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Edited by-Shrichand Chavan
मनोज कॉमिक्स-८०९-प्रेत का खज़ाना
जैसा की मैं लिख ही चूका हूँ की बस कॉमिक्स छापनी होती थी इसलिए कुछ कॉमिक्स सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए छाप दी जाती थी ये कहानी भी कुछ वैसे ही है। कहानी तो समझ के बाहर है पर चित्र अच्छे लगते है। कहानी वर्तमान में न के बराबर चलती है इसलिए मुझे तो ये कॉमिक्स बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी आप पढ़ कर देखे शायद आप को ये कॉमिक्स अच्छी लग जाये।
कहानी शुरू होती है एक खंडहर के पास कार ख़राब होने से। फिर कार बहुत कोशिश करने से भी ठीक नहीं होती है। तभी वहां आवाज़ आती है की मुझे आज़ाद कर दो ,मुझे आज़ाद कर दो, मैं तुम्हे अपना खज़ाना दे दूंगा। वो आदमी ख़ज़ाने के लालच में उसे आज़ाद करने को तैयार हो जाता है। उसके बाद क्या होता है इसके लिए तो आप को कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़नी ही पड़ेगी। आप इसे पढ़े फिर मिलते है।
Thanxs manoj and shrichand bhai
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