मेरे प्यारे दोस्तों
अभी कुछ दिन पहले मेरी मोहित शर्मा जी से बात हुई थी,तब जा कर मैंने ये जाना की वो लिखते भी है। पर ये जानना मेरे लिए कोई नहीं बात नहीं थी, यहाँ हर कोई कुछ न कुछ लिखता है या बनाता है। जब से फेस बुक का चलन बढ़ा है,लोगो ने अपने शौक को पूरा करने का जरिया इसे बना लिया है। पर सच कहूँ मै फेस बुक को न के बराबर ही इस्तेमाल करता हूँ,इसलिए मुझे इससे बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ता की कौन क्या लिखता है या क्या बनाता है।
हाँ नागराज जन्मोत्सव में जाने के बाद वहां पर राज कॉमिक्स में काम करने वाले चित्रकारों और लेखकों से मिलने का मौका मिला। कहानी के बारे में तो मै समझता हूँ की मै अच्छी जानकारी रखता हूँ पर वहां चित्रों के बारे में जो जानकारी मिली वो मेरे लिए अनोखी थी। इन सब से बात करके मुझे ये लगा की जैसे मै कुछ जानता ही नहीं हूँ। मंदार जी,अनुराग जी,शादाब जी,सुशांत जी और सभी जो कि अपने आप में बेहतर कलाकार होने के साथ बहुत ही अच्छे इंसान भी है। मुझे एक बार भी ये नहीं लगा की मै इन सब में नहीं हूँ जो की बिलकुल सच है की मै इन लोगो में नहीं था। इतनी अच्छी समझ मुझ में नहीं है।
अब बात मोहित जी कर ली जाये,
उनके कहने पर मैंने उनकी कहानियों का संग्रह बोन्साई कथाये पढ़ी। और सच कहूँ मै बिलकुल भी भरोसा नहीं कर पा रहा था की मै इतनी बेहतर कहानियां पढ़ रहा हूँ। उनकी पहली कहानी "मासूम ममता" ने मुझे हिला के रख दिया,इसको पढने के बाद मै कुछ समय तक जैसे सकते की स्तिथि में आ गया था। इसके बाद मैंने बाकी की कथाएं पढ़ी पर पहली कहानी ने जो स्तर बनाया था वो बाकी का तो नहीं था पर थी वो भी बहुत ही अच्छी। बाकी की कवितायेँ थी जिनकी मुझे ज्यदा समझ नहीं है पर पढने में मुझे बहुत ही अच्छी लगी सभी हिर्दय को छूती हुई लगी।
मै बस इतना ही कह सकता हूँ इन कथायों को जरुर पढना चाहिए, मेरी कल्पना से बहुत ही अच्छी ये कहानियां है।
Namastey! Aapka bahut bahut dhanyavaad!! Manoj ji, jo aapne samay nikal kar Bonsai Kathayen padhi aur ye review post likhi. :) Ye sukhad anubhav hota hai jab aapka kaam kisi ko pasand aaye aur uska manoranjan kare-sochne par majboor kare.
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