Saturday, January 26, 2013

Madhu Muskaan Comics-Popat Chaupat Ka Panchranga Aachaar


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मधु मुस्कान कॉमिक्स-पोपट चौपट और पचरंगा आचार
 मधु मुस्कान पत्रिका एक बहुत ही अच्छी पत्रिका थी और पत्रिकाओं में मै इसे सबसे बेहतर मानता हूँ। इसके चरित्र, इसके चित्र और कहानियां लाजबाब होती थी, मुझे मधु मुस्कान में कभी भी बहुत ज्यदा लगाव नहीं रहा उसका कारण बचपन में पैसे की कमी होना था और जब पैसे हुए तो ये पत्रिकाए नहीं छप रही है। यही शायद मेरे जैसे सभी दोस्तों की परेशानी रही होगी। उस समय जो हमें सबसे ज्यादा भी पसंद होता था उसके लिए भी हमारे माता-पिता पैसा नहीं देते थे,(कारण पैसे की कमी नहीं कॉमिक्स को बुरा समझा जाना ज्यादा नहीं था।). सब कुछ छुप-छुप कर करना पढता था, कॉमिक्स लाने से लेकर उसे पढने तक सब कुछ छुप कर,इनको पढना सबसे बुरा और बेकार काम समझा जाता था। और ये भी एक बहुत बड़ा कारण है कॉमिक्स और कॉमिक्स पत्रिकाओं के पतन का, कॉमिक्स पढ़ते हुए देखे जाना चोरी करने जैसा होता था जिसके लिए सबसे कड़ी सजा हमें मिलती थी,ऐसे में उन्हें संग्रह करके रखना असंभव जैसा काम था और आज भी है,मै कैसे अपनी कॉमिक्स के साथ रहता हूँ ये सिर्फ मै ही समझ सकता हूँ।

जीवन में मैंने एक बात बहुत अच्छे से जानी ही की आप अगर भगवान् का अवतार भी क्यों न हो आप सब को एक साथ खुश नहीं रख सकते। और आजकल जैसा समय है आप चार को खुश करने की कोशिश करेंगे तो चालीस आप से नाराज़ हो जायेंगे। आज अगर मै एक बात को अच्छे से सोचता हूँ तो एक चीज़ पाता हूँ, कि कम से कम कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करने को लेकर जानने वाले किसी को देने के अलावा कुछ लिया नहीं है,और हर दुसरे और तीसरे दिन कुछ न कुछ पढने को देता ही रहता हूँ फिर भी मै बहुत बुरा हूँ ,हर दूसरा आदमी मुझे अपना साथ न देने का दोषी ठहरता है। मैंने आज तक किसी से कुछ शायद ही कभी कुछ लिया हो फिर भी हर आदमी मेरी बुराई का बहाना खोजता रहता है।
 पर फिर "गुरू" फिल्म का वो संबाद याद करने के बाद बहुत राहत मिलती है की "अगर लोग आप की बुराई करना शुरू कर दें तो समझ लो की तुम तरक्की कर रहे हो"।
 ऐसा भी बिलकुल नहीं है की मै ये नहीं सोचता की ये सब अगर एक साथ कुछ कह रहे है तो क्यों कह रहे है, पर मेरा तरीका कुछ अलग है, अगर कोई मुझे कुछ कहता है तो मै खुद को उसकी जगह रख का देखता हूँ अगर वो आदमी मुझे सही लगता है तो मै उसकी कही गयी बात को सकारात्मक लेता हूँ औरअपने में सुधार करने की कोशिश करता हूँ और मै उससे सही नहीं पाता हूँ तो फिर मै अपने को पहले जैसा ही रखता हूँ। और इसके भी ऊपर मै इश्वर से अपने लिए सजा की प्रार्थना करता हूँ अगर मैंने कुछ ऐसा किया है जो मुझे नहीं करना चाहिए।
 आज मुझे लगभग पांच साल हो गए कॉमिक्स को स्कैन और अपलोड करते हुवे, बहुत कुछ सुना और बहुत कुछ देखा। पर इसके बाद  भी जब-जब मेरी बुराई होनी शुरू हुई मुझे कुछ जबरदस्त फ़ायदा हुवा। जैसा की पिछली बार था जब मुझे लगा की शायद मुझ में कुछ कमी है कही मुझ से गलती हुई है, बस उसी समय मेरी कमाई, मात्र दो दिन के अन्दर चार गुना बढ़ गयी। और अभी दो दिन पहले की बात ले लूँ फिर मुझे लगा की शायद फिर मुझ से कोई गलती हो रही है फिर मुझे ऊपर वाले की मदद से(आप लोगो की दुवाओ से ) दुसरे स्कूल ने सामने से बुला कर पहले से 40% ज्यादा पैसे देकर अपने यहाँ काम करने को कहा और मैंने 25 जनवरी 2013 को पुराना स्कूल छोड़ कर नया स्कूल ज्वाइन कर लिया।
 ये सब बाते मेरा मनोबल बढाती है और मुझे इस बात का अहसास करवाते है की मै अभी फिलहाल तो सही हूँ, और मै ये अच्छे से जनता हूँ जिस दिन मै गलत हूँगा मै अपनी सजा भुगतने को तैयार रहूँगा क्योंकि भगवान् की लाठी में आवाज़ नहीं होती। और मै चाहता भी यही हूँ।
 मुझे लगता है आज कुछ ज्यदा हो गया, अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये .
 ये कॉमिक्स छोटी-छोटी कहानियों का संग्रह है और कहानियां बहुत मजेदार है,जैसे पहली कहानी में पोपट और चौपट अपने वैज्ञानिक दोस्त से मिलने जाते है और स्पेस यान को घर समझ कर उसमे घुस जाते है और नास्ते के चक्कर में कुछ बटन दबा बैठते है और फिर उनके साथ क्या क्या होता है ये आप कुछ पढ़ का जाने तो ही अच्छा रहेगा।

7 comments:

  1. aapne to subah subah surprise de diya manoj bhai thanks

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  2. Thanks Manoj Bro. I'm already having this one already scanned but thanks for your efforts

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    1. Welcome Brother
      Please don't take otherwise
      jo comics aap ne scan ki huwi hai ya fir upload ki huwi hai agar aap unki list
      ya fir mere upcoming next me show hoti hai to fir mai jaldi bata den
      jisse wo comics jyda upload ho payen jo kahi bhi uploaded nahi hai jisse
      ham jaldi se hindi comics maximum comics upload ho sake

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  3. आपने मेरे बचपन को सामने ला दिया

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