Thursday, May 21, 2015

Madhumuskan Comics-22-Jasus Chakram aur Chirkut Rahsyon Ke Ghere M


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मधु-मुस्कान कॉमिक्स-२२-रहस्यों के घेरे में (जासूस चक्रम और चिरकुट ) इस तरह के चरित्रों की सुरुवात हमारी लोक कथाओं से हुवी है, एक मुर्ख जो करना कुछ और चाहता है होता कुछ और है और जो भी होता है वो मुर्ख को हीरो बना देता है। इसी तरह की कहानियां बांकेलाल (राज कॉमिक्स ) हवलदार बहादुर (मनोज कॉमिक्स) की भी होती थी। जासूस चक्रम के साथ भी ऐसा ही है सोचते कुछ और है करते कुछ और है और होता कुछ और है। कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स मुझे ज्यादा पसंद नहीं आई। हाँ एक बात इस कॉमिक्स में जरूर अलग है की जब अलग-अलग देशों के जासूस मिलते है तो वो दोस्तों की तरह मिलते है दुश्मनो की तरह नहीं।

फिर बहुत वक़्त गुजर गया आप सब से बात किये हुवे। क्या करूँ एक बात जब लय टूट जाती है तो फिर वैसा काम हो नहीं पाता। अब मै पूरी कोशिश करूँगा की इस बार जो लय बने तो फिर कभी ना टूटे। सच्च कहूँ तो कुछ न कुछ लिखते रहना मेरी भी मज़बूरी है क्योंकि जिंदगी में हमेशा कुछ न कुछ घटता रहता है और उस घटना को कही न कही कहना बहुत जरुरी हो जाता हूँ। वरना जिन्दगी जीना बहुत कठिन होता है। आज फिर जिंदगी की कुछ बाते दोहराने का मन कर रहा है। मेरा जिंदगी जीने का अपना तरीका है न मुझे किसी से जलन होती है। न ही दुःख और न ही बहुत ज्यादा ख़ुशी (मतलब ये नहीं की मै इंसान नहीं हूँ ,मतलब सिर्फ इतना ही है की मै अपनी भावनाओं पर पूरा नियंत्रण रख लेता हूँ। ) लेकिन फिर भी अगर कोई मुझे सीधा हमला करे किसी भी कारण तो फिर मै पूरा इंसान बन जाता हूँ। और जो मुझ में सबसे बड़ी कमी है वो ये ही है की मै किसी को माफ़ नहीं कर पाता। आप एक बार मेरी नज़रों से गिर गए तो आप कुछ भी कर लो मेरे लिए आप हमेशा वैसे ही रहेंगे। पर इसी दर के कारण सामने वाले को बहुत मौके देता हूँ और चीज़ो को ठीक होने का बहुत इंतज़ार करता हूँ। क्योंकि एक़ बार मैंने मान लिया तो फिर कुछ नहीं हो सकता।
हमारे यहाँ भी ऐसा ही है की कुछ लोग अपना काम तो ठीक से कर नहीं पा रहे है और मुझ से स्पर्धा करने में पड़ जाते है होता ये है की अपना काम और खराब कर लेते है और दोष मुझ पर लगा देते है। वो ये नहीं जानते की मै अपने काम के प्रति कितना ईमानदार हूँ। मै सोते ,जागते,उठते,बैठते सिर्फ अपने काम के बारे में ही सोचता हूँ और कभी मुझे ये नहीं लगता की इससे बेहतर नहीं हो सकता। हमेशा बेहतर और बेहतर करने की कोशिश में ही लगा रहता हूँ। सबसे जरुरी बात जैसा की मेरे साथ है की कभी सामने वाले को छोटा होने का अहसास नहीं होने देता (हाँ जो मेरे साथ ऐसी कोशिश करता है उसे जरूर आईना दिखा देता हूँ ) मै स्कूल में पढता हूँ वहां तो सभी मुझ से छोटे है जिन्हे मै पढता हूँ तो उनके साथ भी मै बराबर का आचरण करता हूँ जिससे वो अपनी परेशानी बिना किसी हिचक के बता देते है। यही कारण है की बच्चे मुझे पसंद करते है उन्हें ये पता रहता है की मनोज सर की क्लास में सारी परेशानी जरूर दूर हो जाएगी क्योंकि उन्हें अपनी बात रखने की पूरी आज़ादी रहती है और मेरा अहम कभी इस बीच नहीं आता।
 और अगर कुछ ऐसा है जो मुझे भी नहीं आ रहा है तो उसको मान लेने में मुझे भी कोई झिझक नहीं होती। इस लाइन के साथ "अभी तो मुझे कुछ पता नहीं चल रहा है किसी और समझदार आदमी से सलाह लेकर देखते है क्या होता है। ' मै समय ले लेता हूँ। सच को समझने में भले ही समय लग जाये पर झूठ तुरंत पकड़ में आता है चाहे झूठ पकड़ने वाले १० -१२ के बच्चे ही क्यों न हों। जिनका झूठ पकड़ा जाता है वो परेशान रहते है और जो सच बोलते है वो हमेशा खुश रहते है और उनसे लोग खुश रहते है। " ये तो बहुत आसान है अपने आप कर लेना या इसे पढ़ाने की जरुरत नहीं है। " उसी समय बच्चा समझ जाता है कि इसमें बहुत कुछ है जो आप को भी नहीं आता। अपने आप पर मेहनत कीजिये कोई आप की कितनी भी बुराई करले आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकता और आप कामचोरी करते रहे तो चाहे पूरी दुनियां आप की तारीफ करती रहे आप को कोई नहीं बचा सकता। अब जल्दी जल्दी मिलने की उम्मीद में। ..........

7 comments:

  1. Thanxs Manoj bhai.. Please aur upload karte rahiye...

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  2. Wow its amazing upload. Thanx a lot Manoj Bhaiya

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद मनोज भाई

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  4. thank you manoj bhai

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  5. Thanks for Madhumuskan Comics and Goversons Comics ... If you have more of these 2 series, please share!

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