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प्रभात कॉमिक्स-२७८-टाइगर और खूंखार शेरनी
प्रभात कॉमिक्स मैंने अपने समय में न के बराबर पढ़ी है। इसलिए इनके बारे में मेरी कोई पुरानी राय नहीं है। शायद जब मैंने कॉमिक्स पढ़ना शुरु किया था तब मुझे लखनऊ में ये कम ही दिखाई पढ़ती थी और तब न तो इतना पैसा होता था और न तो समय की और ज्यादा कॉमिक्स पढ़ी जाये तो अगर ये मिलती भी होंगी तो भी मेरा ध्यान शायद ही इन कॉमिक्स पर गया होगा। मनोज कॉमिक्स और राज कॉमिक्स के मुकाबले इनका डिस्ट्रीब्यूशन चैनल बहुत कमजोर रहा होगा।
और अगर आज के हिसाब से बात करूँ तो मुझे इन कॉमिक्स से कोई शिकायत नहीं है कहानिया भी अच्छी है और चित्रों को ले कर भी मै बहुत तो नहीं फिर भी सन्तुष्ट हूँ। उस समय मिलती तो शायद मै इनको भी राज और मनोज कॉमिक्स की तरह खूब पढता। अब इन कॉमिक्स का कलेक्शन मेरे पास अच्छा तो है पर उस तरह से नहीं है जिस तरह से मेरे पास मनोज और राज कॉमिक्स है।
ये कॉमिक्स मैंने आज से चार दिन पहले अपलोड करने के लिए सोचा था और इसे नेट पर अपलोड भी कर दिया था पर कुछ लिखने के लालच में ये कॉमिक्स पोस्ट होने से बचती रही। होता ये है की अगर मै किसी बात तो लेकर बहुत परेशान रहता हूँ तो कुछ भी लिखने से बचता हूँ। कारण सीधा सा है की कुछ भी लिखूंगा तो उस बात की छाप तो होगी ही। और हर सच तो ऐसे सबके सामने पोस्ट तो नहीं किया जा सकता। दुखी तो आज भी बहुत हूँ ,पर पहले से थोड़ा कम। लिखूंगा तो आज भी बहुत कुछ पर सीधा कुछ नहीं होगा। इंसान के जीवन में उसकी परवरिश का बड़ा हाथ होता है। और इस मामले में शायद मै आज के युग के हिसाब से ठीक से कुछ सीख नहीं पाया। एयर फ़ोर्स कैंपस का माहौल बाहर की दुनिया के माहौल से बिलकुल उल्टा है। वहां सब नियम कानून से होता है और बाहर बस एक ही नियम है की कोई नियम नहीं है। मैंने बहार के माहौल से जितना तालमेल अपने को दूषित किये बना सकता था बनाया है। पर जब समुन्द्र पार करना है तो गीला तो होना ही पड़ेगा। आप कुछ भी करें अगर उस बात से कोई सीधा सरोकार न हो तो मै कुछ नहीं बोलूंगा। पर अगर आप के कारण मेरी ईमानदारी संदेह के घेरे में आती है तो फिर मै चुप नहीं रह सकता। कुछ ऐसा ही इस समय मेरे साथ हो रहा है. इस समय तो कुछ ऐसा माहौल बना हुवा है उसे तो देखकर ऐसा लगता है की जैसे मैंने सच बोल कर कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। मै स्कूल में पढता हूँ और मेरे लिए स्कूल एक मंदिर है मै वहां पूजा करने जाता हूँ। हो सकता है स्कूल लोगो के लिए बिजनेस सेंटर हो पर मेरे लिए तो एक मंदिर ही है और हमेशा रहेगा।
अब तो सबसे बड़ा सवाल मेरे लिए ये बन गया है की क्या मुझे सच बोलने की सजा मिलेगी। अगर मिलती है तो भी मै अपने आप को बदलने वाला नहीं हूँ। दुबारा ऐसा कुछ दिखेगा तो भी मै यही करूँगा तो इस बार किया है कीमत कितनी बड़ी ही क्यों न चुकानी पड़े। वैसे जहाँ तक मै समझता हूँ , सच से बड़ी चीज़ कोई हो नहीं सकती और सबको दिख ही जाता है और दिख भी रहा है। और जो ७५ साल की उम्र के हों उन्हें सच पहचने का तज़ुर्बा मेरे सच बोलने से ज्यादा है। बाकि जिसके घर में आग लगी है बुझानी तो उसे ही पड़ेगी मै सिर्फ आप की मदद ही कर सकता हूँ अब ये आप के ऊपर की आप मदद करने वाले का साथ देते है या आग लगाने का। ये आप को ही देखना है। मैंने अपना काम पूरी सिद्दत और ईमानदारी से की है और आगे भी करता रहूँगा।
ज्यादा लिखना मेरे बहकने का कारण बन सकता है इसलिए आज इतना ही।
कॉमिक्स के कहानी कुछ इस तरह से है की एक खूबसूरत बार डांसर के पीछे एक रहीसजादा पड़ता है। फिर उसके बाद उसकी जो गत होती है उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होता है। वो पागल बना दिया जाता है। बात इस इतनी सी है या कुछ और ? ये कुछ दिख रहा है वो सच है या फिर राहिशजदा तो मोहरा था असली निशाना कोई और ? इन बातों का पता तो आप को कॉमिक्स पढ़ने के बाद ही लगेगा। फिर मिलते है जल्द ही …
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प्रभात कॉमिक्स-२७८-टाइगर और खूंखार शेरनी
प्रभात कॉमिक्स मैंने अपने समय में न के बराबर पढ़ी है। इसलिए इनके बारे में मेरी कोई पुरानी राय नहीं है। शायद जब मैंने कॉमिक्स पढ़ना शुरु किया था तब मुझे लखनऊ में ये कम ही दिखाई पढ़ती थी और तब न तो इतना पैसा होता था और न तो समय की और ज्यादा कॉमिक्स पढ़ी जाये तो अगर ये मिलती भी होंगी तो भी मेरा ध्यान शायद ही इन कॉमिक्स पर गया होगा। मनोज कॉमिक्स और राज कॉमिक्स के मुकाबले इनका डिस्ट्रीब्यूशन चैनल बहुत कमजोर रहा होगा।
और अगर आज के हिसाब से बात करूँ तो मुझे इन कॉमिक्स से कोई शिकायत नहीं है कहानिया भी अच्छी है और चित्रों को ले कर भी मै बहुत तो नहीं फिर भी सन्तुष्ट हूँ। उस समय मिलती तो शायद मै इनको भी राज और मनोज कॉमिक्स की तरह खूब पढता। अब इन कॉमिक्स का कलेक्शन मेरे पास अच्छा तो है पर उस तरह से नहीं है जिस तरह से मेरे पास मनोज और राज कॉमिक्स है।
ये कॉमिक्स मैंने आज से चार दिन पहले अपलोड करने के लिए सोचा था और इसे नेट पर अपलोड भी कर दिया था पर कुछ लिखने के लालच में ये कॉमिक्स पोस्ट होने से बचती रही। होता ये है की अगर मै किसी बात तो लेकर बहुत परेशान रहता हूँ तो कुछ भी लिखने से बचता हूँ। कारण सीधा सा है की कुछ भी लिखूंगा तो उस बात की छाप तो होगी ही। और हर सच तो ऐसे सबके सामने पोस्ट तो नहीं किया जा सकता। दुखी तो आज भी बहुत हूँ ,पर पहले से थोड़ा कम। लिखूंगा तो आज भी बहुत कुछ पर सीधा कुछ नहीं होगा। इंसान के जीवन में उसकी परवरिश का बड़ा हाथ होता है। और इस मामले में शायद मै आज के युग के हिसाब से ठीक से कुछ सीख नहीं पाया। एयर फ़ोर्स कैंपस का माहौल बाहर की दुनिया के माहौल से बिलकुल उल्टा है। वहां सब नियम कानून से होता है और बाहर बस एक ही नियम है की कोई नियम नहीं है। मैंने बहार के माहौल से जितना तालमेल अपने को दूषित किये बना सकता था बनाया है। पर जब समुन्द्र पार करना है तो गीला तो होना ही पड़ेगा। आप कुछ भी करें अगर उस बात से कोई सीधा सरोकार न हो तो मै कुछ नहीं बोलूंगा। पर अगर आप के कारण मेरी ईमानदारी संदेह के घेरे में आती है तो फिर मै चुप नहीं रह सकता। कुछ ऐसा ही इस समय मेरे साथ हो रहा है. इस समय तो कुछ ऐसा माहौल बना हुवा है उसे तो देखकर ऐसा लगता है की जैसे मैंने सच बोल कर कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। मै स्कूल में पढता हूँ और मेरे लिए स्कूल एक मंदिर है मै वहां पूजा करने जाता हूँ। हो सकता है स्कूल लोगो के लिए बिजनेस सेंटर हो पर मेरे लिए तो एक मंदिर ही है और हमेशा रहेगा।
अब तो सबसे बड़ा सवाल मेरे लिए ये बन गया है की क्या मुझे सच बोलने की सजा मिलेगी। अगर मिलती है तो भी मै अपने आप को बदलने वाला नहीं हूँ। दुबारा ऐसा कुछ दिखेगा तो भी मै यही करूँगा तो इस बार किया है कीमत कितनी बड़ी ही क्यों न चुकानी पड़े। वैसे जहाँ तक मै समझता हूँ , सच से बड़ी चीज़ कोई हो नहीं सकती और सबको दिख ही जाता है और दिख भी रहा है। और जो ७५ साल की उम्र के हों उन्हें सच पहचने का तज़ुर्बा मेरे सच बोलने से ज्यादा है। बाकि जिसके घर में आग लगी है बुझानी तो उसे ही पड़ेगी मै सिर्फ आप की मदद ही कर सकता हूँ अब ये आप के ऊपर की आप मदद करने वाले का साथ देते है या आग लगाने का। ये आप को ही देखना है। मैंने अपना काम पूरी सिद्दत और ईमानदारी से की है और आगे भी करता रहूँगा।
ज्यादा लिखना मेरे बहकने का कारण बन सकता है इसलिए आज इतना ही।
कॉमिक्स के कहानी कुछ इस तरह से है की एक खूबसूरत बार डांसर के पीछे एक रहीसजादा पड़ता है। फिर उसके बाद उसकी जो गत होती है उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होता है। वो पागल बना दिया जाता है। बात इस इतनी सी है या कुछ और ? ये कुछ दिख रहा है वो सच है या फिर राहिशजदा तो मोहरा था असली निशाना कोई और ? इन बातों का पता तो आप को कॉमिक्स पढ़ने के बाद ही लगेगा। फिर मिलते है जल्द ही …
Thanks for uploading...!!!
ReplyDeletewelcome
ReplyDeleteThanks a lot Manoj bro
ReplyDeletewelcome brother
DeleteThanxs Manoj bhai...
ReplyDeletewelcome brother
Deletethanks manoj bhai
ReplyDeletewelcome brother
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