नूतन कॉमिक्स-167- छुटकी और हीरों का हार
मेरे प्यारे मित्रों, इस सप्ताह अगर देखा जाये तो मेरे लिए शांति से बीता,इसका मतलब ये ना लगाया जाये की 7 दिनों मेरे बारे में कुछ नहीं कहा गया,अब तो मुझे इस बात की आदत हो गयी है,इसलिए अब मुझ पर इन सब बातों का असर कम समय तक होने लगा है (बेशर्म हो गया हूँ ),लेकिन एक सुखद बात जरुर पता चली और वो ये है की जो इंसान, बिना मुझे जाने,बिना मुझे पहचाने मेरे बारे में कुछ भी कह रहा था वो असल में कौन है,और उससे भी बड़ी बात की वो ये सब क्यों कर रहा है,और ये जानकर थोडा दुख भी हुआ और संतोष भी। कारण भी इतना छोटा है की मुझे ऐसी बात बताने का मन तो नहीं कर रहा है। पर लोगो को सही बात पता तो चलना ही चाहिए। "साहब" लेखक और चित्रकार बनना चाहते है और उनकी मदद वो इंसान कर सकते है जो शायद मेरी बुराई सुनना चाहते थे ,(अब मुझे नहीं लगता, उनको मेरी बुराई सुनने में कोई मज़ा आ रहा होगा ) बस उनको खुश करने के लिए मुझे बिना जाने, बिना पहचाने मेरे बारे में उल्टा- सीधा लिखना शुरू कर दिया है जो की आज तक बादस्तूर जारी है। चलो मेरे ही कारण(मुझे गालियाँ देने से ) अगर किसी का भला हो जाता है तो मै ये सोचूंगा की मेरे से अनजाने में ही कोई अच्छा काम हो रहा है। "अब मै आप की किसी बात का बुरा नहीं मानूंगा आप मेरे बारे में कुछ भी लिखने को पूरी तरह से आज़ाद है"। आप अपने लिए अगर कुछ कर रहे है तो वो गलत नहीं हो सकता, और अगर कुछ गलत है तो वो देखने का काम मेरा नहीं इश्वर का है वो खुद सब देख लेंगे।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, इस तरह की कॉमिक्स को देखने के बाद एक बात का पूरी तरह से विश्वास हो जाता है कि कॉमिक्स की हद से ज्यदा मांग थी इसलिए कॉमिक्स छापने के लिए लोगो ने नक़ल का खूब इस्तेमाल किया, ये कॉमिक्स "प्राण" के चरित्र "पिंकी" की हुबहू नक़ल है। अगर कुछ बदला है तो वो सिर्फ लेखक और उनकी कहानी।(कम से कम कहानी की नक़ल नहीं की ). आप से समझ कर इस कॉमिक्स को पढ़ सकते है की आप पिंकी की कोई और कॉमिक्स पढ़ रहे है जिसे "प्राण" जी ने नहीं बनाया और लिखा है। कहानी वैसे ही छोटी -छोटी और मजेदार है जैसे पिंकी की कॉमिक्स होती है,पर "प्राण" जी से इसकी तुलना नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका मुकाबला तो कोई कर ही नहीं सकता,पर फिर भी कहानी बेहतर ही है और पढने के लायक है। आप इन बेहतरीन कहानियों का आनंद लें जल्दी है आप सब से दुबारा मिलता हूँ ......./.
मेरे प्यारे मित्रों, इस सप्ताह अगर देखा जाये तो मेरे लिए शांति से बीता,इसका मतलब ये ना लगाया जाये की 7 दिनों मेरे बारे में कुछ नहीं कहा गया,अब तो मुझे इस बात की आदत हो गयी है,इसलिए अब मुझ पर इन सब बातों का असर कम समय तक होने लगा है (बेशर्म हो गया हूँ ),लेकिन एक सुखद बात जरुर पता चली और वो ये है की जो इंसान, बिना मुझे जाने,बिना मुझे पहचाने मेरे बारे में कुछ भी कह रहा था वो असल में कौन है,और उससे भी बड़ी बात की वो ये सब क्यों कर रहा है,और ये जानकर थोडा दुख भी हुआ और संतोष भी। कारण भी इतना छोटा है की मुझे ऐसी बात बताने का मन तो नहीं कर रहा है। पर लोगो को सही बात पता तो चलना ही चाहिए। "साहब" लेखक और चित्रकार बनना चाहते है और उनकी मदद वो इंसान कर सकते है जो शायद मेरी बुराई सुनना चाहते थे ,(अब मुझे नहीं लगता, उनको मेरी बुराई सुनने में कोई मज़ा आ रहा होगा ) बस उनको खुश करने के लिए मुझे बिना जाने, बिना पहचाने मेरे बारे में उल्टा- सीधा लिखना शुरू कर दिया है जो की आज तक बादस्तूर जारी है। चलो मेरे ही कारण(मुझे गालियाँ देने से ) अगर किसी का भला हो जाता है तो मै ये सोचूंगा की मेरे से अनजाने में ही कोई अच्छा काम हो रहा है। "अब मै आप की किसी बात का बुरा नहीं मानूंगा आप मेरे बारे में कुछ भी लिखने को पूरी तरह से आज़ाद है"। आप अपने लिए अगर कुछ कर रहे है तो वो गलत नहीं हो सकता, और अगर कुछ गलत है तो वो देखने का काम मेरा नहीं इश्वर का है वो खुद सब देख लेंगे।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, इस तरह की कॉमिक्स को देखने के बाद एक बात का पूरी तरह से विश्वास हो जाता है कि कॉमिक्स की हद से ज्यदा मांग थी इसलिए कॉमिक्स छापने के लिए लोगो ने नक़ल का खूब इस्तेमाल किया, ये कॉमिक्स "प्राण" के चरित्र "पिंकी" की हुबहू नक़ल है। अगर कुछ बदला है तो वो सिर्फ लेखक और उनकी कहानी।(कम से कम कहानी की नक़ल नहीं की ). आप से समझ कर इस कॉमिक्स को पढ़ सकते है की आप पिंकी की कोई और कॉमिक्स पढ़ रहे है जिसे "प्राण" जी ने नहीं बनाया और लिखा है। कहानी वैसे ही छोटी -छोटी और मजेदार है जैसे पिंकी की कॉमिक्स होती है,पर "प्राण" जी से इसकी तुलना नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका मुकाबला तो कोई कर ही नहीं सकता,पर फिर भी कहानी बेहतर ही है और पढने के लायक है। आप इन बेहतरीन कहानियों का आनंद लें जल्दी है आप सब से दुबारा मिलता हूँ ......./.
धऩयवाद, मनोज भाई
ReplyDeleteWelcome brother
DeleteThanks a lot Manoj bro for this one
ReplyDeleteWelcome brother
Deletebrother ji kuch tulsi comics bhi upload karey.
ReplyDeleteOk Brother Jaldi hi kuch comics karta hun
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