Wednesday, September 28, 2016

Chunnu Comics-Lalbujhakad aur Ichchadhari Saanp


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चुन्नू कॉमिक्स-लाल बुझकड़ और इच्छाधारी साँप
 चुन्नू कॉमिक्स =प्रभात कॉमिक्स =राधा कॉमिक्स ये तीनो की प्रकाशन एक ही है। या फिर इतने नज़दीक है की इन सब के सुपर हीरो एक दूसरे प्रकाशन में छापे गए है। लाल बुझकड़ और टाइगर तो प्रभात कॉमिक्स में छापे जाते थे और फिर बाद में कुछ चुन्नू कॉमिक्स में छापे गए थे। राधा कॉमिक्स में वैसे तो प्रभात और चुन्नू कॉमिक्स के कोई बड़े सुपर हीरो नहीं छापे गए पर एक कॉमिक्स सीरीज मिस्टर एक्स जो की प्रभात में छापा और मिस्टर एक्स का धावा जो की राधा कॉमिक्स में छपा था जो की एक ही कहानी के दो पार्ट थे।
 प्रभात कॉमिक्स से वैसे तो मुझे कोई शिकायत नहीं थी। जितना भी पढ़ा अच्छा ही लगा पर जिस समय ये कॉमिक्स छपते थे उस समय सब कोई खरीदने लायक पैसे ही नहीं होते थे। इसलिए ये कॉमिक्स उस समय ज्यादा पढ़ने कोई नहीं मिली। "टाइगर" की कॉमिक्स खास कर मुझे बहुत पसंद है।
 कितने दुःख की बात है जब कॉमिक्स बहुतायत में होती थी तब पैसे नहीं होते थे और अब जब पैसे है तो कॉमिक्स का अकाल पड़ा हुवा है। ये कॉमिक्स कवरलेस मेरे पास है वैसे तो ये कॉमिक्स किसी और कॉमिक्स के कवर के साथ थी। जिसका कवर था वो कॉमिक्स नहीं थी और जो कॉमिक्स थी उसका कवर नहीं था। ऊपर से इस कॉमिक्स कोई दीमक खा रही थी तो मैंने इसे स्कैन करके अपलोड करने का मन बना लिया। और ये कॉमिक्स आज अपलोड हो रही है।
 कहानी के बारे में कुछ लिख पाना मेरे लिए संभव नहीं है क्योंकि ये कॉमिक्स अभी तक मैंने अभी था पढ़ा नहीं है और इस समय इसे पढ़ने का मेरा मन भी नहीं है।
 आप खुद इसे पढ़ कर देखे और मुझे बताये की ये कॉमिक्स कैसी है फिर जल्द ही आप से दुबारा मिलते है .....

Saturday, September 17, 2016

Manoj Comics-754-Inspector Manoj Aur Adamkhor Machliyan


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मनोज कॉमिक्स -७५४-इंस्पेक्टर मनोज और आदमखोर मछलियाँ
 मनोज कॉमिक्स हमेशा मेरे दिल के करीब रही है और इसका प्रथम कारण इस प्रकाशन का नाम और मेरा नाम एक होना है। (मेरा इस प्रकाशन से दूर-दूर तक कोई रिस्ता नहीं है ) पर बचपन में जब आप पढ़ना सुरु करते है और देखते है की आप के नाम से कॉमिक्स छाप रही है तो उसका एक अपना अलग अहसास होता है। आप के नाम से कॉमिक्स तो छपती ही थी ये क्या कम था जो आप के नाम का सुपर हीरो भी कॉमिक्स में होता है। इस अहसास के कारण मनोज कॉमिक्स और उसका ये सुपर हीरो इंस्पेक्टर मनोज हमेशा से मुझे भाया है। वैसे तो इंस्पेक्टर मनोज की कॉमिक्स की कहानियाँ क्या खूब होती थी। रहस्य -रोमांच से भरपूर। इंस्पेक्टर मनोज की आप कोई भी कॉमिक्स उठा कर पढ़ लें आप निराश नहीं हो सकते।
 इस कहानी को लिखा है अशीत चटर्जी जी ने।
 कहानी सुरु होती है सोने के चोरी से जो की पोलिश वालों ने पकड़ा होता है। और साथ में यस. पी का अपहरण अलग। अब ये वारदात पुलिश के नाक का सवाल बन जाता है। लुटेरे सोने को लेकर जिस टॉपू पर जाते है और जो जगह सोना छुपाने के इस्तेमाल करते है वहां होता है आदमखोर मछलियॉँ का आतंक। आगे क्या होता है ये आप खुद पढ़ कर देखें।
 जल्दी ही दुबारा मिलते है।

Manoj Comics-758-Farz Ki jang


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मनोज कॉमिक्स -७५८ -फ़र्ज़ की जंग
 मनोज कॉमिक्स में राजा-रानी वाली एक और कहानी। इस कॉमिक्स को लिखा है विजय कुमार वस्त जी ने। आज तक अपनी पढ़ी सभी तरह की कहानियों में अगर कोई कहानी नंबर १ मानता हूँ तो वो इनकी लिखी कहानी "क्रोध का भूत" है।
पहले जब मैंने कॉमिक्स पढ़ना सुरु किया था तो मुझे हमेशा हीरो वाली कॉमिक्स मिली। मैं हीरो /सुपर हीरो वाली कहानी बहुत पसंद करता था। इसलिए कभी भी मैंने राजा-रानी वाली कहानियां पढ़ने के कोशिश ही नहीं की। फिर एक दिन पढ़ने के लिए कोई नहीं कॉमिक्स नहीं थी तो मैंने सिर्फ कॉमिक्स पढ़नी थी इसलिए "क्रोध का भूत" को पढ़ना सुरु किया था जो की शायद मैंने रेट को सही करने के लिए साथ में ले लिया था। पर जब कहानी सुरु की तो मुझे इस बात का अहसास हुवा की मैंने अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ कहानी पढ़ पर रहा हूँ। आज वो मेरी सर्वश्रेठ कॉमिक्स है।
 विजय कुमार वस्त जी ने जो भी कहानी लिखी है वो सभी लाजबाब है। इन्होंने मनोज कॉमिक्स तुलसी कॉमिक्स परम्परा कॉमिक्स और भी कई कॉमिक्स के लिए कहानियों को लिखा है। ये कहानी भी उन सभी श्रेठ रचनाओं में से एक है जरूर पढ़ने लायक।
 कहानी सुरु होती है कुछ डाकुओ के एक युवक पर आक्रमण पर। एक बूढा व्यक्ति उस युवक की मदद करता है और उसका उपचार करता है। ठीक होने पर वो बताता है की वो राजा के यहाँ सैनिक के रूप में कार्य करता है। और उसकी हार्दिक इच्छा है की वो बाबा उससे मिलने महल में आये।
 इसके आगे कुछ भी लिखना कहानी का मज़ा किरकिरा कर सकता है।  क्या होता है उसके लिए आप को कॉमिक्स पढ़ कर ही देखना होगा।

Manoj Comics-762-Jinda Lash


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मनोज कॉमिक्स-७६२-जिन्दा लाश
मनोज कॉमिक्स में अंसार अख्तर द्वार लिखी गयी एक और शानदार कॉमिक्स ।  मनोज कॉमिक्स के हर सेट में इनकी कहानी तो होती ही थी। पढ़ने के बाद आप कहानी को काफी दिनों तक याद भी रखेंगे।
 कहानी की सुरुवात एक हिल स्टेशन में हुए ट्रिप्पल मर्डर से होती है। जबकि हिल स्टेशन देश के सबसे शांत स्थान में से एक है। यहाँ अपराध ना के बराबर होता है। अपराधी का कुछ पता नहीं चलता। ऐसे समय में एक अध्यापक जो की छुट्टियों पर थे अब स्कूल वापस जाना चाहते है। पर वहां बर्फ पड़ने से रास्ता साफ़ नहीं है और सवारी का साधन कई किलोमीटर पैदल चलने पर ही मिल सकता है। प्राइवेट नौकरी है जाना भी जरुरी है। तो वो पैदल जाने का फैसला कर लेते है। रस्ते में वो एक कार से लिफ्ट मांगने की कोशिश करते है पर वो लिफ्ट देने के बजाये उन्हें कार से कुचल कर मारने की कोशिश करता है। किसी तरह जान बचती है पर काफी चोट लग जाती है। तभी और लोग भी आ जाते है और कार वाला भी रुक जाता है और कहता है की वो ब्रेक लगाना चाह रहा था पर गलती से एक्सीलेटर दब गया था। वो अस्पताल ले जाने में सबकी मदद करता है।
आगे क्या होता है इसको जानने के लिए आप को ये कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी।
 सवाल कई है-
पागल हत्यारा कौन है जो सब को बिना मतलब मार रहा है ? और क्यों ?
कार ड्राइवर सच बोल रहा था या झूठ ?
कहानी में आगे क्या होता है ?
 पढ़े और सच माने आप कहानी को कई दिनों तक भूल नहीं पाएंगे।

Sunday, September 11, 2016

MC-744-Khooni Panja



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मनोज कॉमिक्स -७४४-मौत का पंजा
 मनोज कॉमिक्स में ये कॉमिक्स नेट पर कही अपलोड है। (मेरी जानकारी के अनुसार). इस तरह की कॉमिक्स में लिखने के लिए लेखक के पास कुछ होता नहीं है। कहानी के हिसाब से इस तरह की कॉमिक्स को सच पूछा जाये तो देखना भी नहीं चाहिए।पर ये कहानी उस मामले में थोड़ा अलग तो जरूर है। कहानी कुछ तो है चाहे पढ़ी हुयी ही क्यों लगे। कहानी के लिहाज़ से कॉमिक्स ठीक है चित्र अच्छे बने है आप को अच्छी तो लगनी चाहिए  कहानी सुरु होती है कुछ शहर के नामी बदमाशों की मीटिंग से। उनकी मीटिंग का मकसद ईमानदार इंस्पेक्टर के इलाके में आने को लेकर है। इंस्पेक्टर को ख़रीदा जा नहीं सकता तो फिर उसके साथ क्या किया जाये। फिर तय होता है की एक बार खरीदने की कोशिश करते है नहीं मानने पर उसे रास्ते से हटाना तय होता है। इसके बाद क्या होता है इसको जानने के लिए आपको कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी।
 पिछली बार कुछ लिखने की कोशिश की थी। लोगो को ठीक ही लगा। अब दुबारा कब लिखूंगा कह नहीं सकता। पर एक कहानी लिखने का मन तो है देखना कब तक मैं ऐसा कर पता हूँ। कर पाता हूँ भी या नहीं। है तो कुछ दिमाग मेरे पर उसके लिए थोड़ा टाइम चाहिए होगा। टाइम मिलते ही मैं ऐसी कोशिश करूँगा तो जरूर। इसके बाद तो भगवान् ही जाने।
 फिलहाल आप इस कॉमिक्स का आनंद ले जल्द ही दुबारा मिलते है।

Tuesday, September 6, 2016

Indrajaal Comics-95-RAJPAL KA SANKAT



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इंद्रजाल कॉमिक्स-९५-राजपाल का संकट
 वैसे तो ये कॉमिक्स पहले से ही उपलोडेड है वो भी अच्छी क्वालिटी में। पर जब मुझे ये कॉमिक्स मिली तो इसकी हालात अच्छी नहीं थी और इस में पेपर वाले कीड़े लगे थे। तो मैंने इन्हें बेचने का फैसला किया। पर देने से पहले मैंने इन्हें स्कैन कर लिया था तो सोचा की इससे अपलोड भी कर दिया जाये। मैं किस क्वालिटी में अपलोड करता हूँ आप सब को पता है अगर बेहतर लगे तो डाउनलोड कीजिएगा।
 आज मेरा मन कुछ ऐसा लिखने का कर रहा है जैसा मैंने पहले कभी नहीं लिखा था। आज मैंने ये पहली कोशिश की है अगर कोई त्रुटि तो तो माफ़ कर दीजियेगा।
 राज कॉमिक्स का पहला सुपर हीरो विनाशदूत है पर उसकी बहुत कम कॉमिक्स छापी गयी है जिससे वो बहुत नाराज़ है और मेरी उनसे बात सपने में होती है उसके बाद क्या होता है आप खुद पढ़ कर देखे। (अगर मेरी कोई बात किसी को ठेस पहुचती है तो अग्रिम माफ़ी )
विनाशदूत का दर्द
 जैसा की हम सभी जानते है की विनाशदूत राज कॉमिक्स का पहला हीरो है। आज जब मैं सोया था तो वो मेरे सपने में आया और अपना दर्द मुझे बयान करने लगा।
 हमारे बीच जो भी बाते हुई वो इस प्रकार है।
 विनाशदूत - उठो मनोज उठो कब तक सोते रहोगे ?
 मनोज पांडेय- क्यों परेशान करते हो वैसे भी मुझे सोने का टाइम नहीं मिलता।
 विनाशदूत- अरे , उठ भी जाओ देखो मैं विनाशदूत तुमसे मिलने आया हूँ।
 मनोज पांडेय- विनाशदूत ! ( और फिर मैं सपने में ही जग गया ) अरे आज आप को मेरी याद कैसे आ गयी मैंने तो कोई लाल बल्ब भी नहीं जलाया था छत पर ?
 विनाशदूत- हाँ क्यों नहीं तुम भी उड़ा लो मेरा मज़ाक।
 मनोज पांडेय- अरे नहीं विनाशदूत जी आप मेरे सबसे फ़ेवरेट सुपर हीरो हो।
 विनाशदूत - झूठ क्यों बोलते हो। ब्लॉग पर कभी सूर्यपुत्र लिखते हो और कभी राम-रहीम, और कभी सुपर कमांडो ध्रुव। कभी मेरा नाम तो लिया ही नहीं। सामने देखा तो झूठ बोलते हो
 मनोज पांडेय- समझा कीजिये आप ही मेरे फेवरेट है ब्लॉग पर तो कॉमिक्स डाउनलोड बढ़ाने के लिए ये सब लिखना पड़ता है। खैर ये सब छोड़िये और बताइये आप इतने परेशान क्यों लग रहे है ?
विनाशदूत -ऐसे कह रहे हो जैसे तुम्हे कुछ पता ही नहीं है।
 मनोज पांडेय- सही में कुछ पता नहीं है आप ही बता दो।
 विनाशदूत-राज कॉमिक्स वालों ने मेरे साथ न्याय नहीं किया ?
मनोज पांडेय- ऐसा न कहे
 विनाशदूत- क्यों न कहूँ , मैं उनका पहला सुपर हीरो हूँ। पर मुझ से ज्यादा कहानी तो प्रचण्डा और सुक्राल जैसे "सी " ग्रेड हीरो पर लिखा राज कॉमिक्स वालों ने।
 मनोज पांडेय- बात तो आप की सही है।
 विनाशदूत- क्या कमी है मुझ में ? अच्छी खासी सुपर पावर है मुझ में। मेरी पहली तीन कहानियों में कोई कमी लगी आप को ?
मनोज पांडेय- सच कहूँ तो मुझे तो ये कहानियाँ बहुत अच्छी लगी थी।
 विनाशदूत- और नहीं तो क्या ? मुझे पता है मेरी कहानियाँ बहुत अच्छी है। परशु राम शर्मा जी मेरी कहानी बड़े मनोयोग से लिखी थी। ब्लैक मार्केटिंग वाले मेरी कॉमिक्स को ५०० रुपए तक में बेच रहे है। 
मनोज पांडेय- मैं समझ रहा हूँ आप की बात। पर मुझे लगता है आप सुपर मैन की नक़ल लगते थे इसलिए आप की कॉमिक्स पर काम कम हुआ।
 विनाशदूत - क्या बकवास कर रहे हो ? क्या दूसरे ग्रह से आना सुपर मैन का कॉपी राईट है ? वैसे भी वो पैदा होते ही धरती पर आया था और मैं जवान आया था। उसको किसी ने जवान होने तक पाला था। और मैंने आते है धरती की सेवा करने लगा। मैं उससे बहुत अलग हूँ। मैं किसी सुपर मैन की कॉपी नहीं हूँ। हमारी कहानी में कोई समानता नहीं है।
 मनोज पांडेय- माफ़ कीजियेगा मैंने तो बस गेस किया था आप की कॉमिक्स कम छापने के लिए। वैसे जो मुझे लगता है की आप की कॉमिक्स कम छापे जाने का कारण आप की कॉमिक्स का कम सेल होना ही है। विनाशदूत-क्या वेवकूफी वाली बाते करते हो ? अरे भाई जब कोई दूकान सुरु होती है तो तुरंत से ही बिक्री होनी थोड़े ही सुरु हो जाती है। मेरे साथ थोड़ा और सब्र दिखाते तो मेरी कॉमिक्स भी खूब बिकती। तीन छाप कर बंद कर दी।
 मनोज पांडेय - ऐसा मत बोलिये। आप की और भी कॉमिक्स उन्होंने छापी है जैसे "शैतान",और "भांजा" बीच में आप पहली सुपर विशेषांक नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव में भी थे।
 विनाशदूत- जले पर नमक मत छिड़को। भला मेरे जैसा हाई टेक हीरो भूत-प्रेत की कॉमिक्स में चलेगा। और तो और साथ में गगन को भी मेरे साथ चिपका दिया। कहानी में मेरे लायक कुछ था भी ?
 मनोज पांडेय- बात तो आप की ठीक ही है। पर अब आप ही बताएं की कैसे राज कॉमिक्स वाले ने आप के साथ न्याय नहीं किया ?
 विनाशदूत-सबसे पहला अन्याय तो परशुराम शर्मा जी से नागराज लिखवाना था। जब उनके पास दूसरा सुपर हीरो आ गया तो उन्होंने मुझ पर ध्यान देना बंद ही कर दिया।
 मनोज पांडेय - एक बात कहूँ बुरा मत मानियेगा। नागराज और आप दोनों को परशुराम शर्मा जी ने लिखा और दोनों की तीन ही कहानी लिखी। पर नागराज खूब सफल हुवा और आप को सबने भुला दिया।
 विनाशदूत - कर दो तुम भी बेज्जती। ये क्यों भूल रहे हो नागराज को परशुराम शर्मा जी के बाद भारत के सबसे बेहतर चित्रकार (प्रताप मुकुल) ने बनाया और मुझे तो किसी ने छुवा तक नहीं। उसे लिखा राज कॉमिक्स की बेहतर टीम "राजा", "संजय गुप्ता" और "तरुण कुमार वाही" जी ने और मुझे किसी पूछा तक नहीं। मेरा इन्होंने ख्याल ही नहीं किया जबकि लोग अपने पहले बेटे से सबसे ज्यादा प्यार करते है। पर राज कॉमिक्स वालों ने मुझे कूड़ेदान में फेक दिया था। अपने बेहतर चित्रकार और बेहतर लेखक से कहानियॉ लिखवाते तो मैं नागराज से भी ज्यादा सफल होता।
 मनोज पांडेय- सुना है वो आप को सर्वनायक सीरीज में लाये है।
 विनाशदूत- तुमने पढ़ा की उन्होंने मेरी क्या दुर्गति की है कॉमिक्स में ?
 मनोज पांडेय- नहीं आप तो जानते हो। जब तक सीरीज पूरी नहीं होती मैं उसे खरीद कर रख तो लेता हूँ पर पढता नहीं हूँ।
 विनाशदूत- तब तो तुम पढ़ चुके इस सीरीज को ! दस साल से पहले ये कम्पलीट होगी नहीं और तब तक तुम इस सीरीज के बाकि पार्ट खो दोगे। फिर कभी नहीं पढ़ पाओगे।
 मनोज पांडेय- ऐसा न कहिये मैं सारे पार्ट संभाल कर रखूँगा। आप के कारण। और संजय जी से अनुरोध करूँगा की कम से कम एक कॉमिक्स तो वो आप की आज के सबसे बेहतर लेखक और चित्रकार "श्री अनुपम सिन्हा" जी से लिखवाएं। तो आप को भी ये न लगे की राज कॉमिक्स वालों ने अपने पहले सुपर हीरो के साथ न्याय नहीं किया।
 तभी आलार्म बजने लगा और मैं उठ कर बैठ गया। फिर कभी अगर विनाशदूत से मुलाकात होती है तो आप सब को जरूर बताऊंगा।

Sunday, September 4, 2016

Neelam Chitrakatha-41-Antriksh Me Apharan


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नीलम चित्रकथा-४१-अंतरिक्ष में अपहरण
 नीलम चित्रकथा, कुछ अजीब लग रहा होता की मनोज कॉमिक्स अपलोड करते-करते एकदम से नीलम चित्रकथा। तो कहते है न की एक जैसी चीज़ इस्तेमाल करते-करते हम उस की अहमियत कम कर देते है। इसलिए मैंने नीलम चित्रकथा आज अपलोड कर दी है। वैसे भी स्वाद बदलते रहना चाहिए।
 मनोज कॉमिक्स में अभी तक सेट नंबर १०९ तक पूरी तरह से अपलोड हो चूका है। अब उम्मीद करता हूँ सारी मनोज कॉमिक्स अपलोड करने में सफल हो जाऊंगा। वैसे तो ये बात मैंने अपने ब्लॉग में पहले भी कई बार लिखा है और आज फिर लिख रहा हूँ। कि मनोज कॉमिक्स को अपलोड करने में सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का है तो वो मोहित राघव जी का है। अब वो कहाँ है उनके बारे में कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। उसके बाद अनुज शर्मा जी का जिनकी कॉमिक्स न होती तो मोहित इन कॉमिक्स को कभी भी अपलोड नहीं कर पाता। उसके बाद आते है मेरे जैसे ढेर सरे अपलोड करने वाले भाई बंधू। किसी का भी नाम छूट गया तो दूसरा नाराज़ हो जायेगा। इसलिए सभी को उनके इस भागीरथी प्रयास के लिए साधुवाद।
 मैंने बस उन कॉमिक्स को अपलोड करने का काम किया है जो की कही मिलने की सम्भावना नहीं होती थी या फिर मोहित जी जो भी कह देते थे मैं अपलोड कर देता था। आज वैसे तो ज्यादातर कॉमिक्स कही न कही उपलोडेड है पर उन्हें क्रम बध करना भी बहुत मुश्किल है पर ये काम मोहित जी बड़े आराम से कर देते थे पर मेरे बस का ये नहीं था तो सेट नंबर ९५ तक तो मोहित भाई में ही कर दिया था उसके बाद कुछ मैंने किया फिर मुकेश जी ने ११० तक कर रखा है उसके बाद देखते है क्या होता है।
अब नशीली मौत भी मिल गयी है या कहूँ पैसे फूक कर खरीद लिया है। इस कॉमिक्स के लिए इसकी औकात से १० गुना ज्यादा पैसा दिया है। बस अब एक कॉमिक्स रहती है जंगली बाबा जो की उम्मीद है विक्रम चौहान जी से मिल जाएगी। तो अब हम इस स्थान पर है की हम ये कह सकते है की हम मनोज कॉमिक्स को पूरी तरह अपलोड कर ले जायेंगे।
 अब बात इस कॉमिक्स की कर लेते है। अंतरिक्ष में लोगो के अपहरण हो रहे लोगो का पता लगाने का केस है। जिसमे पहला सवाल तो यही है की अपहरण हो रहा है तो क्यों। फिर अपहरित लोगो का क्या किया जाता है बाकि आप पढ़ कर देखे तो बेहतर होगा।