Tuesday, December 6, 2016

Nutan Comics-77- Jawaharaat Ki Lashen


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नूतन कॉमिक्स-७७-जवाहरात की लाशें
 सर्वप्रथम तो इस कॉमिक्स के कुलविंदर सिंह सोना जी को तहे दिल से धन्यवाद। नूतन कॉमिक्स अपने आप में एक बड़ा प्रकाशन हुवा करता था। इनकी कॉमिक्स में मेघदूत और भूतनाथ की कॉमिक्स की बहुत मांग हुवा करती थी। जिसका एक बहुत बड़ा उदहारण प्रस्तुत कॉमिक्स है। ये कॉमिक्स वैसे तो अमर-अकबर सिरीज़ की है पर कवर पेज पर भूतनाथ का चित्र बना हुआ है। इस कॉमिक्स के कवर पर भूतनाथ का चित्र बना कर भूतनाथ की माग को भुनाने की कोशिश की गयी है।
 कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स अच्छी है। सरल कहानी और अच्छे चित्रों से सजी इस कॉमिक्स को भूतनाथ के नाम के बैशाखी की जरुरत नहीं थी।
 कहानी सुरु होती है अमर-अकबर के एक तालाब में मछली पकड़ने से। जहाँ मछली के काटे में लाश फसती है। जब दोनों उस बात की जानकारी देने के लिए इंस्पेक्टर बलबीर के पास जाते है। इंस्पेक्टर के साथ वापस पहुँचने पर लाश गायब होती है। आगे दोनों क्या करते है ये तो आप कॉमिक्स पढ़ कर ही जान पाएंगे।
 कहानी अच्छी है। पढ़ने में मज़ा आएगा।
 आज कल अगर कोई बात सबसे ज्यादा चर्चा में है तो वो है नोट बंदी। सरकार के नोट बंदी के बाद देश में पैसे को लेकर हालात अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं है। पर जो भी हो मैं इस नोट बंदी का पूरी तरह समर्थन करता हूँ। कोई कुछ भी कहे पर सरकार का इरादा १०० % सही है। एक बात मैं यहाँ पूरी तरह से कह देना चाहता हूँ। कि मैं जन्म से हिन्दू हूँ और मुझे अपने धर्म पर गर्व है। और मैं मैंने धर्म की बात मौके-बेमौके करता रहता हूँ। जिसको इस बात से परेशानी है वो मुझ से अलग हो सकता है। मेरे विचार भारतीय जनता पार्टी से भी मिलते है तो मेरे लेखों में उनके प्रति मेरा झुकाव साफ़ दिखाई दे जायेगा। मैं राजनीति नहीं करता इसलिए मुझे किसी के नाराज़ होने नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे विचारों से आप असमत होने पर सभ्य तरीके से अपना विरोध दर्ज करवा सकते है। मैं फेसबुक प्रोफाइल से कभी भी किसी को टैग नहीं करता (अनजाने में हो जाये तो नहीं कह सकता) इसलिए अगर आप के कोई विचार मेरी विचारधारा से मेल नहीं करता तो आप मुझे टैग न करें। आप अपनी प्रोफाइल में कुछ करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता पर मुझे मेरी विचारधारा के विरुद्ध टैग न करें। मैं अपने विचार सिर्फ अपने फेसबुक पेज या फिर अपने ब्लॉग पर लिखता हूँ। आप को अच्छा लगे तो कुछ कहे न लगे तो विरोध सभ्य तरीके से दर्ज करें। और अगर आप ऐसा करने में असमर्थ रहते है तो मुझ से भी किसी सभ्यता की उम्मीद नहीं रखे। नोट बंदी पर जैसा रिएक्शन कुछ लोगो का आ रहा है वो वाकई निराशाजनक है। ममता बैनर्जी समझ में नहीं आता तो वेस्ट बंगाल की CM है या बंगादेश देश की PM . इनका और केजरीवाल का रिएक्शन तो ऐसा है जैसे इनकी नकली नोटों की प्रिंटिंग प्रेसः बंद हो गयी हो। गटिया राजनीति की ये पराकाष्टा है। ये दोनों ये भूल रहे है की ये तभी तक है जब तक हमारा देश है। क्यों भारत को सोमालिया और इराक बनाने की कोशिश हो रही है। नोटबंदी से परेशानी है तो उसे दूर करने का उपाय बताएं। बुजुर्गों को परेशानी ज्यादा है उनके लिए हफ्ते के एक दिन हो जिस दिन सभी बैंक सिर्फ उनके लिए काम करें। कुछ ATM सिर्फ शादी वालों के लिए ही हों। कुछ बैंक सिर्फ मरीज़ों के घरवालों के लिए ही काम करें। ऐसे कई सुझाव जो सरकार को दिए जा सकते है। पर नेताओं को तो लगता है की जनता को और परेशान करों कि वो हमारी तरफ हो जाये। सच कहूँ तो जब से मैंने जब होश संभाला तो कांग्रेश तो पसंद करता था राजीव गाँधी के कारण। फिर वाजपई जी और अब मोदी जी को पसंद करता हूँ। मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की नेता मेरी सुनता है की नहीं मुझे सिर्फ इस बात से फर्क पड़ता है कि वो सिर्फ एक की सुनता है। जैसे मायावती के राज में होता है कि अगर कोई दलित आप की शिकायत कर दे तो चाहे आप सही हो या गलत आप को सजा मिल कर रहेगी। वही मुलायम सिंह राज में है अगर आप यादव या मुस्लिम है तो फिर आप गलत हो ही नहीं सकते। मेरे पडोसी की एक छोटे यादव नेता से जान पहचान है। जिसका फ़ायदा उठा कर उन्होंने आधी सड़क पर स्लेप बनवा लिया है। सभी जगह शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं होता। नगर पंचायत ने लिखित में स्लेप तोड़ने को दिया फिर भी कुछ नहीं हुवा क्योंकि यादव जी का हाथ है। मुझे ऐसे लोग नहीं चाहिए। मुझे ऐसे लोग चाहिए तो सही को सही और गलत को गलत कहे। फिर मिलता हूँ एक नयी कॉमिक्स के साथ तब तक के लिए विदा।