Saturday, May 31, 2025

Bal Pocket Books- Lason Ki jheel (S C Bedi)

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और बाल पॉकेट बुक्स के लिए आप यहाँ जा सकते है बाल पॉकेट बुक्स

बाल पॉकेट बुक्स - लाशों की झील (यस सी बेदी )
 अभी स्कूल ही छुट्टियां चल रही है और मेरा कही जाने का मन भी नहीं तो फिर कॉमिक्स के एक बॉक्स को खोला तो पाया की उसमे कई राजन इक़बाल के बाल उपन्यास है तो उन्हें व्यवस्थित करने लगा तो पता चला इनके भी नंबर होते थे सभी में तो नहीं पर राजा पॉकेट बुक्स और तुलसी पॉकेट बुकस में तो उनके नंबर तो थे। फिर उनमे से कुछ में दीमक भी लगने सुरु हो गए थे तो उन्हें अलग किया और पहले उन्हें स्कैन करने का मन बनाया क्योंकि ये ख़राब हो रहे थे 
फिर जब नावेल पढ़ा तो पता चला ये अधूरा है तो उसका दूसरा पार्ट देखा तो मेरे पास ही मिल गया तो दोनों ही स्कैन कर डाले फिर एक और समस्या हो गय। दूसरे पार्ट के बीच के चार पेज नहीं है पर उम्मीद करता हूँ अगर किसी के पास हो तो उसके चार पेज मुझे दे दें। पहला नावेल आज अपलोड हो रहा है दूसरा सोमवार तक अपलोड हो जाना चाहिए 
 डाउनलोड करके पढ़ें उम्मीद है आपको निराशा बिलकुल नहीं होगी

Monday, May 26, 2025

BPB- Podina Pahalwaan (K P Saksena )

बाल पॉकेट बुक्स- पोदीना पहलवान
 बहुत दिनों बाद मैं कोई बुक स्कैन और अपलोड कर रहा हूँ . कारण कई है पर शायद अब वो मन नहीं रहा कॉमिक्स अपलोड करने का. इच्क्षा ख़त्म हो गयी है. जिंदगी में सब कुछ इतने तेज़ी से घट रहा है कि हिम्मत भी नहीं हो पा रही है . वो तो भला हो राहुल दुबे जी का कि ये ब्लॉग लगातार अपडेट दे रहा है अगर ये मेरे भरोषे होता तो एक साल बाद कोई अपडेट आता . राहुल भाई आपको दिल से धन्यवाद. 
सच तो ये है कि अब वो पहले जैसे कॉमिक्स को ले कर उत्शाह नहीं रहा. अपलोड करो लोग आते है डाउनलोड करके चले जाते है कोइ एक कमेंट तक करने कि नहीं सोचता. मजेदार बात है लोगो को लगता होगा कि इस ब्लॉग से मैं खूब पैसे कमाता हूँगा पर सच सिर्फ इतना है दिसंबर २०१० से ये ब्लॉग चल रहा है और आज तक मुझे इससे एक पैसा नहीं मिला है. पैसे तभी मिलेंगे जब १०० डॉलर होगा और अभी तक मैं १०० डॉलर तक नहीं पंहुचा हूँ. ऐड पर क्लिक करने पर कुछ पॉइंट्स में पैसे बनते है पर लोग सिर्फ डाउनलोड पर क्लिक करते है ऐड पर नहीं ९८ डॉलर पिछले ४ सालों से है और पता नहीं कितने साल ये और रहेगा. पर मेरा ये सफर तो कॉमिक्स और बाल पॉकेट बुक्स तो डिजिटल में बदलने से हुवा था पर इस पर जो सबसे बड़ा ब्रेक लगा वो मनीष गुप्ता जी के कारण लगा. मनोज कॉमिक्स पूरी अपलोड करने वाला था मैं पर डिजिटल राइट के नाम पर जो नंगा नाच नाचा इन्होने उसने मेरी हिम्मत ही तोड़ थी. मेरे सारे ऑनलाइन डाटा ख़राब हो गया मेरे अपने ही लोग जो मेरी कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़ रहे तो उन्होंने भी मुझे पता नहीं क्या क्या कहा. लोगो ने यहाँ तक कहा कि जल्दी जल्दी स्कैन करके मैं अपनी कॉमिक्स बेचना चाहता हूँ . इन सब बातों ने दिल तोड़ दिया . अब लगता है किसके लिए स्कैन करूँ ??? फिर भी जितना हो पायेगा बाकी मेरी कॉमिक्स भी डिजिटल में बदल जाये चाहे वो मैं कही अपलोड करूँ चाहे न करूँ .
 इस बाल पॉकेट की बात करूँ तो ये लखनऊ में एक प्रकाशन सुरु हुवा था और ४ नावेल एक साथ निकले थे उसके बाद ही ये बंद हो गया वो चारों मेरे पास है उसमे से ये नावेल के पी सक्सेना जी ने लिखा है वो अपने समय के जाने मने हास्य कवी और लेखक थे . पढ़ने पर आपको पुराने समय और साफ़ सुथरी हास्य कहानी के द्वारा भी कैसे हसाया जा सकता है इसका पता चलेगा
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