बहुत दिनों बाद मैं कोई बुक स्कैन और अपलोड कर रहा हूँ . कारण कई है पर शायद अब वो मन नहीं रहा कॉमिक्स अपलोड करने का. इच्क्षा ख़त्म हो गयी है. जिंदगी में सब कुछ इतने तेज़ी से घट रहा है कि हिम्मत भी नहीं हो पा रही है .
वो तो भला हो राहुल दुबे जी का कि ये ब्लॉग लगातार अपडेट दे रहा है अगर ये मेरे भरोषे होता तो एक साल बाद कोई अपडेट आता . राहुल भाई आपको दिल से धन्यवाद.
सच तो ये है कि अब वो पहले जैसे कॉमिक्स को ले कर उत्शाह नहीं रहा. अपलोड करो लोग आते है डाउनलोड करके चले जाते है कोइ एक कमेंट तक करने कि नहीं सोचता. मजेदार बात है लोगो को लगता होगा कि इस ब्लॉग से मैं खूब पैसे कमाता हूँगा पर सच सिर्फ इतना है दिसंबर २०१० से ये ब्लॉग चल रहा है और आज तक मुझे इससे एक पैसा नहीं मिला है. पैसे तभी मिलेंगे जब १०० डॉलर होगा और अभी तक मैं १०० डॉलर तक नहीं पंहुचा हूँ.
ऐड पर क्लिक करने पर कुछ पॉइंट्स में पैसे बनते है पर लोग सिर्फ डाउनलोड पर क्लिक करते है ऐड पर नहीं ९८ डॉलर पिछले ४ सालों से है और पता नहीं कितने साल ये और रहेगा.
पर मेरा ये सफर तो कॉमिक्स और बाल पॉकेट बुक्स तो डिजिटल में बदलने से हुवा था पर इस पर जो सबसे बड़ा ब्रेक लगा वो मनीष गुप्ता जी के कारण लगा. मनोज कॉमिक्स पूरी अपलोड करने वाला था मैं पर डिजिटल राइट के नाम पर जो नंगा नाच नाचा इन्होने उसने मेरी हिम्मत ही तोड़ थी. मेरे सारे ऑनलाइन डाटा ख़राब हो गया मेरे अपने ही लोग जो मेरी कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़ रहे तो उन्होंने भी मुझे पता नहीं क्या क्या कहा. लोगो ने यहाँ तक कहा कि जल्दी जल्दी स्कैन करके मैं अपनी कॉमिक्स बेचना चाहता हूँ . इन सब बातों ने दिल तोड़ दिया . अब लगता है किसके लिए स्कैन करूँ ???
फिर भी जितना हो पायेगा बाकी मेरी कॉमिक्स भी डिजिटल में बदल जाये चाहे वो मैं कही अपलोड करूँ चाहे न करूँ .
इस बाल पॉकेट की बात करूँ तो ये लखनऊ में एक प्रकाशन सुरु हुवा था और ४ नावेल एक साथ निकले थे उसके बाद ही ये बंद हो गया वो चारों मेरे पास है उसमे से ये नावेल के पी सक्सेना जी ने लिखा है वो अपने समय के जाने मने हास्य कवी और लेखक थे . पढ़ने पर आपको पुराने समय और साफ़ सुथरी हास्य कहानी के द्वारा भी कैसे हसाया जा सकता है इसका पता चलेगा
Download
और बाल पॉकेट बुक्स के लिए आप यहाँ जा सकते है
बाल पॉकेट बुक्स

Waah,thanks a lot Manoj Bhai🙏🙏🙏👍👍💐💐💐
ReplyDeleteDhanyawad bhai
Deletebahut he badiya kam hai pandey ji
ReplyDeleteDhanyawad bhai
DeleteManoj bhai apka kaam lajwaab hai. jo apne comics premiyo ke liye itni mehnat ki hai us k liye bahut bahut shukriya.
ReplyDeleteDhanyawad bhai
Deleteमुझे खुशी है कि मैं इस पवित्र उद्देश्य में आपकी कुछ मदद कर सका और अपने जैसे कॉमिक्स प्रेमियो तक दुर्लभ विंटेज कॉमिक्स पहुंचा पा रहा हूं : )
ReplyDeleteBahi aap hi hai jinke karan ye blog run kar raha hai
DeleteWell done manoj bro.
ReplyDeleteDhanyawad bhai
DeleteThanks a lot Manoj bro for one more great upload.
ReplyDeleteDhanyawad bhai
Deleteप्रिय मनोज भाई,
ReplyDeleteसप्रेम नमस्कार।
मैंने आपके कई पूर्व संदेशों को पढ़ा है जिनमें आप अधिकांशतः चिंतित, दुखी और परेशान प्रतीत होते हैं। यह देखकर मन में यह जानने की इच्छा जागी कि क्या आपकी यह उदासी व्यक्तिगत कारणों से है – जैसे पारिवारिक समस्याएँ – या यह आपके पाठकों की उदासीनता के कारण उत्पन्न हुई है?
यदि आपकी पीड़ा का कारण पाठकों की प्रतिक्रिया में कमी है, जैसा कि आपने अपनी हालिया पोस्ट में उल्लेख किया है, तो मेरी विनम्र राय है कि आप कर्म पर ध्यान दें और आगे बढ़ें। आपने निश्चित ही श्रीमद्भगवद्गीता का सार सुना होगा – "निष्काम कर्म करो, कर्म के बदले फल की इच्छा मत करो। यह ईश्वर पर छोड़ दो।"
जैसा कि आपने कहा, आपका उद्देश्य केवल कॉमिक्स को पाठकों तक पहुँचाना था, और वह कार्य आपने पूरी निष्ठा से किया है। फिर दूसरे आपके विषय में क्या कहते हैं, इसकी परवाह क्यों करना? हम जैसे आपके पाठक आपसे अत्यंत प्रसन्न हैं और आपकी भरपूर प्रशंसा करते हैं। क्या यह संतोष के लिए पर्याप्त नहीं?
यदि पाठक आपके अपलोड पर टिप्पणी नहीं करते और आपको इससे प्रेरणा नहीं मिलती, तो संभवतः इसका तात्पर्य यह है कि आप गीता के "निष्काम कर्म" के सिद्धांत को पूर्ण रूप से आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं।
आपका कार्य सराहनीय है और उसका मूल्य समय अवश्य देगा। कृपया इसी आत्मविश्वास और समर्पण के साथ आगे बढ़ते रहें।
सादर,
एक हिंदी कॉमिक्स प्रेमी
Yeh duplicate ho gaya hai. Ise delete kar dena.
DeleteBhai karan vyakigat jyada hai par yahan ye bhi koi aspiration na hone ke karan sab vikhar sa gya laga tha isliye likh diya jo man me aaya
DeleteKoi baat nahi isye aise hi rahne dete hai
Deleteराज कॉमिक्स की स्थिति अब वैसी नहीं रही। लगता है कि वे आर्थिक और मानसिक रूप से असंतुलित हैं, शायद इसी कारण दूसरों पर अपनी खिन्नता निकालने लगे हैं। 2007 से अब तक उन्होंने कितनी नई और यादगार कॉमिक्स निकाली हैं – शायद गिनती की ही। उनकी रचनात्मकता और योजना दोनों ही ढलान पर हैं, और संभव है कि भविष्य में उनका अस्तित्व और सीमित हो जाए।
ReplyDeleteऐसे में मेरा निवेदन है कि छोटे लोगों की छोटी बातों से परेशान न हों। आपका उद्देश्य साफ़ है और काम सराहनीय। हिंदी कॉमिक्स की दुनिया आज भी साँस ले रही है, तो वो आप जैसे सच्चे प्रेमियों और रचनाकारों की वजह से।
आशा है आप सकारात्मक बने रहेंगे और अपने कार्य में निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे।
mujhe bhi yahi lagta hai ab ye bhi kabhi bhi printing band kar sakte hai. ab na inme koi dam bacha hai na hi koi man
Deletebhai usi koshish me hun isliye abhi comics scan aur upload karne ki na sirf sochta hun balki upload bhi kar deta hun chahe saal me ek hi comics ya novel kyon na ho
ReplyDeleteApki lekhan padhne pe ek sukun ka ehsas hota hai
ReplyDeleteThank You Manoj Sir.
ReplyDeleteHi Manoj bhai,
ReplyDeleteThere is no doubt that you are doing great work. I love your scans. I think you are the very few old unsung heroes, who are still uploading quality scans. I wish RC should've give thanks to you as because you are also a reason people were connected with the hindi comics - even when they virtually stopped publishing good comics and were on the verge of shutdown due to their infighting.
Anyways, keep your spirit up and continue doing good work. Always remember that your scan brings joy in many hearts and they forget their day to day issues :)