यस- सी बेदी जी ने इतने बाल उपन्यास लिखे की उनका हिसाब लगाना लगभग असंभव है.
ये उन गिने चुने लेखकों में से है जिनके नाम सी सबसे ज्यादा फ़र्ज़ी कहानियां छापी गयी और मज़ेदार बात ये है की अगर इनका नाम होता तो कहानी कैसी भी क्यों न हो उनका हिट होना लगभग तय था.
पहले शायद चरित्रों का कॉपी राइट नहीं था. इसलिए जब भी ये कोई प्रकाशन छोड़ते थे तो वो प्रकाशक यस सी बेदी के और राजन इक़बाल के नाम से दूसरे लेखक से लिखवा कर नावेल छाप देता था.
जब डायमंड कॉमिक्स के लिए बेदी जी ने राजन इक़बाल के कॉमिक्स लिखी तो उनके जाने के बाद भी राजन इक़बाल की सीरीज चलती रही. इससे बचने के लिए इन्होने कभी अपनी शोल वाली फोटो कभी बैटमिंटन लिए फोटो तो कभी कुछ कभी कुछ दे कर लोगो को नकली कहानी से बचाने का प्रयास किया.
लेकिन जब कॉमिक्स का दौर खात्म होने लगा तो सबसे पहले बाल पॉकेट बुक बंद हुवा और इसके बाद जिस लेखक के नाम का डंका बजता था उस लेखक तो लोग बिलकुल भूल गए. यहाँ तक इनकी मौत की खबर भी कोई खबर न बन सकी.
कुछ भी हो बेदी जी के बाल उपन्यास मुझे आज भी बहुत पसंद है और वो मेरे दिल में हमेशा जिन्दा रहेंगे .
हेलो मनोज आपके पेज पर इस बाल उपन्यास 'थैला खोल दो ' को देखते ही जाने कितनी धुंधली यादें चमकने लगी. सबसे पहला तो ये कि यह उपन्यास शायद दो भागो में है और पहले भाग का नाम "बंद थैला " हैं. वो कॉमिक जिनके पीछे कुमार काम्बोज , ओम प्रकाश शर्मा ( जनप्रिय नहीं) की लिखी विक्रांत , जगत सीरीज के उपन्यास के कवर छपते थे उन्ही के साथ इन बाल उपन्यासों के कवर भी छपते थे। फ़र्ज़ी कहानियां इनके नाम से बहुत छपी और बाद में शाल ओढ़े हरीश पॉकेट बुक्स को लोग एस सी बेदी का पर्याय मानने लगे. बाल उपन्यास मैंने बहुत पढ़े और कुछ की कहानियां तो आज भी याद हैं. एक 'विचित्र पॉकेट बुक ' आया करती थी जिसमे महाबली डिंगो के कुछ उपन्यास बहुत अच्छे थे. डायमंड पॉकेट बुक के उपन्यास फौलादी सिंग और उपग्रह ए १ और रेडबॉस से टक्कर, चाचा भतीजा और जादुई तिलस्म , राक्षसो से टक्कर, लम्बू मोटू खोपड़ी का रहस्य , लम्बू मोटू काले लोग ( ३ भाग) जैसे उपन्यास आज भी याद हैं. विनोद हमीद ( मनोज पॉकेट ), अकरम चक्रम (मीरा पॉकेट) , राम श्याम मंजू सीरीज के उपन्यास बहुत अच्छे थे. पर वो दौर जूते में ब्लेड और घडी में ट्रांसमीटर का था। स्मार्ट फ़ोन में खोये आज के बच्चे क्या उस थ्रिल को महसूस कर पाएंगे जो हम लोगो ने किया था ? इन पुरानी यादो को संजोने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनन्दन।
ReplyDeleteThanks a lot bhai
Deletehan ye do part me mujhe bhi laga tha par is novel me kahi bhi dusri kahani ke bare kuch bhi mention hai hai par agar wo dusri novel bhi agar me pass hoti to confirm ho jata
Nice upload...Fir se scan aur upload shuru karne ke liye apka Dhanyawad.🙏🙏
ReplyDeleteTHANKS BHAI
DeleteThanxs manoj bhai
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