं था बल्कि यहाँ पर बिजली कि समस्या और मेरे कंप्यूटर का बार-बार ख़राब होना था. पहले तो समय कि कम मिलता है स्कैनिंग के लिए और ऊपर से जैसे ही स्कैनिंग के लिए बैठो कि बिजली चली गयी और अगर आप ने किसी तरह से स्कैन कर भी लिया तो फिर उपलोडिंग उससे भी ज्यादा मुश्किल काम होता था क्योंकि उसमे बिजली जाने का मतलब तो कुछ भी नहीं हो सकता। पर अभी आधी परेशानी को ख़तम हो गयी है कि लैपटॉप आ गया है जिसके कारण अपलोडिंग तो बैकअप से हो जाता है पर स्कैनिंग कि समस्या अभी भी वैसे ही है पर इन्वर्टर लगवाने के बाद ये परेशानी में ख़तम हो जायेगी। फिर मै इतने कम समय में भी अपनी अपलोडिंग अच्छी गति से चालू रख सकूंगा। पिछली बार कि तरह इस पर भी मै राज कॉमिक्स के द्वारा आयोजित कॉमिक्स कॉन में गया था और इस बार ये आयोजन दो दिनों का था। जाना तो मुझे था ही,पर इस बार ये कुछ मायने में मेरे लिए बहुत खास रहा। दिल्ली जाने से दो दिन पहले मुझे डॉक्टर साहब का फ़ोन आया और मुझ से पूछा गया कि क्या मै कॉमिक्स कॉन में आ रहा हूँ। मैंने जब हाँ कहा तो उनका कहना था कि मैंने आप के दोनों ब्लॉग से बहुत कॉमिक्स डाउनलोड कि है और कभी थैंक्स तक नहीं लिखा , पर जब आप यहाँ आ रहे है तो मुझसे जरुर मिलें अगर मैं आप के कुछ काम आ सका तो मुझे बड़ी ख़ुशी होगी। मैंने हाँ कर दिया, दिल्ली पहुचने के बाद मैंने राज कॉमिक्स के कुछ लोगो के फ़ोन करके इंतज़ाम कि जगह जानने को कहा पर कुछ भी साफ़ नहीं हो पा रहा था बस इतना साफ़ था कि इंतज़ाम तो जरुर है पर कहाँ वो वहाँ आने के बाद कि पता चल पायेगा।फिर मेरे पास डॉक्टर साहब से बात करने के अलावा कोई चारा नहीं था मैंने उन्हें स्टेशन से फ़ोन किया और वो बहुत खुश हुवे और मुझे लेने ऑटो करके स्टेशन पहुचे और मुझे अपने घर ले जाना चाहते थे पर समय हो रहा था इसलिए मैंने उन्हें फ्रेश होने कि कोई जगह ले जेन को कहा तो वो मुझे अपने ऑफिस ले गए जहाँ जा कर मैंने नित्य कर्म करके तैयार हुवा। फिर डॉक्टर मेरे साथ कॉमिक्स कॉन ले कर आये हमारे बीच काफी बाते हुवी और वो कॉमिक्स कॉन पूरा दिन मेरे साथ रहे और जब तक वो मेरे साथ रहे उन्होंने मुझे एक पैसा भी खर्च नहीं करने दिया चाहे वो किराया हो चाहे वो खाने का कोई सामान हो, ऐसे लोगो से मिल कर जो ख़ुशी मिलती है उसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता। इससे ये बात तो साफ़ साबित होती है कि आप कोई भी अच्छा काम करेंगे उसकी सरहाना आप को जरुर मिलेगी। वरना एक डॉक्टर आप को इतना समय दे दे जिसका खुद का समय कितना कीमती होता है उसे तो सब को पता है।
 फिर शाम को हमारी मुलाकात पिछली बार कि तरह वीरेंदर जी, शादाब जी,अनुराग जी,सुशांत पांडा जी उनके भाई साहब वसंत पांडा,मंदार गांगले जी से हुवी। इनके साथ बिताया गया समय ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी होती है। मुझे इन सब के साथ समय बिताना बहुत ही पसंद आता है और इन सब के कारण मुझे चित्रों कि बहुत से बारीकियों में बारे में पता चला जो शायद मुझे कभी भी पता नहीं चलता। इनके साथ तो समय ऐसे बीतता है कि न थकान महसूस होती है और न नीद आती है बस बाते ही होती रहती है।
 फिर अगले दिन संजय गुप्ता जी से मुलाकात हुवी, वैसे तो मै बहुत बाते करता हूँ पर सिर्फ उसी से जिसे मै जनता हूँ नए व्यक्ति से बात करने से डरता हूँ कि कही वो कुछ ऐसा न कह दे कि मुझे बुरा लग जाये इसलिए संजय जी से भी बात करने से डर रहा था पर जैसे ही मैं उनके पास पंहुचा उन्होंने खुद मुझे पहचाना और कहा कि तुम लिखते बहुत अच्छा हो। मुझे ऐसा महसूस हुवा कि मै भी हूँ और उनके लिए मेरी बात कि कोई कीमत है जब कि जब से होश सम्भाला है किसी ने मेरी बात को ऐसे याद नहीं रखा है।
 बहुत ज्यादा हो चूका है बाकि बाते मै अगले पोस्ट में लिखूंगा।