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Friday, January 8, 2016
Prampra Comics-142 Maut Ka Chakravyuh
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परम्परा कॉमिक्स-१४२ -मौत का चक्रव्यूह जैसा की इस से पहले वाले अपलोड में कह चूका हूँ की ये कहानी पहले खींची गयी और फिर इस कॉमिक्स में जल्दी से खत्म कर दी गयी। उस लिहाज़ से ये कॉमिक्स कुछ निराश करेगी। पर चित्र बहुत अच्छे बने है और पहली दो कॉमिक्स का आखरी पार्ट होने के कारण ये कॉमिक्स खास बन जाती है। बाकी अभी मेरे पास कहने को कुछ विशेष नहीं है। नए अपलोड पर जरूर मै आप सब को कुछ अच्छी खबर सुना पाउँगा।
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परम्परा कॉमिक्स-१४२ -मौत का चक्रव्यूह जैसा की इस से पहले वाले अपलोड में कह चूका हूँ की ये कहानी पहले खींची गयी और फिर इस कॉमिक्स में जल्दी से खत्म कर दी गयी। उस लिहाज़ से ये कॉमिक्स कुछ निराश करेगी। पर चित्र बहुत अच्छे बने है और पहली दो कॉमिक्स का आखरी पार्ट होने के कारण ये कॉमिक्स खास बन जाती है। बाकी अभी मेरे पास कहने को कुछ विशेष नहीं है। नए अपलोड पर जरूर मै आप सब को कुछ अच्छी खबर सुना पाउँगा।
Prampra Comics-137- Gangste Ki Talas
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परम्परा कॉमिक्स-१३७-गैंगस्टर की तलाश
जैसा की मैंने वादा किया था की ये सीरीज पूरी करूँगा तो संयोग से ये सीरीज आज लगभग पूरी कर दूंगा। इसमें से तीन कॉमिक्स बज़ूका, मै हूँ गोर्रिला और कहाँ गया गोरिल्ला मेरी स्कैन की हुयी नहीं है। जिसको मैंने अपने एक मित्र से कॉमिक्स पेन ड्राइव में लिया था इस लिए उन स्कैन और अपलोड करने वालों के नाम बताने में असमर्थ हूँ हाँ मै हूँ गोर्रिला r k o ब्रदर ने स्कैन की थी उस कॉमिक्स में उनका लोगो लगा है।
कहानी के लिहाज़ से पहली सीरीज ठीक ही है पहले तो कहानी के इतना विस्तार कर दिया फिर जैसे उन्हें लगा की सीरीज बहुत लम्बी हो जाएगी तो फटाफट ख़त्म कर दिया। इसलिए मुझे तो कहानी कुछ अधूरी सी लगी। फिर भी देखा जाये तो कहानी ठीक है।
और दूसरी सीरीज अभी अधूरी है और मेरे पास "फिर आया गोर्रिला" मेरे पास नहीं है अगर किसी के पास हो तो उसे जरूर उपलोड करें।
अभी तो फिलहाल मेरी जिंदगी पटरी से उतरी हुयी है। बेरोज़गार होना भी बहुत बड़ी मुशीबत है। वैसे तो देखा जाये तो पैसे को लेकर मुझे परेशानी नहीं है। एक तो मुझे किसी भी चीज़ की लत नहीं है दूसरे मेरे पिता जी अभी जॉब में है और हमारा अपना मकान है तो उसका भी कोई खर्चा नहीं है। घर का सारा खर्चा भी पिता जी ही उठाते है तो उसको भी लेकर मुझे कोई चिंता नहीं है। ऊपर से मैं होम टूशन से लगभग ३५ हज़ार कमा लेता हूँ। जो की मेरे लिए बहुत है। पर मैंने अभी तक घर पर किसी को नौकरी से निकले जाने के बारे में बताया नहीं है तो मुझे बच्चे को लेकर स्कूल जाना पड़ता है उसको स्कूल में छोड़ कर फिर कही गाड़ी खड़ी करके इंतज़ार करना बहुत खलता है। बहुत बार दिल किया की घर पर बता दूँ पर न बताना मुझे ज्यादा ठीक लग रहा है। पहला कारण जब मुझे पैसे को लेकर कोई परेशानी नहीं है तो घर वालो को बता कर परेशान करने का कोई तुक नहीं बनता दूसरा जो ज्यादा बड़ा कारण लगता है वो ये है की अगर मैंने घर पर बता दिया तो फिर मुझे घर से सुबह निकलने का कारण ख़त्म हो जायेगा फिर मै घर पर ही रह जाऊंगा तो फिर नौकरी कौन ढूंढेगा। घर से निकलने की मज़बूरी के कारण नौकरी मिलने की सम्भावना ज्यादा प्रबल हो जाती है। वैसे दो तीन स्कूल में बात चल रही है उम्मीद है जल्दी ही कुछ अच्छी खबर मिलेगी।
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