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पवन कॉमिक्स-०७-दादा जी और खुनी गुफा
पवन कॉमिक्स, कुछ अच्छे से याद नहीं आता कि मैंने इनकी पहली कॉमिक्स कौन सी पढ़ी थी पर पवन कॉमिक्स को पहचानता तो मैंने सूर्यपुत्र और राम-बलराम के कारण ही था। वो ऐसा दौर था जब हम को ये पता ही नहीं चलता था कि प्रकाशक कौन है हमें सिर्फ कॉमिक्स के हीरो से मतलब होता था। राम-रहीम है या शेरा है महाबली शाका है या चाचा चौधरी है या नागराज है कि सुपर कमाण्डो ध्रुव है या हवलदार बहादुर बस इसके अलावा हमें किसी चीज़ से कोई लेना देना नहीं होता था यहाँ तक लेखक और चित्रकार का नाम तक नहीं पढ़ते थे।
उस समय तो जैसे रिस्तों का दौर था दादा, जी मामा जी ,चाचा चौधरी,चाचा चम्पक लाल आदि पर लोग इन्हे पसंद भी खूब करते थे पर अब तो समय तेज़ी बदल रहा है आज के बच्चे हिंदी के बारे में ही सुनना नहीं चाहते हिंदी में आने वाली कॉमिक्स के बारे में कौन सुनेगा।
अब बात इस कॉमिक्स कि कर ली जाये तो ये कॉमिक्स भी पुराने तरह के अपहरण को लेकर है जिसमे राजा की बेटी को दुष्ट जादूगर उठा ले जाता है उसके बात दादा जी कैसे राजकुमारी को छुड़ाकर लाते है और जादूगर का अंत करते है ये ही इस कहानी का मूल आधार है। आज बस इतना ही स्कूल का बहुत काम है पर वादा करता हूँ कि जल्द ही नयी कॉमिक्स के साथ दुबरा मिलता हूँ।
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पवन कॉमिक्स-०७-दादा जी और खुनी गुफा
पवन कॉमिक्स, कुछ अच्छे से याद नहीं आता कि मैंने इनकी पहली कॉमिक्स कौन सी पढ़ी थी पर पवन कॉमिक्स को पहचानता तो मैंने सूर्यपुत्र और राम-बलराम के कारण ही था। वो ऐसा दौर था जब हम को ये पता ही नहीं चलता था कि प्रकाशक कौन है हमें सिर्फ कॉमिक्स के हीरो से मतलब होता था। राम-रहीम है या शेरा है महाबली शाका है या चाचा चौधरी है या नागराज है कि सुपर कमाण्डो ध्रुव है या हवलदार बहादुर बस इसके अलावा हमें किसी चीज़ से कोई लेना देना नहीं होता था यहाँ तक लेखक और चित्रकार का नाम तक नहीं पढ़ते थे।
उस समय तो जैसे रिस्तों का दौर था दादा, जी मामा जी ,चाचा चौधरी,चाचा चम्पक लाल आदि पर लोग इन्हे पसंद भी खूब करते थे पर अब तो समय तेज़ी बदल रहा है आज के बच्चे हिंदी के बारे में ही सुनना नहीं चाहते हिंदी में आने वाली कॉमिक्स के बारे में कौन सुनेगा।
अब बात इस कॉमिक्स कि कर ली जाये तो ये कॉमिक्स भी पुराने तरह के अपहरण को लेकर है जिसमे राजा की बेटी को दुष्ट जादूगर उठा ले जाता है उसके बात दादा जी कैसे राजकुमारी को छुड़ाकर लाते है और जादूगर का अंत करते है ये ही इस कहानी का मूल आधार है। आज बस इतना ही स्कूल का बहुत काम है पर वादा करता हूँ कि जल्द ही नयी कॉमिक्स के साथ दुबरा मिलता हूँ।
Thanks A Lot, Manoj Bhai for this rare issue of Pawan Comics
ReplyDeleteWelcome Brother
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