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इंद्रजाल कॉमिक्स-१०६-हीरों भरा कुत्ता
जैसा की मैं पहले भी लिख चूका हूँ कि इंद्रजाल कॉमिक्स मुझे कभी भी लुभा नहीं पाई इसी कारण कभी इसका कलेक्शन करने का मन भी नहीं हुआ। इसलिए इसकी बहुत कॉमिक्स मेरे पास होने का तो सवाल ही नहीं उठता है। अब अगर कलेक्शन करने का मन भी करे तो संभव नहीं है। इसकी कीमत के कारण। ये कॉमिक्स मेरे एक जानने वाले दूकानदार ने बेचने के लिए मुझे दिया था तो बेचने से पहले मैंने इसे स्कैन कर लिया। वैसे तो ये कॉमिक्स पहले से कही अपलोडेड है। फिर भी मैं इसे अपलोड कर रहा हूँ।
आप ने एक बात जरूर नोट की होगी की आगस्ट से अक्टूबर तक काफी कॉमिक्स अपलोड की है। कारण सीधा सा था इन बीच मैं फिर से बेरोज़गार हो गया था। अब तो ऐसा लगता है कि जैसे की सारा जहान लुटेरों और बेईमानो से भरा हुआ है। हर किसी को अपने फायदे के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आता। लोग अपने एक रूपये के फायदे के लिए आप का हज़ार का नुकशान करने को हमेशा तैयार रहते है। एक साल में अपने साथ दो बार एक जैसे आचरण के कारण मैं अभी तक सदमे में हूँ। समझ में नहीं आ रहा है की मेरे आचरण में परेशानी है या फिर ये दुनिया रहने लायक नहीं है। जो भी हो मुझे अब इस उम्र में अपने आप को बदलना सम्भव नहीं लगता है। और दुनिया को मैं बदल नहीं सकता। देखते है जिंदगी आगे कैसे चलती है।
जैसा की आप सब को पहले से ही पता है की पिछली साल अक्टूबर २०१५ को मेरे स्कूल सेंट अंटोनी इंटर कॉलेज से जाना पड़ा था। जिसके कारण मुझे कही तो नौकरी करनी ही थी। पर बीच सेक्शन में नौकरी मिलना असंभव ही था। पर मैंने जिस तरह से उन दिनों नौकरी ढूंढी वो भी कमाल ही था। हर रोज़ काम से काम ५ स्कूल में सी.वी ड्राप करना मेरा हर वर्किंग दिन का काम था। कई स्कूल ऐसे थे जहाँ सिलेक्शन होने के बाद भी फर्स्ट चॉइस न होने के कारण हो नहीं रहा था। न्यूज़ पेपर की नौकरियों को तो मैंने ऐसे भरा था की मुझे ये भी याद नहीं रहता था की कहाँ -कहाँ मेल किया है और कहाँ नहीं। फिर एक दिन रात को लगभग ९:२० पर मिस्टर अरुण सिंह का फ़ोन आया उन्होंने मुझे अपने स्कूल अरुणोदय पब्लिक स्कूल जो की बाराबंकी में है उसके लिए ऑफर किया। फ़ोन पर ही पूरा इंटरव्यू ले लिया। मेरी नॉलेज से वो काफी प्रभावित थे। स्कूल मेरे घर से ४० किलोमीटर दूर था तो मेरा ज्वाइन करने का मन नहीं था। मुझे सिर्फ एक बार मिलने के लिए राज़ी किया गया। वहां जाने पर मुझे किसी भी तरह ज्वाइन करवाने की तैयारी की गयी थी। कम से कम जितनी सैलरी मुझे चाहिए थी उतने के लिए हाँ कर दिया। मुझे और टीचर्स से ३० मिनट पहले छोड़ने को भी तैयार हो गए। मुझे नौकरी चाहिए भी थी तो मैंने ज्वाइन कर लिया। फिर उन्होंने मेरे से स्कूल अफ्फिलिएशन के लिए कुछ और ट्रैनेड टीचर्स को देने की रिक्वेस्ट की। तो मैंने उन्हें अपने साथ बी.एड किए तीन और अपनी वाइफ के डोकोमेँट दे दिए जिससे स्कूल को जल्दी से अफ्फिलिएशन मिल सके। मेरे मित्रों में से दो ने ही स्कूल ज्वाइन किया। बाकी दो अगर अफ्फिलिएशन के लिए टीम आती तो वो स्कूल में आ जाते।
एक महीना अच्छे से चला पर जब सैलरी आयी तो पता चला १० % कटौती होती है जिससे कोई बीच में स्कूल छोड़ कर न जा सके। उन्ही बीच मेरा जय पुरिया स्कूल में हो गया। सैलरी दोनों जगह एक ही थी तो मैंने अरुण सिंह से बात की। अगर आप को मुझ से कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे बता दें। मेरा जैपुरिया में हो गया है मैं वहां चला जाऊंगा। यहाँ तो मैं बिना कटौती के ही काम कर सकता हूँ। जैसा की मुझे उम्मीद थी उन्होंने मेरी सैलरी की कटौती वापस ले लिए और कुछ तो कटौती के नाम पर ३% ही कटौती रह गयी। मुझे भी लगा एक महीने से मैं यहाँ पर हूँ। जल्दी स्कूल बदलना भी ठीक नहीं है। तो मैंने वही रुकने का फैसला कर लिया। फिर स्कूल में मैनजमेंट में परिवर्तन सुरु हुए। प्रिसिपल बदली और अरुण सिंह ने अपने रिस्तेदार को स्कूल का एडमिन बना दिया। मिस्टर अरुण सिंह केमिकल इंजीनियर है दुबई में तो आल्टरनेट महीने ही स्कूल में रह पाते है। क्योंकि ये परिवर्तन सीधा मेरे से सम्बन्ध नहीं थे इसलिए मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ना था। पर ये परिवर्तन धीरे-धीरे असर दिखाने लगा। प्रिसिपल अनुपमा ने अपने अनट्रेंड टीचर्स को रखने के लिए पुराने टीचर्स को निकालना शुरू कर दिया। कोई भी तर्क दे कर। मेरे लिए ये कोई नहीं बात तो थी नहीं। चुप रहना ही ठीक लगा। जुलाई ३१ को माँ की तबियत ठीक न होने के कारण स्कूल नहीं जा पाया तो मेरे मोबाइल पर मेरा टर्मिनेशन लेटर आ गया की आप प्रिंसिपल से की गयी बात बच्चों से शेयर करते है। मज़ेदार बात तो ये थी की ३० को जब मैं प्रिंसिपल से मिला था उसके बाद मैं उस क्लास में गया ही नहीं था जिस का नाम उन्होंने लेटर में दिया था। क्योंकि उस क्लास में मेरा पीरियड ही नहीं था। फिलहाल मैंने इनकी भी शिकायत सी.बी.यस.सी को,लेबर कोर्ट में , सी यम को और भी कई जगह कर दी है। पर हमारे देश का घटिया कानून है इसमे शिकायत करता को ये साबित करना पड़ता है कि उसकी शिकतायत सही है। शोषण करने वाला हमेशा सही ही होता है। मेरे पास ५ महीने के बैंक रिकॉर्ड है जिसमे स्कूल के द्वारा दी गयी सैलरी है। बच्चो के वॉट्सआप के मैसेज है जो ये साबित करता है की मैं उनकी क्लास में नहीं गया था। और उन्हें मेरी क्लास में पढ़ना पसंद था। लेवर कोर्ट को कंप्लेन किये हुए २ महीने से ज्यादा हो चूका है वहां से कोई उत्तर नहीं है। बाकि सब भी मौन है।सी एम और पी यम की तरफ से सिर्फ कंसर्न डिपार्टमेंट को केस ट्रांफर करने की ही खबर है। एक्शन अभी तक कोई नहीं है। यहाँ तक जो मेरा पेंडिंग आमउंट स्कूल से आना था उसे देने के एक हफ्ते बाद मेरे अकाउंट से निकलवा लिया। वो भी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया जैसे बैंक से। कंप्लेन का कोई सही उत्तर बैंक भी नहीं दे रहा है। ये समय मेरे लिए बहुत घटिया गुज़रा है। मेरा मन कही भी काम करने का नहीं था। पर एक शुभचिंतक के कारण एक बहुत अच्छे स्कूल में २४ सितम्बर को ज्वाइन किया है। पर अब कुछ अच्छा नहीं लगता है। जिन सब के लिए मैंने इतने दिन काम किया। न के बराबर लेट होना चाहे १० किलोमीटर दूर हो चाहे ४० किलोमीटर दूर। एब्सेंट तो होना ही नहीं होता है मुझे। क्लास से कभी शायद ही कंप्लेन हो।शायद ही क्लास का कोई बच्चा हो जिसे मुझसे पढ़ाई के मामले में फ़ायदा न पंहुचा हो। फिर भी बार-बार मेरे साथ ऐसा क्यों ? छोडूंगा तो नहीं मैं इनको भी। पर प्राइवेट नौकरी करने वालों से अच्छे ईद के बकरे होते है जो एक दिन ही दर्द झेलते है प्राइवेट नौकरी वाले तो रोज़ हलाल होते है।
Manoj Bhai,
ReplyDeleteAap ki tarha main bhi ek aise case se nikal chukka hun. Main ne Maths mein M.Sc. kii thhee aur Meerut se Behsuma Gaaon mein ek nay Tyagi bhaiyon ka school khula tha. Wahan maine 1.5 mahine kaam kiya. Unhone to mujhe ek bhi paisa nahi diya. Yeh aur keh diya ki mujhe paanchvi class ke sawal nahi aate. Aaj maine USA se Ph.D. kii hai aur US Govt. se Felloship milti rahi hai. India ki yahi halat hai. Jis ki lathi us ki bhains.
Baad mein maine Meerut ke "Darshan Academy" CBSE board mein bhi naukri kii thhee. Us ka principal tha "Dr. Karmender Singh" jo principal kam aur dictator zyada tha. Congress se juda koi neta type tha. Achhe khase padhe likhe teachers se badi asabhyata se baat karta tha. Baad mein Delhi se school ki management team aai aur unhone mujhe school ka "One of the best teachers" kaha. Karmender ka moonh utar gaya tha. Baad mein use team ne naukri se nikal diya.
Aap nirash na ho. Mere aur aap jaise aur kai loge hain is duniay mein jo sangharsh kar rahe hain. Maine 14 saal lagatar videsh mein reh kar bina kisi ki sahayta ke padhai ki hai aur apna kharcha bhi nikala hai.
Himmette marda, madad e khuda!
मनोज जी , आप प्राइवेट tuition ही ले, जैसे की मैंने पहले सुझाया था |
ReplyDeleteकॉमिक्स की दुनिया में आपका कार्य अनमोल है | आपको आपके व्यावसायिक जीवन में जल्दी सफलता मिले येही ईश्वर से कामना करूँगा |
रही बात इंद्रजाल कॉमिक्स की, इंद्रजाल कॉमिक्स एक ऐसी कॉमिक्स है जिसमे उसके नाम के प्रती ही इंद्रजाल भरा हुआ है| इंद्रजाल का जादू आज भी सर पे चढ़ के बोलता है | आपको भले ही इंद्रजाल के प्रती प्यार न हो लेकिन मेरे जैसे कुछ लोगों के लिए इंद्रजाल एक जीवन के सुनहरे पर्व की तरह है | आप से मै ये बिनती करना चाहता हूँ की कृपया हिंदी इंद्रजाल अपलोड करते रहे| हिंदी इंद्रजाल ८०५ में से करीब ३०० के आसपास इन्टरनेट पर उपलब्ध है | सारें ८०५ हिंदी इंद्रजाल इकट्ठा करे का मेरा सपना है | कृपया इस मामले में हमारी मदत करें |
Manoj ji, agar aap Diamond Comics ke bhi kuch missing comics upload kar sakein to bahut hi achha hoga.
ReplyDeleteAur koi to kar hi nahi raha. Sab ne Raj, Manoj, Tulsi, aur na jane kya kya comics upload kar dee, lekin Diamond ke kuch gine chune missing comics upload nahi kar rahe, jaise ki Chhotu-Lmabu, Dabu, Zaab, Lambu-Motu, ityadi. Kuch Diamond ke digest bhi missing hain. In mein religouos bhi hain.
Sir,
ReplyDeletebahut afsos hota hai aisa kuchh bhi sunkar. main dekh chuka hu aur jhel chuka hu ye sab. private job me boss ke haath me itni power hoti ki ya to unke galat bhi maano ya insecure hokar job karo. aap apna stand nahi le sakte. kynki aap sahi ho phir bhi aap galat position me hote hain..
sad!
Thanxs manoj bhai is uplaod ke liye. Comics upload ka apka karya sarahniya hai.
ReplyDeleteAapke anubhav sunkar dukh hua. Chinta mat kijiye, yeh sab jeewan ke utaar chadav ka hissa hain. Focus hokar aage badhte rahein safalta aapke kadamon mein hogi.
manoj sir dont't worry u r doing a good job.
ReplyDeleteab aap ko lagta hoga ki mae ra dukh bahut zyada hai par aap aisae sochae hi jo abhi train hadsa hua hai ous mae kitnae log mar rae hai onah sae zyada to nahi hai aap ka dukh....??
be bold its a part of game .jab tak haath paer salamt hai koi dukh nahi....
umeed rakhae aap kae bhi achhae din aye gaye...
Sir maine abhi aapki blog par comics padna suru kiya hai. Aapki story sunkar laga jaise meri story hai. Mann bahut dukhi hua.
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